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चोरों के खौफ में उबला रामनगर पुलिस चौकी घेर ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

दिनदहाड़े हो रही चोरियों से दहशत में जी रहे ग्रामीण, ड्रोन उड़ान और पुलिस की निष्क्रियता ने बढ़ाई असुरक्षा की चिंत।

रामनगर। पीरूमदारा क्षेत्र में इन दिनों चोरों की दहशत ने आम लोगों का चौन और सुकून छीन लिया है। जिस तरह लगातार चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे अब लोग न सिर्फ भयभीत हैं, बल्कि गुस्से में भी दिखाई दे रहे हैं। वर्षों से शांत और सुरक्षित माने जाने वाले इस इलाके में जिस तरह से अब अपराधियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं, उससे ग्रामीणों के सब्र का बांध आखिरकार टूट गया। मंगलवार, 29 जुलाई को जब ग्रामीणों का गुस्सा अपने चरम पर पहुंचा, तो उन्होंने पीरूमदारा पुलिस चौकी का घेराव कर डाला। चौकी के बाहर इकट्ठा हुई भीड़ ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ तीखी नारेबाजी करते हुए अपनी नाराजगी साफ जाहिर कर दी। उनकी मांग साफ थीकृअब और बर्दाश्त नहीं होगा, इलाके में पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करनी ही होगी। दिनदहाड़े होने वाली घटनाओं से परेशान ग्रामीणों ने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर शीघ्र ही पुरानी और हाल की चोरियों का पर्दाफाश नहीं किया गया, तो इससे भी बड़े आंदोलन की रूपरेखा तय कर ली जाएगी।

बीते कुछ महीनों में जिस तरह अपराधियों ने पीरूमदारा को निशाने पर लिया है, उसने लोगों के मन में अनजाना डर भर दिया है। पहले चोर रात के अंधेरे में सुनसान घरों को निशाना बनाते थे, मगर अब हालत यह हो गई है कि दिन के उजाले में भी वे बेखौफ वारदात को अंजाम देने लगे हैं। महिलाएं और बुजुर्ग अब दिन में भी घर को ताला लगाकर बाहर जाने से डरने लगे हैं। इसका असर सीधे-सीधे ग्रामीणों के सामान्य जीवन पर पड़ रहा है। उन्हें अब न केवल अपनी संपत्ति की चिंता सताने लगी है, बल्कि अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी अनिश्चितता का भाव हावी हो चला है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस भय के माहौल में भी ग्रामीणों को पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया कि पुलिस सिर्फ कार्रवाई का भरोसा देती रही है, मगर जमीन पर उसका कोई असर नहीं दिखता। यही कारण रहा कि लोगों का गुस्सा उफान पर पहुंच गया।

पुलिस की निष्क्रियता पर गुस्सा, ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

बात यहीं खत्म नहीं होती। ग्रामीणों की चिंताओं में हाल ही में देखे गए रहस्यमयी ड्रोन भी शामिल हो गए हैं। कई बार ग्रामीणों ने रात के समय आसमान में उड़ते ड्रोन देखे हैं, जिससे अनहोनी की आशंका गहराने लगी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये ड्रोन किसी बाहरी तत्व द्वारा क्षेत्र की रेकी के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इससे यह अंदेशा और भी मजबूत होता है कि चोरों ने अब तकनीक का सहारा लेना शुरू कर दिया है। गांव वालों का शक है कि इन ड्रोन कैमरों से घरों की स्थिति, लोगों की आवाजाही और कमजोर पहरेदारी की पूरी योजना बनाई जा रही है। इस टेक्नोलॉजी आधारित अपराध के सामने ग्रामीण खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक पुलिस इस संदिग्ध गतिविधि की जांच नहीं करेगी, तब तक सुरक्षा को लेकर उनके मन में बनी आशंकाएं खत्म नहीं होंगी। गांव में सुरक्षा के मुद्दे ने अब सिर्फ चोरी से आगे बढ़कर व्यापक सामाजिक असुरक्षा का रूप ले लिया है।

इस पूरे घटनाक्रम पर पीरूमदारा चौकी प्रभारी सुनील धनिक ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए ग्रामीणों के आरोपों को सिरे से नकार दिया। उनका कहना है कि इस समय पुलिस बल की बड़ी संख्या पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर तैनात है, जिससे गश्त और निगरानी में कुछ बाधा जरूर आई है। उन्होंने बताया कि पुरानी चोरी की कई घटनाओं में पुलिस ने कामयाबी हासिल करते हुए केस सुलझा लिए हैं। जहां तक हाल की चोरियों की बात है, वे सभी जांच के दायरे में हैं और पुलिस बहुत जल्द इन मामलों में खुलासे करेगी। सुनील धनिक ने ग्रामीणों से संयम बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी संदिग्ध हरकत की जानकारी तुरंत पुलिस को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके। उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया कि आने वाले दिनों में क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएंगे और पुलिस बल की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। बावजूद इसके, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक नतीजे जमीन पर दिखाई नहीं देंगे, तब तक वे चुप बैठने वाले नहीं हैं।

जनवरी 2025 से अब तक पीरूमदारा क्षेत्र में 20 से अधिक चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से एक दर्जन से ज्यादा मामलों का पुलिस आज तक कोई ठोस हल नहीं निकाल पाई है। यही वजह है कि लोगों का विश्वास अब पुलिस से उठता नजर आ रहा है। जब आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे, तब प्रशासन के प्रति उनकी नाराजगी स्वाभाविक है। यह केवल चोरी की घटनाओं की बात नहीं है, यह भरोसे के उस ताने-बाने के टूटने की कहानी है जो किसी भी कानून व्यवस्था की रीढ़ होती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गहराते जनाक्रोश को कैसे संभालता है, और क्या आने वाले दिनों में पीरूमदारा की गलियों में एक बार फिर से सुरक्षा और शांति का माहौल लौट पाएगा या नहीं।

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