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मतदान थमा, अब 31 जुलाई को खुलेगा किस्मत का ताला, प्रत्याशियों की धड़कनें तेज

उधम सिंह नगर की जनता ने सोच-समझकर डाला वोट, अब गिनती के दिन खुलेगा जीत और हार का पूरा लेखा-जोखा

काशीपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में उधम सिंह नगर जिले ने लोकतंत्र की अद्भुत शक्ति का नजारा पेश किया। मतदान खत्म हो चुका है, चुनावी शोर अब शांत हो गया है, मगर इस शांति के बीच सवाल गूंज रहा है—आख़िरकार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा? अब जब मतदान बंद हो गया है, तो प्रत्याशियों की बेचैनी अपने चरम पर है। मतपेटियों में बंद हो चुके फैसलों की गूंज हर गली-मोहल्ले में सुनाई दे रही है। पूरे जिले के रुद्रपुर, जसपुर और काशीपुर क्षेत्रों में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मतदाता कतारों में खड़े होकर अपना फैसला सुनाते रहे। प्रशासनिक इंतज़ाम इतने मजबूत रहे कि कहीं कोई अव्यवस्था की खबर नहीं आई। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगरों तक हर स्थान पर लोग लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लेते दिखाई दिए। कई जगहों पर सुबह से ही मतदान केंद्रों पर उमड़े जनसैलाब ने यह सिद्ध कर दिया कि जनता ने राजनीतिक चेतना को इस बार एक नई ऊंचाई दी है।

जहां तक चुनावी मैदान का सवाल है, 14,761 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करीब 21 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार के जरिए किया। यह चुनाव केवल पदों के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करने का माध्यम बना। ग्राम पंचायत सदस्य के 933 पदों पर 1998, ग्राम प्रधान के 2726 पदों पर 7833, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 1225 पदों पर 4214, और जिला पंचायत सदस्य के 14 पदों पर 716 प्रत्याशी मैदान में डटे रहे। किसी भी वर्ग, जाति, धर्म या आयु का फर्क नहीं रहा—हर कोई लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए वोट देने पहुंचा। खासकर बुजुर्गों और महिलाओं की भागीदारी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जब वे इतनी लगन से वोट डाल सकते हैं, तो युवाओं को भी इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना चाहिए। मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की जो ऊर्जा और उत्साह देखने को मिला, उसने यह प्रमाणित कर दिया कि जनता अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक और सजग हो चुकी है।

अगर बात करें सुरक्षा और प्रशासनिक इंतजामों की, तो इस बार डीएमनितिन सिंह भदौरिया और एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने खुद मोर्चा संभाल रखा था। संवेदनशील इलाकों में पहुंचे दोनों अधिकारियों ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया, बल्कि मतदाताओं से बातचीत कर उनका मनोबल भी बढ़ाया। जिले भर के थानाध्यक्षों से लेकर सेक्टर मजिस्ट्रेटों और जोनल अधिकारियों तक सभी प्रशासनिक इकाइयाँ चाक-चौबंद दिखीं। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने खुद जिले के तीनों ब्लॉकों में सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालते हुए निगरानी ड्रोन कैमरों से भी करवाई। हर केंद्र पर पुलिस बल की तैनाती, निरंतर गश्त और बारीकी से निगरानी ने यह सुनिश्चित किया कि कोई उपद्रव करने की हिम्मत न जुटा पाए। डीएम बड़ौड़िया ने निर्देश दिए थे कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उनके कड़े रवैये का असर मतदान केंद्रों पर साफ नजर भी आया।

उत्साह का ऐसा उदाहरण तब देखने को मिला जब काशीपुर के कुंडेश्वरी स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में एक बुजुर्ग मतदाता जो अस्वस्थ अवस्था में थे, छड़ी के सहारे मतदान केंद्र तक पहुंचे और वोट देकर लोकतंत्र के इस महायज्ञ में आहुति दी। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद मतदान कर्मी और अन्य मतदाता भी भावुक हो गए। यह नजारा इस बात की मिसाल बन गया कि लोकतंत्र के प्रति लोगों का प्रेम किसी परिस्थिति का मोहताज नहीं। इसके साथ ही समर स्टडी स्कूल, किसान इंटर कॉलेज कुंडेश्वरी और मानपुर जैसे मतदान केंद्रों पर भी मतदाताओं की लम्बी कतारें दिनभर बनी रहीं। पोलिंग एजेंट मोहित शर्मा ने बताया कि दोपहर 12 बजे तक करीब 45 से 50 प्रतिशत मतदान हो चुका था, और उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि मतदान का प्रतिशत 85 से 90 के बीच पहुंचेगा, जो अंतिम घंटों में साकार होता दिखा।

अब जब मतदान का सिलसिला समाप्त हो चुका है, तो हर आंख परिणाम की प्रतीक्षा में टिक चुकी है। जीत का जश्न किसके आंगन में बजेगा और किसे जनता ने ठुकरा दिया है, इसका पता अब 31 जुलाई को ही चलेगा। प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों के साथ चर्चा और गणनाओं में मशगूल हैं। सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों तक, पंचायत चुनाव की ही बात हो रही है। पर सबसे खास बात यह रही कि पूरे जिले में चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और निष्कलंक रहा। कहीं कोई अफरा-तफरी, बवाल या प्रशासन की लापरवाही की कोई सूचना नहीं आई, जिससे साफ होता है कि प्रशासन और पुलिस ने इस बार चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा था। लोकतंत्र में मतदाता का विश्वास जिस तरह से उभरा, वह भारतीय राजनीति के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत है।

इस समय पूरे जिले में एक गहरी प्रतीक्षा का माहौल है। मतपेटियों में बंद हो चुके जनादेश अब केवल मतगणना के दिन का इंतजार कर रहे हैं और प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ चुकी है। हर गली, चौराहे और मोहल्ले में चर्चाओं का बाजार गर्म है—राजनीतिक समीकरण बदले हैं या पहले जैसे ही बने हुए हैं, इसका जवाब आने वाले कुछ ही दिनों में सामने आ जाएगा। पर जो बात पूरी स्पष्टता से उभरकर आई है, वह यह कि जनता ने इस बार किसी भावनात्मक बहाव या प्रलोभन में बहकर नहीं, बल्कि पूरी समझदारी और ज़िम्मेदारी के साथ अपने मत का उपयोग किया है। बुजुर्गों से लेकर युवा तक, सभी ने लोकतंत्र को मजबूती देने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। अब हर प्रत्याशी की निगाहें उस ऐतिहासिक दिन पर टिक गई हैं, जब चुनाव आयोग परिणामों की घोषणा करेगा और किस्मत के बंद दरवाजे खुलकर जनादेश की असली तस्वीर सामने लाएंगे।

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