रामनगर। उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना प्रक्रिया को लेकर राज्य में तैयारियों का अंतिम दौर तेज हो गया है। मतदान की दो महत्वपूर्ण तिथियों- 24 जुलाई और 28 जुलाईकृको राज्य के बारह जिलों में लोकतंत्र की मजबूती को लेकर जिस उत्साह से ग्रामीणों ने हिस्सा लिया, उसने लोकतंत्र की जड़ों को और अधिक मज़बूती दी है। अब जब मतदान का दौर समाप्त हो चुका है, तो राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 31 जुलाई को होने वाली मतगणना के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया है कि जिस तरह निष्पक्ष और शांतिपूर्ण वातावरण में मतदान कराया गया, उसी तरह से मतगणना की प्रक्रिया भी पूरी पारदर्शिता और कड़ी निगरानी में संपन्न कराई जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि गणना केंद्रों में शुचिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध किए हैं, जिससे किसी प्रकार की गड़बड़ी या अनुशासनहीनता की कोई गुंजाइश न रहे।
कुल मिलाकर पंचायत चुनाव 2025 के दौरान 10,915 पदों के लिए राज्य भर में 34,151 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी और अब मतगणना की इस महाप्रक्रिया में 15,024 कर्मचारी लगाए गए हैं। सुरक्षा के मोर्चे पर कोई समझौता न करते हुए प्रशासन ने 8,926 पुलिस बलों को तैनात कर दिया है, जो मतगणना केंद्रों पर शांति बनाए रखने का कार्य करेंगे। वहीं राज्य के 12 जिलों के 89 विकासखंडों में दो चरणों में शांतिपूर्वक मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। केवल हरिद्वार जिले में इस बार पंचायत चुनाव नहीं कराए गए हैं। इन सभी जिलों में जिस तरह का जनसैलाब मतदान केंद्रों पर उमड़ा, वह उत्तराखंड की लोकतांत्रिक चेतना को नई ऊंचाई देता है। निर्वाचन आयोग की मंशा यह है कि मतगणना के दौरान भी पूरी प्रणाली प्रेक्षकों, जोनल मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निगरानी में संचालित हो, ताकि मतदाताओं को भरोसा हो कि उनका एक-एक वोट सही जगह पर गिना गया।
निर्वाचन परिणामों की घोषणा संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा मतगणना पूर्ण होते ही की जाएगी, और इसके बाद परिणाम आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट कर दिए जाएंगे। सुरक्षा के लिहाज से मतगणना केंद्रों पर कड़ी बैरिकेडिंग की गई है और विजयी जुलूसों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लागू रहेगा। इस बाबत सभी जिलों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। आयोग ने साफ किया है कि मतगणना स्थल पर जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में केवल वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी ही तैनात किए जाएंगे। इसके साथ ही प्रत्येक मतगणना केंद्र पर पुलिस क्षेत्राधिकारी, प्रभारी निरीक्षक या थानाध्यक्ष की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार की अगुवाई में प्रशासन यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि मतगणना किसी भी स्तर पर प्रभावित न हो और उम्मीदवारों को उनके भाग्य का परिणाम पारदर्शी रूप से मिल सके।
खटीमा विकासखंड में स्थित मंडी परिसर में प्रशासन ने मतगणना को लेकर युद्धस्तर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। गुरुवार सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली इस मतगणना में कुल तीस टेबल लगाए गए हैं, जिन पर अलग-अलग पदों के लिए मतगणना की जाएगी। प्रत्येक टेबल पर पांच मतगणना कर्मचारी तैनात किए गए हैं, यानी कुल 150 कार्मिकों की टीम मतगणना प्रक्रिया को अंजाम देगी। खटीमा विकासखंड में इस बार 589 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनके भाग्य का फैसला इन टेबलों पर रखा हुआ मतपेटियों में छिपा है। मतगणना की तैयारियों की कमान स्वयं निर्वाचन अधिकारी आनंद सिंह नेगी, खटीमा एसडीएम तुषार सैनी तथा खंड विकास अधिकारी धर्मेंद्र सिंह कन्याल जैसे अनुभवी अधिकारियों ने संभाल रखी है, जो पल-पल की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। विभिन्न विभागों की समन्वित भागीदारी ने मतगणना स्थल को एक अनुशासित और सुरक्षित परिसर में बदल दिया है, जहां किसी भी तरह की अनहोनी की कोई आशंका नहीं रहने दी गई है।
अगर बात करें जिलेवार मतदान प्रतिशत की तो इस बार महिलाओं ने जिस उत्साह से मतदान में हिस्सा लिया, उसने सभी को चौंका दिया। कुल मिलाकर राज्य में 69.16 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें पुरुषों का प्रतिशत 64.23 और महिलाओं का 74.42 दर्ज किया गया। यह साफ संकेत है कि महिलाएं अब राजनीति में अपनी भूमिका को लेकर कहीं अधिक जागरूक हो चुकी हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। ऊधम सिंह नगर जिला इस सूची में सबसे आगे रहा जहां 83.21 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि अल्मोड़ा में सबसे कम 59.73 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत डाले। नैनीताल में 74.25 प्रतिशत, उत्तरकाशी में 78.81 प्रतिशत, देहरादून में 77.83 प्रतिशत और चम्पावत में 67.95 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसके अलावा पिथौरागढ़ में 64.36, चमोली में 64.90, बागेश्वर में 63.11, टिहरी गढ़वाल में 60.11, रुद्रप्रयाग में 62.98 और पौड़ी गढ़वाल में 61.25 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। यह सब मिलकर इस बात का प्रमाण हैं कि उत्तराखंड के नागरिक स्थानीय शासन की बागडोर खुद संभालने को लेकर कितने गंभीर हैं।
अब सबकी निगाहें 31 जुलाई की सुबह पर टिकी हैं, जब मतदान की किस्मत का पिटारा खुलेगा और नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की तस्वीर सामने आएगी। एक ओर उम्मीदवारों के चेहरे पर उत्सुकता की चमक है, वहीं दूसरी ओर निर्वाचन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी चरम पर है। लोकतंत्र की इस परीक्षा में पारदर्शिता, निष्पक्षता और व्यवस्था की कसौटी पर प्रशासन कितना खरा उतरता है, इसका आकलन अब मतगणना की प्रक्रिया ही तय करेगी।