हल्द्वानी। शुक्रवार की शाम उत्तराखण्ड में उस समय हड़कंप मच गया, जब अचानक धरती हिलने लगी। शाम 7 बजकर 52 मिनट पर आए तेज भूकंप के झटकों ने नैनीताल जिले के हल्द्वानी समेत पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को झकझोर दिया। झटके इतने तीव्र थे कि लोग अपने घरों और दुकानों से घबराकर बाहर की ओर भागे और खुले स्थानों पर डरे-सहमे खड़े दिखाई दिए।
रिक्टर स्केल पर 5.0 रही तीव्रता, नेपाल में था केंद्र भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.0 मापी गई है। इसका केंद्र नेपाल में जमीन से 20 किलोमीटर गहराई में स्थित बताया जा रहा है। चम्पावत जिला आपदा परिचालन केंद्र द्वारा इसकी पुष्टि की गई है। हालांकि, राहत की बात यह है कि अभी तक किसी प्रकार की जानहानि या संपत्ति के नुकसान की खबर सामने नहीं आई है। लेकिन झटकों की तीव्रता और अप्रत्याशितता ने लोगों को गहरी चिंता में डाल दिया है।
उत्तराखण्ड के साथ-साथ कई राज्यों में महसूस किए गए झटके यह भूकंप केवल उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं रहा। इसके झटके उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किए गए हैं। इसके अलावा नेपाल और चीन में भी धरती हिलने की खबरें आई हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भूकंप का प्रभाव व्यापक क्षेत्र में पड़ा है।
लोगों में दहशत, घरों से बाहर निकले नागरिक हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ समेत अन्य प्रभावित क्षेत्रों में जैसे ही धरती कांपी, लोगों में अफरातफरी मच गई। बाजारों में खरीददारी कर रहे लोग, घरों में आराम कर रहे परिवार और सड़कों पर चल रहे राहगीर—सभी एक पल के भीतर असहज हो उठे। कई लोगों ने तुरंत अपने मोबाइल में भूकंप अलर्ट देखा और कुछ ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा करनी शुरू कर दी।
भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है उत्तराखण्ड उत्तराखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जोन-4 और जोन-5 में आता है। यह क्षेत्र पहले भी कई बार विनाशकारी भूकंपों का सामना कर चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में प्लेटों की टकराहट के चलते यहां भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है। ऐसे में शुक्रवार को आए भूकंप के झटकों ने एक बार फिर लोगों को सतर्क कर दिया है।
प्रशासन सतर्क, आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर उत्तराखण्ड प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है। सभी जिलों के आपदा प्रबंधन केंद्रों को सतर्क कर दिया गया है। जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया जाए। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और आवश्यकता पड़ने पर ही घरों से बाहर निकलें।
भविष्य के लिए तैयार रहना जरूरी: विशेषज्ञ भूकंप के झटकों के बाद एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तराखण्ड को आपदा प्रबंधन के लिहाज से और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को भूकंप के दौरान अपनाए जाने वाले सुरक्षा उपायों की जानकारी होनी चाहिए। स्कूलों, अस्पतालों, दफ्तरों और आवासीय भवनों में भूकंप सुरक्षा ड्रिल को अनिवार्य रूप से लागू करने की जरूरत है।
लोगों में भय, लेकिन राहत की सांस भी
हालांकि, शुक्रवार के भूकंप में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लोगों में एक असहजता और भय स्पष्ट रूप से दिखाई दी। हल्द्वानी की निवासी रेखा बिष्ट ने बताया, “अचानक सब कुछ हिलने लगा। बच्चे डर गए, हम तुरंत घर से बाहर निकल आए। शुक्र है कि कोई नुकसान नहीं हुआ।”
उत्तराखण्ड के लोगों को भूकंप जैसी आपदाओं के प्रति सजग रहने की जरूरत है। प्रशासनिक तैयारियों के साथ-साथ जनता की जागरूकता ही भविष्य में होने वाली किसी भी बड़ी आपदा के प्रभाव को कम कर सकती है।