काशीपुर। महाराणा प्रताप चौक फ्लाईओवर से मलबा गिरने की घटना ने स्थानीय प्रशासन और जनता में हड़कंप मचा दिया है। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया और यातायात को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक रूट तैयार किए गए हैं। इस फ्लाईओवर का निर्माण करीब 7 वर्षों में पूरा हुआ और 2024 में इसे जनता को समर्पित किया गया था। लेकिन सिर्फ एक साल में ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि फ्लाईओवर का हिस्सा अचानक गिरना एक गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण के दौरान कई बार घटिया सामग्री के इस्तेमाल की शिकायतें की गई थीं, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब जब हादसा हो चुका है, तब प्रशासन हरकत में आया है। इस घटना के बाद फ्लाईओवर की सुरक्षा और इसकी निर्माण प्रक्रिया की गहराई से जांच की मांग तेज हो गई है।
यह फ्लाईओवर 2024 में जनता को समर्पित किया गया था, लेकिन अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ कि इसकी हालत खस्ता होने लगी। बीती रात अचानक एक मीटर लंबा हिस्सा ढह गया, जिससे वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों में हड़कंप मच गया। हादसे के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रित किया। इस घटना के बाद लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने भारी वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया है। अपर पुलिस अधीक्षक अभय सिंह ने जानकारी दी कि एनएचएआई अधिकारियों से चर्चा के बाद फ्लाईओवर के कमजोर हिस्से की निगरानी की जा रही है और हल्के वाहनों को सावधानीपूर्वक गुजरने की अनुमति दी गई है, लेकिन किसी भी भारी वाहन को फ्लाईओवर पर चढ़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी।उन्होंने बताया कि महानगरीय बसों को बैलजूड़ी, मानपुर रोड होते हुए स्टेडियम से निकाला जाएगा, जबकि रोडवेज बसों को टांडा से शुगर मिल के रास्ते चैती चौराहे से भेजा जाएगा। रेलवे ओवरब्रिज से किसी भी भारी वाहन की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है।
इस घटना के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिशासी अधिकारी प्रवीण कुमार तुरंत मौके पर पहुंचे और उन्होंने फ्लाईओवर की स्थिति का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि एक्सपेंशन ज्वाइंट के पास करीब एक मीटर लंबा हिस्सा अचानक गिर गया, जिससे आसपास के लोगों में दहशत फैल गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर के क्षतिग्रस्त हिस्से को जल्द से जल्द मरम्मत किया जाएगा और ठेकेदार को तत्काल मरम्मत कार्य में लगा दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण में किसी तरह की लापरवाही की जांच की जाएगी और यदि दोषी पाए जाते हैं तो कार्यदायी संस्था पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रवीण कुमार ने आगे कहा कि इस तरह की घटनाएं कभी-कभी तकनीकी कारणों से भी हो सकती हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता है कि इस समस्या को जल्द से जल्द ठीक किया जाए ताकि जनता को किसी तरह की असुविधा न हो। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और दोषियों पर कब तक कार्रवाई होती है।
एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने इस घटना को गंभीर मानते हुए तुरंत आवश्यक कदम उठाने की बात कही। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी जिलाधिकारी सहित अन्य उच्च अधिकारियों को दे दी गई है, ताकि इस पर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई हो सके। प्रशासन इस मामले को लेकर पूरी तरह सतर्क है और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर से मलबा गिरना एक गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, इसलिए इसकी गहराई से जांच करने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जाएगी। इस कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञों और संबंधित अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, ताकि जांच निष्पक्ष और विस्तृत हो। एसडीएम ने आगे स्पष्ट किया कि यदि जांच के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही पाई जाती है, चाहे वह निर्माण एजेंसी की ओर से हो या संबंधित विभागों की तरफ से, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन इस मामले में किसी भी प्रकार की रियायत देने के मूड में नहीं है और यदि निर्माण में किसी प्रकार की गड़बड़ी साबित होती है, तो ठेकेदार एवं संबंधित अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन हरसंभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मलबा गिरने की खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया और वे तुरंत मौके पर पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन करने लगे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्थानीय विधायक त्रिलोक सिंह चीमा और पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा को घेर लिया और निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि फ्लाईओवर शुरू से ही मानकों के अनुरूप नहीं बनाया गया था और यह हादसा उसी लापरवाही का नतीजा है। कांग्रेस नेता संदीप सहगल ने इस मुद्दे पर सरकार और प्रशासन को घेरते हुए कहा कि हमने इस फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान कई बार खराब गुणवत्ता को लेकर प्रदर्शन किए थे, लेकिन अधिकारियों ने हमारी बातों को नजरअंदाज कर दिया। आज नतीजा यह है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद फ्लाईओवर की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि एक साल के भीतर ही इसका मलबा गिरने लगा। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार का नतीजा है, जिसकी कीमत अब जनता को अपनी सुरक्षा के साथ चुकानी पड़ रही है। उन्होंने आगे कहा कि “अगर सरकार और संबंधित अधिकारियों ने समय रहते निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान दिया होता, तो आज यह स्थिति नहीं आती। जनता के पैसों का दुरुपयोग किया गया और अब यह फ्लाईओवर लोगों के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।” कांग्रेस ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इस पूरे विवाद पर स्थानीय विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया और निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर का मलबा गिरना चिंताजनक है और प्रशासन इस पर पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इसकी गहराई से जांच कराई जाएगी, ताकि निर्माण में हुई किसी भी तरह की लापरवाही सामने आ सके। विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए विधायक चीमा ने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने के बजाय हमें समाधान पर ध्यान देना चाहिए। जनता की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और हम इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं।” उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “कुछ लोग सिर्फ राजनीति करने के लिए आरोप लगा रहे हैं, जबकि हमें मिलकर इस समस्या का हल निकालना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम पहले ही विभागीय अधिकारियों से इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कर चुके हैं और मरम्मत कार्य जल्द ही शुरू कराया जाएगा। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अगर किसी स्तर पर कोई लापरवाही हुई है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस फ्लाईओवर का निर्माण लगभग 7 वर्षों में पूरा हुआ था और इसे जनता को समर्पित हुए सिर्फ एक साल हुआ है। ऐसे में इसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि निर्माण कार्य के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था, जिससे अब यह फ्लाईओवर जनता के लिए मौत का जाल बनता जा रहा है। स्थानीय लोगों का भी यही कहना है कि जब फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा था, तब कई बार निर्माण की खराब गुणवत्ता को लेकर शिकायतें की गई थीं, लेकिन प्रशासन और संबंधित विभागों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। अब जब फ्लाईओवर का हिस्सा गिरा है, तब प्रशासन की नींद खुली है। वहीं, कुछ स्थानीय व्यापारियों और राहगीरों ने भी इस पूरे मामले पर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि अगर यह हादसा दिन के समय हुआ होता, तो बड़ा हादसा हो सकता था। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और सरकार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेगी या फिर यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
अब यह देखने वाली बात होगी कि प्रशासन और सरकार इस गंभीर मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं। फिलहाल, लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और इस फ्लाईओवर को लेकर बड़े पैमाने पर जांच की मांग उठ रही है। क्या सरकार इस हादसे को सिर्फ एक तकनीकी खामी बताकर पल्ला झाड़ लेगी या फिर इस घोटाले के असली गुनहगारों को सजा मिलेगी? यह सवाल अब हर काशीपुरवासी के मन में उठ रहा है!