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थाली-कनस्तर की गूंज में डूबा रामनगर शराब दुकान बंद करने उठी महिला क्रांति

गोपाल नगर में शराब दुकान के खिलाफ भड़का महिला आक्रोश, सरकार और विधायक को दी खुली चेतावनी, चुनाव में होगा जबरदस्त विरोध।

रामनगर। जब गोपाल नगर नंबर 6 में खोली गई नई शराब की दुकान के विरोध में महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। हाथों में थाली, कनस्तर और बर्तन लेकर दर्जनों महिलाओं ने विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय का घेराव कर जबरदस्त प्रदर्शन किया। नारेबाजी इतनी तेज थी कि पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। महिलाएं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार आवाज में विरोध दर्ज करा रही थीं। उनका कहना था कि गांव की शांति और संस्कार को खत्म करने वाली शराब की दुकान किसी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी। प्रदर्शन का नेतृत्व महिला एकता मंच और अन्य सामाजिक संगठनों ने मिलकर किया। इन महिलाओं ने विधायक कार्यालय के बाहर डटे रहकर सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो उनका आंदोलन और उग्र हो जाएगा।

ग्रामीणों का आरोप था कि गोपाल नगर में जिस शराब की दुकान को खोला गया है, वह बीजेपी से जुड़ी एक प्रभावशाली नेत्री के दबाव में खोली गई है। महिलाओं का कहना था कि प्रदेश सरकार ने कुछ समय पूर्व शराब की दुकानों को बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन और सरकार की मिलीभगत से यह दुकान आज भी चल रही है। प्रदर्शन में शामिल महिलाएं साफ शब्दों में कह रही थीं कि यदि इस दुकान को बंद नहीं किया गया तो भविष्य में चुनाव के समय थाली और कनस्तर बजाकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों का खुला बहिष्कार किया जाएगा। गांव की बेटियों और महिलाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने वाली इस व्यवस्था के खिलाफ ग्रामीण अब आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं।

गांव की महिलाओं ने यह भी सवाल उठाए कि सरकार नशे को बढ़ावा देने वाली दुकानों को खुलवाने में तो सक्रिय है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि सरकार के पास गांवों में शराब बेचने का समय है, लेकिन युवाओं के लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था करने का वक्त नहीं। महिलाएं आक्रोशित थीं कि सरकार की नीति और नीयत दोनों ही स्पष्ट रूप से गांव विरोधी और समाज विरोधी दिखाई दे रही है। उन्होंने दो टूक कहा कि यदि सरकार ने ग्रामीण समाज की आवाज को अनसुना किया तो अब यह आंदोलन केवल शराब की दुकान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सरकार की हर जनविरोधी नीति का पुरजोर विरोध होगा।

आक्रोशित महिलाओं ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वर्षों की मशक्कत के बाद एक महिला चिकित्सक और एक अन्य डॉक्टर की तैनाती कराई गई थी। मगर हाल ही में दोनों का तबादला कर दिया गया और अब गांव के मरीज दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से पूछा कि क्या सरकार की प्राथमिकता सिर्फ शराब बेचना है या जनता को मूलभूत सुविधाएं देना। महिलाओं ने चेताया कि यदि गोपाल नगर की शराब की दुकान को बंद नहीं किया गया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तत्काल डॉक्टर की तैनाती नहीं की गई तो प्रदर्शन का स्वरूप इतना व्यापक होगा कि सरकार और प्रशासन दोनों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

इस विरोध प्रदर्शन ने एक बात पूरी तरह से स्पष्ट कर दी कि गांव की महिलाएं अब सिर्फ घर की चौखट तक सीमित नहीं रहने वाली। उनके भीतर अपने परिवार, समाज और गांव के भविष्य को सुरक्षित रखने की जो आग जल रही है, वह अब सड़कों तक आ चुकी है। यह आंदोलन सिर्फ शराब की दुकान का विरोध नहीं बल्कि एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। ग्रामीणों का कहना है कि अब चाहे सरकार को कितना भी नुकसान हो, लेकिन समाज को बर्बाद करने वाले किसी भी तंत्र को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। थाली और कनस्तर की गूंज ने यह साफ कर दिया है कि अब गांव की बेटियां और माताएं चुप नहीं रहने वालीं।

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