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संभल हिंसा की गूंज, जांच तेज़ – बड़े खुलासों की आहट

संभल में न्यायिक जांच तेज, गवाहों के बयान दर्ज, साज़िश से उठेगा पर्दा

संभल। पिछले साल हुए सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच कमेटी ने दो दिन तक इलाके में रहकर गंभीरता से छानबीन की। इस दौरान समिति ने डीएम, एडीएम और एसडीएम सहित कुल 45 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इसके अलावा मुरादाबाद जेल में बंद 77 आरोपियों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज किए गए। जो गवाह अब तक अपने बयान दर्ज नहीं करा सके हैं, उन्हें जरूरत पड़ी तो लखनऊ बुलाया जा सकता है।

ज्ञात हो कि 24 नवंबर 2024 को संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया था। इस घटना में चार लोगों की जान चली गई थी, जबकि 29 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे। हालात को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज देवेंद्र अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी का गठन किया था।

इस जांच टीम ने पहली बार 1 दिसंबर 2024 को हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा किया था। उसके बाद 21 जनवरी और 30 जनवरी को भी टीम ने संभल पहुंचकर संबंधित अधिकारियों और आम नागरिकों के बयान दर्ज किए थे। चौथी बार, 28 फरवरी को यह टीम दो दिवसीय दौरे पर फिर से संभल पहुंची और विस्तृत जांच पड़ताल की। इस दौरान टीम ने पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में रहकर 28 फरवरी को डीएम, एसडीएम, चिकित्सकों और आम नागरिकों सहित 29 लोगों के बयान दर्ज किए। इसके बाद 1 मार्च को भी शेष बचे गवाहों के बयान दर्ज किए गए।

न्यायिक जांच कमेटी के सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने बताया कि दो दिन के दौरे में कुल 45 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। इनमें प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्थानीय नागरिकों और उन गवाहों के बयान शामिल हैं, जिन्होंने शपथ पत्र देकर गवाही देने की इच्छा जताई थी। इसके अलावा, मुरादाबाद जेल में बंद 77 आरोपियों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिए गए हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि आगे और गिरफ्तारियां होती हैं तो उन आरोपियों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे।

जांच कमेटी ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि जरूरत पड़ी तो बचे हुए गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए उन्हें लखनऊ बुलाया जा सकता है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए हर गवाह की गवाही को महत्व दिया जा रहा है ताकि घटना की सच्चाई पूरी तरह से सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके।

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