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महिलाओं का शक्ति प्रदर्शन, शराब ठेके के खिलाफ आंदोलन 35वें दिन भी जारी

महिलाओं की विरोध की लहर ने प्रशासन को घेरा, शराब ठेके का निरस्तीकरण ना होने तक आंदोलन जारी रखने का लिया संकल्प।

रामनगर। पाटकोट रोड पर स्थित शराब ठेके के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन अब एक गंभीर मोड़ पर पहुँच चुका है। इस आंदोलन को लेकर महिलाओं का हौसला दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और 35वें दिन भी उनका धरना जारी है। इस संघर्ष में वे बिल्कुल भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, और उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक शराब की दुकान का निरस्तीकरण का आधिकारिक आदेश जारी नहीं होता, उनका आंदोलन चलता रहेगा। महिलाएं अब इस बात की जिद पर अड़ी हुई हैं कि बिना आदेश के वे धरना नहीं छोड़ेंगी। अब इस बढ़ते आंदोलन को लेकर महिलाओं ने शासन और प्रशासन से कड़ा सवाल उठाया है कि अगर उनके मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं की जाती तो वे सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगी और उनसे समाधान की मांग करेंगी।

यह धरना न केवल महिलाओं के लिए एक संघर्ष का प्रतीक बन चुका है, बल्कि यह स्थानीय समाज में भी अपनी गहरी छाप छोड़ रहा है। महिलाएं यह आरोप लगाती हैं कि शराब की दुकान ने क्षेत्र के सामाजिक माहौल को बिगाड़ दिया है। खासतौर से युवाओं में नशे की लत बढ़ने से परिवारों में खलबली मची हुई है। उनका कहना है कि एक ऐसे क्षेत्र में जहां महिलाएं अपनी सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं, वहां शराब की दुकान की उपस्थिति को हरगिज़ स्वीकार नहीं किया जा सकता। महिलाओं का साफ कहना है कि यह आंदोलन केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के भले के लिए है। वे चाहती हैं कि सरकार इस मुद्दे पर तुरंत कदम उठाए और शराब की दुकान को वहां से हटाया जाए।

स्थानीय लोगों का भी महिलाओं के आंदोलन में पूरा समर्थन है। उन्हें पूरा यकीन है कि शराब की दुकान के कारण इलाके में न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने में हलचल मची है, बल्कि यह नशे की लत को भी बढ़ावा दे रही है। कई स्थानीय नागरिकों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और कहा कि यह शराब ठेका न केवल महिलाओं के लिए खतरा पैदा कर रहा है, बल्कि यह पूरे इलाके की शांति और सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है। महिलाओं के संघर्ष को देखते हुए अब यह सवाल उठ रहा है कि प्रशासन और सरकार कितनी जल्दी इस मामले में सख्त कदम उठाती है और महिलाओं की मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाती है।

महिलाओं का यह आंदोलन अब अपने चरम पर है और उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि अगर शासन और प्रशासन से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आती, तो वे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगी। महिलाएं यह महसूस कर रही हैं कि उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। उनका कहना है कि वे किसी भी हालत में पीछे नहीं हटेंगी और जब तक उन्हें आधिकारिक आदेश नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा। महिलाओं की एकजुटता और दृढ़ता इस आंदोलन को एक नई दिशा दे रही है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन और प्रशासन की तरफ से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है।

इस आंदोलन का असर केवल पाटकोट रोड के आसपास ही नहीं, बल्कि पूरे रामनगर इलाके पर भी देखने को मिल रहा है। स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया महिलाओं के पक्ष में रही है, और यह आंदोलन अब एक बड़े सामाजिक मुद्दे का रूप ले चुका है। महिलाएं लगातार अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं, और उनका कहना है कि यह लड़ाई केवल एक शराब की दुकान को हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक बदलाव का हिस्सा है। वे चाहती हैं कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दे और नशे की बढ़ती लत को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

इस संघर्ष के बीच, महिलाओं का संदेश साफ हैरू वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं और जब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार और प्रशासन के पास अब इस मामले पर जल्दी निर्णय लेने का समय है। क्या वे इस मामले में महिलाओं की आवाज़ सुनेंगे या फिर इस मुद्दे को और टालेंगे? यह सवाल अब रामनगर के हर नागरिक के मन में है, और इस पर कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है।

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