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भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उमड़ा जनसैलाब भावनाओं और संकल्पों का सागर बना माहौल

राज्य आंदोलनकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देकर उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का लिया संकल्प

रामनगर। भारत रत्न और संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्य जयंती पर लखनपुर क्षेत्र में जबरदस्त श्रद्धा और सम्मान के साथ उन्हें याद किया गया। इस विशेष अवसर पर सामाजिक, राजनैतिक और शिक्षक संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोगों ने एकजुट होकर बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके विचारों को जनमानस तक पहुंचाने का संकल्प लिया। आयोजन स्थल पर पूरे क्षेत्र का माहौल भावनात्मक और प्रेरणादायक था, जहां हर आयु वर्ग के लोगों की उपस्थिति यह दर्शा रही थी कि बाबा साहब की शिक्षाएं आज भी जनमानस के मन में जीवंत हैं। श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने बाबा साहब के जीवन दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि उन्होंने अपने जीवन को सामाजिक न्याय और समानता की स्थापना हेतु समर्पित कर दिया। इस आयोजन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की आंखों में आदर के साथ-साथ प्रेरणा का भाव साफ झलक रहा था, जिसने इस कार्यक्रम को एक जीवंत श्रद्धांजलि सभा में बदल दिया।

राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर न केवल एक संविधान निर्माता थे, बल्कि वे समाज के उन अनगिनत तबकों की आवाज भी बने जिन्हें सदियों से दबाया और कुचला गया था। उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने जीवन भर अशिक्षा, छुआछूत, ऊंच-नीच की व्यवस्था और सामाजिक पाखंड के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पूरे समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान की। उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान एक ऐसी ऐतिहासिक क्रांति थी, जिसने हर नागरिक को समान अधिकार, न्याय, समरसता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उपासना की स्वतंत्रता और मताधिकार जैसे अधिकार देकर भारत को सशक्त लोकतंत्र बनाया। उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब की विचारधारा किसी जाति या वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक आदर्श दर्शन है, जिसे आत्मसात करना समय की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों में गोविंद सिंह विष्ट, महेश, बसंत लाल वर्मा, नवेन्दु जोशी, आनंद बल्लभ पाठक, प्रकाश फुलोरिया, देवेंद्र बिष्ट, और स्वयं प्रभात ध्यानी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। इन सभी ने मिलकर न केवल बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की, बल्कि उनके योगदान पर भी अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आज के समाज में जब असमानता और भेदभाव जैसी प्रवृत्तियां दोबारा सिर उठाने लगी हैं, तब बाबा साहब की शिक्षाएं और संविधान में निहित मूल अधिकारों की रक्षा करना हर नागरिक का नैतिक दायित्व बन जाता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया और शैक्षिक मंचों के माध्यम से बाबा साहब के विचारों को अधिक से अधिक प्रसारित करें और उनके बताए रास्ते पर चलकर एक समरस और सशक्त भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

इस अवसर पर भावनात्मक माहौल के साथ-साथ राष्ट्रगान और बाबा साहब की प्रिय रचनाओं की गूंज भी सुनाई दी, जिसने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में आए लोगों ने यह भी प्रस्ताव रखा कि हर वर्ष इस दिन को केवल औपचारिकता नहीं बल्कि एक प्रेरणादायक जनआंदोलन के रूप में मनाया जाए, जिसमें न केवल श्रद्धांजलि दी जाए बल्कि उनके सिद्धांतों को व्यवहार में लाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएं। इस भावनात्मक और जागरूकता से भरपूर आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि डॉ भीमराव अंबेडकर का विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है जितना उनके समय में था, और उनके विचारों की लौ आने वाले समय को भी रोशन करती रहेगी।

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