किच्छा। उत्तराखंड सरकार द्वारा लाए गए नए भू कानून को लेकर विपक्ष ने बड़ा हमला बोला है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये इस कानून को जनता के साथ एक और छलावा करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार जिस नए कानून को सख्त भू कानून के रूप में प्रचारित कर रही है, वह वास्तव में श्खोदा पहाड़, निकली चुहियाश् जैसा साबित हो रहा है। यह कानून उत्तराखंड के निकाय क्षेत्रों में लागू ही नहीं होता, जिससे इसकी सबसे बड़ी कमजोरी सामने आती है। जब यह कानून प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में जमीनों की असीमित खरीद की छूट देता है, तो फिर इसे सख्त कहना एक भ्रामक प्रचार मात्र है।
उन्होने कहा कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लगभग 185 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता है, जिसमें कैंटोनमेंट क्षेत्र को छोड़ दें, तो लगभग ढाई लाख बीघा जमीन उपलब्ध है। इसी तरह अन्य शहरी क्षेत्रों में भी बड़ी मात्रा में प्राइम लैंड मौजूद है। लेकिन सरकार का नया कानून इन शहरों में जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त की अनुमति देता है, जिससे बड़े बिल्डरों और भू-माफियाओं को खुला खेल खेलने का मौका मिलेगा। उन्होने कहा कि जो लोग पहाड़ों में भूमि की सुरक्षा के लिए इस कानून को सख्त मान रहे थे, वे अब देख सकते हैं कि यह वास्तव में एक खोखला कदम है।
उन्होने कहा कि सरकार ने शहरी क्षेत्रों में भूमि की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं रखा, बल्कि इसे पूरी तरह से मुक्त कर दिया है, जिससे प्रदेश के संसाधनों का तेजी से दोहन होगा और पहाड़ी जिलों के लोग अपने ही प्रदेश में बेघर होते जाएंगे। डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि सरकार का यह कदम केवल बाहरी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की एक चाल है, जिसमें आम नागरिकों के हितों की कोई चिंता नहीं की गई है। उन्होने कहा कि यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि सरकार की प्राथमिकता स्थानीय लोगों के कल्याण से अधिक उन लोगों की जेबें भरने में है, जो पहले से ही प्रदेश की भूमि पर अपना कब्जा जमाने की फिराक में थे। डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि अगर सच में सरकार का उद्देश्य उत्तराखंड की जमीनों की सुरक्षा करना होता, तो वह ऐसे प्रावधान लाती, जिससे पहाड़ के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता मिलती और बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद को नियंत्रित किया जाता। लेकिन यह नया भू कानून पूरी तरह से बाहरी शक्तियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया प्रतीत होता है।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि पहले जो भू कानून था, वह पूरे उत्तराखंड पर समान रूप से लागू होता था, जिससे पहाड़ और मैदान दोनों की भूमि को बचाने में मदद मिलती थी। लेकिन अब यह नया कानून विशेष रूप से हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त के सभी प्रतिबंध हटा देता है। डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि अब इसका सीधा असर यह होगा कि बाहरी लोग आकर इन जिलों में किसानों की जमीनें खरीदेंगे और स्थानीय लोग विस्थापित होते जाएंगे। यह नीति प्रदेश के किसानों की जमीन छीनकर उद्योगपतियों और बड़े बिल्डरों के हाथों में सौंपने की कोशिश है।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि यदी सरकार को अगर सच में भू कानून सख्त बनाना होता तो वह निकाय क्षेत्रों को भी इसमें शामिल करती और पहाड़ों में जमीन खरीदने पर सख्त पाबंदी लगाती। उन्होने बताया कि इस कानून की धारा 2 स्पष्ट रूप से कहती है कि यह कानून नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका और छावनी परिषद में लागू नहीं होगा। इसका मतलब यह हुआ कि प्रदेश के 100 से ज्यादा शहरी निकायों में इस कानून की कोई अहमियत नहीं है। ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि मैदान के दो जिलों में ही 33 निकाय आते हैं, जबकि बाकी निकाय पहाड़ी जिलों में हैं। ऐसे में यह कानून केवल दिखावे के लिए लाया गया है और इसका कोई ठोस प्रभाव पहाड़ी इलाकों में नहीं पड़ेगा। उन्होने कहा कि सरकार की यह नीति सीधे तौर पर पहाड़ की भूमि को बाहरी लोगों के हाथों में सौंपने की चाल है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार जनता के बजाय बाहरी पूंजीपतियों के हित साधने में लगी हुई है।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि यह नया भू कानून स्थानीय निवासियों के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा और प्रदेश के मूल निवासियों की भूमि धीरे-धीरे बाहरी लोगों के कब्जे में चली जाएगी। अगर सरकार सच में उत्तराखंड के विकास की पक्षधर होती, तो वह ऐसे प्रावधान बनाती, जिससे प्रदेश के नागरिकों को सशक्त किया जाता, न कि बाहरी निवेशकों को खुली छूट दी जाती। लेकिन यह सरकार जनता के बजाय सिर्फ पूंजीपतियों के एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी हुई है।
‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये डॉ. गणेश उपाध्याय ने जोर देते हुए कहा कि इस कानून में सबसे खतरनाक प्रावधान यह है कि मैदान में एक बार जमीन खरीदने के बाद कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड का भूमिधर बन जाएगा और फिर उसे प्रदेश में कहीं भी जमीन खरीदने का हक मिल जाएगा। यह कानून प्रदेश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है और इसके कारण पहाड़ों में भूमि संकट और बढ़ जाएगा। ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये उन्होने कहा कि अगर सरकार को सच में सख्त भू कानून बनाना होता, तो वह पहाड़ों में कृषि भूमि की रक्षा के लिए कड़े नियम बनाती, न कि मैदानों में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने की खुली छूट देती।
‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि यह सरकार प्रदेश की जनता के लिए नहीं, बल्कि बड़े बिल्डरों और पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए काम कर रही है। कांग्रेस इस कानून का पूरी तरह से विरोध करेगी और जनता के सामने इस छलावे को बेनकाब करेगी। ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि यदि यह कानून सच में पहाड़ों और स्थानीय लोगों के हित में होता, तो सरकार इसे प्रदेश के सभी क्षेत्रों में समान रूप से लागू करती और भूमि संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाती। लेकिन इस कानून के जरिए सरकार ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि उसे सिर्फ बिल्डरों, भू-माफियाओं और पूंजीपतियों की परवाह है, न कि आम जनता की। उपाध्याय ने कहा कि यह कानून उत्तराखंड की जनता को धोखा देने की एक चाल है, जिसमें सरकार ने जानबूझकर बाहरी निवेशकों को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र रचा है।