हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। धार्मिक नगरी हरिद्वार एक बार फिर अपने धार्मिक स्वरूप को संजोने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। हरिद्वार नगर निगम ने अब मीट की दुकानों को नगर क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित करने का निर्णायक फैसला कर लिया है। यह निर्णय न केवल शहर की धार्मिक गरिमा को अक्षुण्ण रखने के लिए लिया गया है, बल्कि स्थानीय लोगों और साधु-संतों की वर्षों से चली आ रही मांग को देखते हुए भी इसे अमल में लाया जा रहा है। हरिद्वार नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त नंदन कुमार ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम क्षेत्र में संचालित सभी 57 रजिस्टर्ड मीट की दुकानों को अब सराय क्षेत्र में नगर निगम द्वारा निर्मित नई दुकानों में स्थानांतरित किया जाएगा। इन दुकानों का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है और शीघ्र ही स्थानांतरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
विगत कई वर्षों से हरिद्वार के ज्वालापुर और जगजीतपुर इलाकों में संचालित मांस की दुकानों को लेकर लगातार विरोध होता रहा है। जहां एक ओर साधु-संतों का कहना था कि इन दुकानों से तीर्थ नगरी की मर्यादा को ठेस पहुंचती है, वहीं स्थानीय नागरिकों को भी इससे जुड़ी कई असुविधाओं का सामना करना पड़ता था। इसी को ध्यान में रखते हुए नंदन कुमार ने बोर्ड बैठक में इस विषय को प्रमुखता से उठाया, जहां से इसके स्थानांतरण का प्रस्ताव पारित किया गया। इस पूरी प्रक्रिया को बेहद सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है ताकि दुकानदारों को भी किसी प्रकार की असुविधा न हो और नगर निगम की प्रतिष्ठा भी बनी रहे।
हरिद्वार की पवित्रता और धार्मिक महत्व को लेकर जो भाव श्रद्धालुओं में होता है, उसे बरकरार रखने के लिए हरिद्वार नगर निगम ने यह ठोस कदम उठाया है। नंदन कुमार के अनुसार हर वर्ष लाखों श्रद्धालु चार धाम यात्रा के दौरान हरिद्वार से होकर गुजरते हैं। इसके अतिरिक्त कांवड़ यात्रा और कुंभ जैसे भव्य आयोजनों में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। ऐसे में जब तीर्थ यात्री धर्मनगरी में प्रवेश करते हैं तो उनका पहला अनुभव शहर की स्वच्छता, धार्मिकता और वातावरण से जुड़ा होता है। मीट और मांस की दुकानों की मौजूदगी उस अनुभव को खंडित करती है, इसलिए नगर निगम ने इसे अपनी प्राथमिकता में शामिल करते हुए सख्ती से इस पर काम शुरू कर दिया है।
जहां एक ओर रजिस्टर्ड दुकानों को शिफ्ट किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नंदन कुमार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो मांस की दुकानें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं, उनके खिलाफ भी समय-समय पर अभियान चलाया गया है और आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम का उद्देश्य है कि पूरे क्षेत्र को धार्मिक दृष्टिकोण से स्वच्छ, पवित्र और मर्यादित रूप में प्रस्तुत किया जाए। इसके लिए निगम द्वारा बनाए गए बायलॉज का भी पूरी तरह पालन किया जाएगा और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सिर्फ मीट की दुकानों तक ही निगम की योजना सीमित नहीं है, बल्कि अब हरिद्वार नगर निगम ने नॉनवेज रेस्टोरेंट को भी नगर क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। मुख्य नगर आयुक्त नंदन कुमार ने बताया कि नॉनवेज रेस्टोरेंट को लेकर भी नगर निगम में योजना तैयार कर ली गई है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। उनका कहना है कि धार्मिक नगरी में ऐसे व्यंजनों की सार्वजनिक बिक्री से श्रद्धालुओं की भावना आहत होती है, इसलिए इन्हें भी निर्धारित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा। इस निर्णय का स्वागत न केवल धार्मिक संगठनों द्वारा किया जा रहा है, बल्कि आमजन भी इसे एक सराहनीय कदम मान रहे हैं।
नंदन कुमार ने कहा कि हमारा प्रयास है कि तीर्थ की मर्यादा को पूरी निष्ठा के साथ संजोया जाए। हरिद्वार न केवल एक शहर है, बल्कि यह आस्था और संस्कृति का प्रतीक भी है। इसके धार्मिक स्वरूप को अक्षुण्ण बनाए रखना हर नागरिक और हर प्रशासक की जिम्मेदारी है। यही कारण है कि हरिद्वार नगर निगम की ओर से जो भी संभव प्रयास हो सकता है, उसे पूरी गंभीरता के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा नवनिर्मित दुकानों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे व्यवसायियों को भी व्यवस्थित रूप से अपने काम को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
इस फैसले के बाद हरिद्वार में धार्मिक वातावरण को और अधिक पवित्र, सुव्यवस्थित और आकर्षक बनाए जाने की उम्मीद की जा रही है। शहर की छवि को वैश्विक स्तर पर एक आदर्श तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में यह एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है। नगर निगम और नंदन कुमार की यह पहल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर के समग्र विकास और प्रबंधन की दृष्टि से भी एक प्रभावी प्रयास साबित हो रही है।