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देवउठान एकादशी पर 31 कन्याओं का होगा भव्य सामूहिक विवाह समारोह काशीपुर में

माँ बाल सुन्दरी परिणय सेवा संस्था के आठवें आयोजन में निकलेगी 31 दूल्हों की बारात, तैयारियों में जुटा पूरा शहर भक्तिमय माहौल में

काशीपुर। देवउठान एकादशी के पावन अवसर पर काशीपुर में फिर एक बार एक भव्य और सामाजिक सरोकार से जुड़ा आयोजन होने जा रहा है, जिसकी तैयारियां तेज़ी से जारी हैं। माँ बाल सुन्दरी परिणय सेवा संस्था इस वर्ष 1 नवम्बर को चौती मेला परिसर में 31 जरूरतमंद कन्याओं का सामूहिक विवाह कराएगी। यह आयोजन संस्था की ओर से आठवीं बार आयोजित किया जा रहा है और पिछले अनुभवों को देखते हुए इस बार की तैयारियों को विशेष भव्यता दी जा रही है। शिवाय रिसॉर्ट, कुंडेश्वरी रोड स्थित चौती चौराहे के पास आयोजित प्रेसवार्ता में संस्था के अध्यक्ष एवं आयोजन प्रमुख आनन्द कुमार एडवोकेट ने बताया कि बाल सुन्दरी संस्था वर्ष 2015 से इस सामाजिक पहल को निरंतर आगे बढ़ा रही है। कोरोना काल को छोड़ दें, तो संस्था अब तक 150 से अधिक निर्धन कन्याओं के विवाह संपन्न करवा चुकी है, जिसमें 2023 में 21 कन्याओं की शादी का आयोजन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।

कार्यक्रम की मूल भावना केवल विवाह कराना नहीं, बल्कि जरूरतमंद परिवारों की सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान को सुरक्षित रखना भी है। संस्था के महासचिव सुरेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष 31 कन्याओं के लिए यह आयोजन किया जा रहा है, जिसकी तैयारियों में संस्था की पूरी टीम कई महीनों से जुटी हुई है। आवेदन पत्रों की गहन छानबीन की जाती है, और पात्र परिवारों का चयन संस्था की टीम द्वारा व्यक्तिगत जांच के आधार पर सुनिश्चित किया जाता है। यह आयोजन केवल एक शादी समारोह नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण है, जिसमें सहयोग, करुणा और मानवीयता की भावना केंद्र में रहती है। आनन्द कुमार एडवोकेट ने बताया कि उन्हें इस आयोजन की प्रेरणा बांसियोंवाला मंदिर समिति से मिली, जहां वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर चन्द्र आढ़ती के नेतृत्व में प्रतिवर्ष 11 गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कराया जाता था।

बांसियोंवाला मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे स्व. सुधीर चन्द्र आढ़ती के निधन के बाद जब इस पहल में विराम लग गया, तब स्वर्गीय बाबूराम जी, जो संस्था के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे, ने इस परंपरा को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी ली। उन्हीं की सोच से 22 नवम्बर 2015 को पहली बार चौती मेला परिसर में सामूहिक विवाह की यह शृंखला प्रारंभ हुई, जिसमें 21 कन्याओं का विवाह सनातन धर्म की विधिपूर्वक पद्धति से संपन्न हुआ था। यह आयोजन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि उन परिवारों के लिए जीवन की सबसे बड़ी राहत है, जो अपनी बेटियों की शादी के खर्च के बोझ तले दबे रहते हैं। हर बार की तरह इस बार भी संस्था उन सभी व्यवस्थाओं का ध्यान रख रही है, जो किसी सम्मानजनक विवाह समारोह में आवश्यक होती हैं।

धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए संस्था के कोषाध्यक्ष एवं धार्मिक गतिविधियों के प्रमुख पंडा विकास अग्निहोत्री विशेष रूप से पूरी व्यवस्था देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि विवाह विधियां पूर्णतः वैदिक नियमों के अनुसार करवाई जाएंगी और सभी वर-वधुओं को विवाह प्रमाण पत्र भी कार्यक्रम स्थल पर ही प्रदान किए जाएंगे। विवाह के बाद दोनों पक्षों को भेंट-उपहार भी संस्था की ओर से दिए जाएंगे, ताकि नए जीवन की शुरुआत में उन्हें सहारा मिल सके। संस्था के संयोजक अनिल कुमार (पार्षद) ने जानकारी दी कि 1 नवम्बर को 31 दूल्हों की बारात श्रीरामलीला मैदान से धूमधाम के साथ निकाली जाएगी, और चौती मेला परिसर में पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। यह बारात नगर में उत्सव का माहौल बनाएगी और फिर विवाह की अन्य विधियां पूरी होंगी।

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आयोजन को गरिमा प्रदान करने और व्यापक स्तर पर सहयोग सुनिश्चित करने हेतु संस्था की ओर से कई जिम्मेदारियों का बंटवारा किया गया है। प्रेसवार्ता में नीरज कांडपाल भी उपस्थित रहे और उन्होंने समाज से इस आयोजन को सहयोग देने की अपील की। उन्होंने कहा कि समाज में अगर ऐसे कार्यों को अधिक समर्थन और मान्यता मिले, तो कई ऐसे परिवार जिनकी बेटियां विवाह योग्य हैं, लेकिन संसाधन नहीं, उनके जीवन में भी रौशनी आ सकती है। माँ बाल सुन्दरी परिणय सेवा संस्था की यह पहल उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के इच्छुक हैं। विवाह जैसे धार्मिक और सामाजिक अवसर को जरूरतमंदों के लिए अवसर में बदल देना ही इस संस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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