रामनगर। बदलते समय के साथ तकनीकी विकास ने इंसान की जिंदगी को आसान बना दिया है, लेकिन इसी तकनीकी क्रांति ने एक नए खतरे को भी जन्म दिया हैकृई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा)। मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, फ्रिज, बैटरी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते उपयोग के साथ ही इनका कचरा भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसका सही तरीके से निस्तारण न होने से वायु और जल प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसी गंभीर विषय पर समाज को जागरूक करने के लिए पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर के भौतिकी विभाग में विंकुलर फाउंडेशन द्वारा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डे ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में ई-वेस्ट के दुष्प्रभावों को विस्तार से समझाया और इसे कम करने के प्रभावी तरीकों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ष्ई-वेस्ट आज दुनिया की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक बन चुका है। अगर इसे अभी नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।ष्
कार्यक्रम के दौरान विंकुलर फाउंडेशन के प्रतिनिधि शुभम सिंह एवं उनकी टीम ने छात्रों को बताया कि भारत सरकार ने ई-वेस्ट को कम से कम करने के लिए 2070 तक एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जागरूकता सबसे जरूरी है। उन्होंने समझाया कि ई-वेस्ट का उचित प्रबंधन न होने की वजह से यह जहरीले रसायनों के रूप में वातावरण को दूषित कर रहा है। विंकुलर फाउंडेशन की टीम ने ‘स्क्रैप डोर ऐप’ की भी जानकारी दी, जिसके माध्यम से लोग अपने घरों से ही ई-वेस्ट को सही तरीके से बेच सकते हैं। यह ऐप ई-वेस्ट के निस्तारण में मदद करेगा और इसे रीसाइक्लिंग के लिए सही जगह पर पहुंचाने का काम करेगा।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुभाष पोखरियाल और कार्यक्रम सचिव मनोज नैनवाल ने ई-वेस्ट और उसकी रीसाइक्लिंग की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने छात्रों को बताया कि यदि हम ई-वेस्ट को सही तरीके से रीसाइक्लिंग करें तो इससे कई कीमती धातुओं को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे नए संसाधनों की जरूरत कम होगी और पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा।
डॉ. सुभाष पोखरियाल छात्रों को बताया कि ई-वेस्ट ने उन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को कहते हैं जो बेकार हो चुके हैं और उपयोग में नहीं आते। इनमें पुराने मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टीवी, बैटरियां, प्रिंटर, इलेक्ट्रॉनिक खिलौने और अन्य उपकरण शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब ये उपकरण सही तरीके से डिस्पोज़ नहीं किए जाते तो इनमें मौजूद लेड, पारा, कैडमियम और अन्य जहरीले तत्व मिट्टी और जल स्रोतों को दूषित कर देते हैं। डॉ. सुभाष पोखरियाल ने बताया कि यदि हम ई-वेस्ट को सही तरीके से नहीं संभालते तो यह आने वाले समय में एक भयंकर संकट का रूप ले सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि विकसित देशों में ई-वेस्ट के निस्तारण के लिए पहले से ही सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन भारत में अभी इस दिशा में और अधिक जागरूकता की जरूरत है।
डॉ. सुभाष पोखरियाल छात्रों को बताया कि ई-वेस्ट के सही प्रबंधन के लिए हमें अपने स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, अनावश्यक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खरीदारी से बचना चाहिए और तभी कोई नया डिवाइस लेना चाहिए जब उसकी वास्तव में जरूरत हो। इससे ई-वेस्ट की मात्रा को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा, जिन उपकरणों की हमें जरूरत नहीं है लेकिन वे अभी भी कार्य कर रहे हैं, उन्हें कबाड़ में फेंकने के बजाय जरूरतमंदों को दान कर देना चाहिए। इससे न केवल किसी और की सहायता होगी, बल्कि ई-वेस्ट भी कम होगा। डॉ. सुभाष पोखरियाल छात्रों को बताया कि छात्रो करे बताया कि बेकार हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को किसी प्रमाणित रीसाइक्लिंग केंद्र में देकर सही तरीके से निस्तारित करना भी आवश्यक है, ताकि वे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं। उन्होने कहा कि हमें समय-समय पर आयोजित होने वाले ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राइव में भाग लेना चाहिए और अपने आस-पास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक बनाना चाहिए। उन्होने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि ई-वेस्ट को सामान्य कबाड़ में फेंकने से बचें और इसे हमेशा अधिकृत निस्तारण केंद्र तक पहुंचाएं, ताकि इसका सही तरीके से पुनर्चक्रण हो सके और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के कई वरिष्ठ प्राध्यापक, शोधकर्ता और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से प्रो. एस. एस. मौर्य, डॉ. प्रमोद जोशी, डॉ. शंकर मंडल, डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल, डॉ. पवन, डॉ. योगेश चंद्र, डॉ. पी. सी. पालीवाल, डॉ. डी. एन. जोशी, डॉ. दीपक खाती, डॉ. मुकेश त्रिपाठी, डॉ. प्रमोद पांडे समेत अन्य गणमान्य लोग शामिल रहे। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने ई-वेस्ट को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने परिवार और समाज में भी इस विषय पर जागरूकता फैलाएंगे ताकि ई-वेस्ट के खतरे को समय रहते कम किया जा सके। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डे ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अगर हम आज ई-वेस्ट के प्रति सचेत नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। हमें मिलकर इसे रोकना होगा।ष्
प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डे ने छात्रों को कहा कि ई-वेस्ट प्रबंधन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। अगर हम सभी मिलकर ई-वेस्ट को कम करने के प्रयास करें तो यह धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रह सकेगी। उन्होने कहा कि अब सवाल यह है कि क्या हम अपने पर्यावरण को बचाने के लिए सचेत होंगे, या इसे ऐसे ही इलेक्ट्रॉनिक कचरे के ढेर में तब्दील होने देंगे? वक्त है बदलाव का, वक्त है ई-वेस्ट को सही तरीके से प्रबंधित करने का!