काशीपुर। रामनगर रोड पर नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे सफाई एवं अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत जब टीम कुंदन स्वीट्स के सामने पहुंची, तो वहां एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने न केवल नगर निगम के अधिकारियों को चौंकाया बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी हैरानी में डाल दिया। खुदाई के दौरान सफाईकर्मियों को एक बेहद पुराना, गुफा जैसा नाला मिला, जिसकी बनावट और स्थिति देखकर अनुमान लगाया गया कि यह संरचना अंग्रेजों के जमाने की हो सकती है। यह नाला सड़क की गहराई में स्थित है और अत्यंत संकीर्ण होने के कारण किसी मशीन या जेसीबी की वहां पहुंच संभव नहीं थी। सैनेट्री इंस्पेक्टर मनोज बिष्ट ने बताया कि जब नाले का मुंह खोला गया, तो शुरुआत में उसमें घुसना तक मुश्किल था क्योंकि भीतर खड़े होने की भी जगह नहीं थी। इसके बावजूद सफाईकर्मियों ने साहस दिखाते हुए बैठकर खुदाई शुरू की और घंटों की मेहनत के बाद लगभग 12 से 13 फुट तक अंदर जाकर नाले की सफाई करने में सफल रहे।
नाले की दशा अत्यंत जर्जर थी और वर्षों से इसमें जमी गंदगी और मलबा जल निकासी को पूरी तरह रोक चुका था। यह पुरानी सुरंगनुमा संरचना सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक फैली हुई है, जो अब पूरी तरह बंद हो चुकी थी। सफाईकर्मियों की मेहनत और जज़्बे ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी जब इरादे मजबूत हों, तो असंभव कार्य भी संभव बनाए जा सकते हैं। यह नाला अब नगर निगम के लिए केवल एक सफाई परियोजना नहीं, बल्कि एक चुनौती बन गया है, जिसमें ऐतिहासिकता और तकनीकी जटिलताएं दोनों समाहित हैं। वहीं, जब खुदाई का कार्य चल रहा था, तब हर बीतते क्षण के साथ सफाईकर्मियों के सामने नए अवरोध आते रहे, लेकिन उन्होंने कभी पीछे हटना नहीं चुना।
इसी बीच महापौर दीपक बाली स्वयं मौके पर पहुंचे और सफाई अभियान का सूक्ष्म निरीक्षण किया। उन्होंने स्थिति का जायजा लेते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जो भी संसाधन आवश्यक होंगे, नगर निगम की ओर से तत्काल मुहैया कराए जाएंगे। महापौर ने कहा, “हम पूरे समर्पण से काम में जुटे हैं। हमारा लक्ष्य केवल नाला सफाई तक सीमित नहीं, बल्कि जलजमाव की समस्या को स्थायी रूप से समाप्त करना है।” दीपक बाली की सक्रियता और प्रतिबद्धता ने वहां मौजूद कर्मियों में उत्साह भर दिया और स्थानीय निवासियों को विश्वास दिलाया कि नगर निगम शहर के मूलभूत ढांचे को दुरुस्त करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि काशीपुर के इतिहास से जुड़ी संरचनाओं को पुनः जीवित करने का भी कार्य है।
शहरवासियों में इस पुराने गुफानुमा नाले को देखने की जिज्ञासा भी जाग उठी है। स्थानीय लोगों ने नगर निगम की इस ऐतिहासिक खोज और तत्पर कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यवाही केवल स्वच्छता ही नहीं, बल्कि शहर की खोई हुई पहचान को भी वापस लाने में मदद कर रही है। कई नागरिकों ने यह भी कहा कि यह पहली बार है जब इतने पुराने ढांचे की सफाई को इतनी गंभीरता से लिया गया है। नगर निगम का यह प्रयास जहां भविष्य में बारिश के दौरान जलभराव की समस्या से निजात दिलाएगा, वहीं यह ऐतिहासिक नाले के संरक्षण की दिशा में भी एक अहम कदम साबित होगा।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का उदाहरण है कि जब स्थानीय प्रशासन संकल्प के साथ कार्य करता है और नेतृत्व सक्रिय होता है, तो शहर की दशा बदलने में देर नहीं लगती। दीपक बाली के नेतृत्व में नगर निगम का यह अभियान अब एक सामान्य प्रशासनिक कार्यवाही न रहकर एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी मुहिम बन चुका है, जो शहर के हर नागरिक को यह भरोसा दिलाता है कि उनका शहर अब केवल विकास की बातें नहीं करेगा, बल्कि धरातल पर बदलाव भी दिखाएगा।