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कॉर्बेट की वादियों में पहुंचे 1983 के वर्ल्ड कप हीरो मदन लाल, बोले- यहां की खूबसूरती दिल चुरा लेती है

क्रिकेट से आत्मनिर्भरता तक के सफर में मदन लाल शर्मा ने युवाओं को दी प्रेरणा, बोले– मेहनत और परफॉर्मेंस ही बनाती है किस्मत।

रामनगर। हरी-भरी वादियों और कॉर्बेट नेशनल पार्क की रमणीयता ने एक बार फिर देश के दिग्गज खिलाड़ियों का मन मोह लिया है। इस बार भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम अध्याय में खास भूमिका निभा चुके 1983 वर्ल्ड कप विजेता और पूर्व ऑलराउंडर मदन लाल शर्मा अपनी पत्नी संग उत्तराखंड की यात्रा पर पहुंचे। रामनगर आगमन के दौरान उन्होंने कॉर्बेट की प्राकृतिक छटा को देखकर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि यह स्थल बरसों से उनकी इच्छा सूची में शामिल था। प्रकृति के सान्निध्य में समय बिताने का जो सुकून यहां है, वह शायद ही कहीं और मिले। उनका मानना है कि भारत के कोने-कोने में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है, लेकिन कॉर्बेट का आकर्षण और वातावरण अलग ही अनुभव देता है, जो बार-बार आने को मजबूर करता है।

पारिवारिक सैर-सपाटे पर आए पूर्व क्रिकेटर मदन लाल शर्मा का क्रिकेट से जुड़ा इतिहास अपने आप में प्रेरणादायक है। उन्होंने सन् 1974 से लेकर 1987 तक भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और अपने खेल से देश को कई गर्व के क्षण दिए। 1983 के ऐतिहासिक विश्व कप फाइनल मुकाबले में उनकी गेंदबाजी ने वेस्टइंडीज की धाकड़ बल्लेबाजी को झकझोर दिया था। डेसमंड हायन्स, विवियन रिचर्ड्स और लैरी गोम्स जैसे बड़े नामों को पवेलियन भेजकर उन्होंने टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत की नींव मजबूत की थी। रामनगर प्रवास के दौरान उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए युवाओं के लिए सफलता के सूत्र भी बताए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सके।

खेल की दुनिया में सफलता की राह पर चलने के लिए मदन लाल शर्मा ने तीन अहम स्तंभों को जरूरी बताया। उनका मानना है कि किसी भी युवा खिलाड़ी के पास एक ऐसा कोच होना चाहिए जो उसे न सिर्फ तकनीकी रूप से बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाए। इसके साथ ही लक्ष्य के अनुरूप कड़ी और रणनीतिक मेहनत बेहद जरूरी है। और जब निरंतर प्रदर्शन उत्कृष्ट हो, तो वह दिन दूर नहीं जब दुनिया उस प्रतिभा को खुद पहचान लेती है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चयनकर्ता और कोच टैलेंट की खोज में तो रहते हैं, मगर असली बदलाव खिलाड़ी की निरंतर परफॉर्मेंस से आता है। मेहनत और समर्पण से ही मुकाम हासिल होते हैं, किस्मत भी उसी के साथ होती है जो मैदान पर खुद को साबित करता है।

अतीत की उन यादों में लौटते हुए मदन लाल शर्मा ने 1983 की जीत को भारतीय क्रिकेट के पुनर्जागरण की शुरुआत बताया। उनका कहना था कि उस वक्त हालात आसान नहीं थे, लेकिन जज्बा और एकजुटता ने करिश्मा कर दिखाया। विश्व कप जीतने के बाद पूरा देश क्रिकेट के रंग में रंग गया। बच्चों से लेकर युवाओं तक, हर कोई बल्ला और गेंद थामने को बेताब नजर आया। और उसी के परिणामस्वरूप भारत ने न केवल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप जीता, बल्कि 2011 में दोबारा वनडे वर्ल्ड कप और उसके बाद चौंपियंस ट्रॉफी भी अपने नाम की। यह सिलसिला न केवल टीम की ताकत बल्कि देश में खेल के बढ़ते वजूद का प्रतीक बना।

आज के क्रिकेट परिदृश्य की बात करते हुए मदन लाल शर्मा ने मौजूदा समय को भारतीय क्रिकेट के स्वर्ण युग की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि आईपीएल जैसे प्लेटफॉर्म ने युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का बेहतरीन अवसर दिया है। पहले जहां भारतीय खिलाड़ी विदेशी लीग में खेलने को तरसते थे, वहीं आज विदेशी सितारे भारत की ओर रुख कर रहे हैं। यही दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट का प्रभुत्व वैश्विक स्तर पर कितना बढ़ चुका है। बीसीसीआई की मौजूदा स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि आज यह संस्था न केवल आर्थिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि विश्व क्रिकेट में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

आगे उन्होंने यह भी जोड़ा कि क्रिकेट अब केवल एक खेल नहीं रहा, बल्कि यह युवा वर्ग के लिए रोज़गार, पहचान और आत्मनिर्भरता का सशक्त माध्यम बन चुका है। उन्होंने कहा कि आज का खिलाड़ी अपने खेल से न केवल शोहरत कमा रहा है बल्कि एक सुरक्षित भविष्य की ओर भी बढ़ रहा है। जहां पहले खेल को केवल शौक के रूप में देखा जाता था, वहीं अब यह करियर और जीवन निर्माण का औजार बन चुका है। मदन लाल शर्मा की यह बातें रामनगर में मौजूद युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं थीं, जिन्होंने उनके अनुभवों को बड़े गौर से सुना।

रामनगर की यात्रा में जहां मदन लाल शर्मा ने कॉर्बेट की खूबसूरती का भरपूर आनंद लिया, वहीं उन्होंने यह भी जताया कि वह भविष्य में फिर से यहां आना चाहेंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों की आतिथ्य भावना और उत्तराखंड की सादगी की भी सराहना की। खेल, प्रेरणा और प्रकृति के संगम ने इस यात्रा को उनके लिए अविस्मरणीय बना दिया। मैदान में धुआंधार गेंदबाजी से विपक्षी टीमों के हौसले पस्त करने वाले इस पूर्व खिलाड़ी की बातों से यह भी साफ झलका कि असली चौंपियन वही होता है, जो जीवन के हर मोड़ पर सहजता, सादगी और प्रेरणा की मिसाल बन सके।

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