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रामनगर में साल की लकड़ी से भरा ट्रक पकड़ा, वन विभाग की बड़ी कार्रवाई

चांदनी डिपो से निकला ओवरलोड ट्रक पकड़ते ही मचा हड़कंप, चार कर्मचारी निलंबित, विभाग ने तस्करी पर कसी कानूनी कार्रवाई की लगाम।

रामनगर। रामनगर क्षेत्र के बैलपड़ाव चेकपोस्ट पर उस वक्त हड़कंप मच गया जब वन विभाग की सुरक्षा इकाई ने एक ट्रक को रोककर उसमें साल की लकड़ी के संदिग्ध परिवहन का पर्दाफाश किया। यह कार्रवाई तराई पश्चिमी वन प्रभाग की टीम ने की, जिसका नेतृत्व एसडीओ किरण शाह कर रही थीं। टीम को इस ट्रक की गतिविधियों पर पहले से शक था, और जैसे ही वाहन को बैरियर पर रोका गया, उसकी गहनता से जांच शुरू की गई। जब ट्रक की लकड़ियों को नीचे उतरवाकर गिना गया, तो वहां अधिकारियों के होश उड़ गए। दस्तावेजों में दर्ज आंकड़े के मुताबिक ट्रक में 180 नग लकड़ी होने चाहिए थे, जबकि मौके पर 44 नग अधिक पाए गए। इतना ही नहीं, उन अतिरिक्त लकड़ियों में से 7 नग ओवर साइज के भी थे, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन दर्शाते थे।

जिस ट्रक को पकड़ा गया, वह चांदनी डिपो से काशीपुर की ओर जा रहा था। ट्रक का नंबर यूपी-25बीटी-6927 है और यह वन निगम के रवन्ने में सूचीबद्ध संख्या से कहीं अधिक मात्रा में लकड़ी ले जा रहा था। दस्तावेजों और मौके की स्थिति में मिले इस भारी अंतर ने वन विभाग की टीम को तुरंत एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि ट्रक में लदी लकड़ी न केवल ओवरलोड थी, बल्कि इसे रवन्ना में दर्ज संख्या से छिपाकर ले जाया जा रहा था, जो इस बात का पुख्ता संकेत है कि अंदरूनी मिलीभगत के बिना यह काम संभव नहीं था। इस पूरे घटनाक्रम ने वन विभाग में हलचल मचा दी है और सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में अवैध परिवहन की योजना किस स्तर तक पहुंच चुकी थी।

जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वन निगम के डिपो से जुड़े कई नाम इसमें सामने आने लगे। इस मामले में प्रथम दृष्टया जिन कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, उनमें डिपो प्रभारी उमेश भट्ट, प्लाट प्रभारी बालम सिंह बिष्ट और सहायक प्रभारी अमन शामिल हैं। इन तीनों पर तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की गई है, ताकि निष्पक्ष जांच में कोई बाधा न उत्पन्न हो। इसके अतिरिक्त, इस पूरे मामले में आउटसोर्स के माध्यम से काम कर रहे गौरव सती को भी जिम्मेदार पाया गया, जिसके बाद उसकी सेवा समाप्त करने की संस्तुति कर दी गई है। इन सभी के खिलाफ वन निगम की डीएसएम सावित्री गिरि ने सख्त रुख अपनाया है और उच्चाधिकारियों को इस संदर्भ में सूचित कर दिया गया है।

डीएसएम सावित्री गिरि ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कानून के तहत कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कालाढूंगी पुलिस को तहरीर सौंप दी गई है। पुलिस अब इस दिशा में अगली प्रक्रिया शुरू करेगी और यदि आवश्यक हुआ तो आपराधिक धाराओं के अंतर्गत मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी संपत्ति और वन संपदा की रक्षा हर हाल में की जाएगी और जो भी व्यक्ति इस कृत्य में शामिल पाया जाएगा, चाहे वह आंतरिक कर्मचारी हो या बाहरी, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। विभाग का यह संदेश साफ है कि जो लोग अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देंगे, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसा कोई दुस्साहस करने की हिम्मत न जुटा सके।

इस प्रकरण ने यह भी उजागर किया है कि डिपो स्तर पर किस प्रकार भ्रष्टाचार की जड़ें फैल चुकी हैं और कैसे कुछ कर्मी नियमों की अनदेखी कर विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जहां एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण और अवैध तस्करी रोकने को लेकर लाख प्रयास कर रही है, वहीं विभाग के ही कुछ कर्मचारी निजी लाभ के लिए वन संपदा की तस्करी में मददगार बन जाते हैं। यह घटना केवल एक ट्रक या कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता का मामला नहीं है, बल्कि यह उस पूरी प्रणाली पर सवाल उठाती है, जो निगरानी की जिम्मेदारी लेकर भी चूक रही है। अब जब विभाग की ऊंची कुर्सियों तक यह खबर पहुंच चुकी है, तो साफ है कि आने वाले दिनों में और भी छानबीन होगी और कुछ और नाम भी सामने आ सकते हैं।

इस कार्रवाई ने रामनगर और आस-पास के वन क्षेत्रों में सक्रिय लकड़ी तस्करों को स्पष्ट संकेत दिया है कि अब विभाग पूरी तरह सतर्क है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल शिकंजा कसा जाएगा। यह केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि वन संपदा की रक्षा में एक निर्णायक पहल है। वन विभाग की सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया ने यह साबित किया है कि यदि अधिकारियों की नीयत साफ हो, तो किसी भी अपराधी तंत्र को बेनकाब करना संभव है। लोगों में अब यह विश्वास फिर से जागने लगा है कि व्यवस्था सजग हो चुकी है और गलत कार्य करने वालों को अब संरक्षण नहीं मिलने वाला।

रामनगर में हुई इस घटना ने वन निगम और उसके कामकाज को नए सिरे से देखने की जरूरत पर बल दिया है। जिस तरह एक नियमित चेकिंग में यह बड़ा मामला पकड़ में आया, वह इस बात का संकेत है कि यदि चेकिंग की प्रक्रिया हर बार ईमानदारी से हो, तो कितने और बड़े खेल उजागर हो सकते हैं। अब यह प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस कार्रवाई को उदाहरण बनाकर अन्य डिपो और क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की जांच कराए, ताकि वन संपदा की रक्षा सुनिश्चित हो सके। वन विभाग की इस सख्त कार्रवाई को अब एक स्थायी नीति में बदलने की जरूरत है, जिससे विभाग के भीतर और बाहर बैठे तस्करी के आकाओं को करारा जवाब दिया जा सके।

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