काशीपुर। राष्ट्र की एकता, अखंडता और आत्मबल के प्रतीक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर काशीपुर में एक भावनात्मक और प्रेरणादायक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसने उपस्थितजनों को देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पण के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। कार्यक्रम का आयोजन रामनगर रोड स्थित एक प्रतिष्ठित होटल के सभागार में हुआ, जहां भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत अरुण सिंह, नगर निगम महापौर दीपक बाली और अन्य विशिष्ट जनों द्वारा डॉ. मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपस्थितजनों ने डॉ. मुखर्जी के विचारों और उनके संघर्ष की भावना को आत्मसात करने का संकल्प लिया। गोष्ठी में मौजूद भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने भी मिलकर उनकी जीवनी के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
उपस्थित जनसमूह के बीच मंच से अपना संबोधन देते हुए अरुण सिंह ने देश के संवैधानिक इतिहास में एक अहम अध्याय जोड़ने वाले अनुच्छेद 370 का जिक्र किया और बताया कि किस प्रकार कुछ समय पहले तक जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा यह दावा किया जाता था कि इस धारा को हटाने की सोच भी कश्मीर को हिंसा में झोंक देगी। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और दृढ़ संकल्प ने यह मिथक तोड़ा और 70 वर्षों से लटके इस संवैधानिक मुद्दे को पूरी संजीदगी से समाप्त किया। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ‘एक देश, एक विधान’ के लिए जो त्याग किया था, वही अब मूर्त रूप में सामने आ रहा है। उनके विचारों को आज का भारत सच्चाई में बदल रहा है। अरुण सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि बलिदान की भावना केवल इतिहास नहीं, आज के भारत की जीवंत प्रेरणा है।

देश की बदलती वैश्विक भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में विश्व के कई देशों में युद्ध जैसी स्थितियाँ बनी हुई हैं। ऐसी परिस्थितियों में भारत की सशक्त उपस्थिति ही उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती प्रदान करती है। अरुण सिंह ने जोर देकर कहा कि यदि भारत को कोई राष्ट्र आंख उठाकर देखने की जुर्रत नहीं करता, तो उसका श्रेय उस नीति और नेतृत्व को जाता है जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानता है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में आतंकवाद पर भारत की प्रतिक्रिया कमजोर और धीमी होती थी, पर अब न केवल ठोस कदम उठाए जाते हैं, बल्कि आतंकवादियों के संरक्षकों पर भी जबरदस्त चोट की जाती है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों का उदाहरण देते हुए बताया कि अब भारत की जवाबी कार्रवाई सिर्फ सीमित प्रतिक्रिया नहीं बल्कि निर्णायक प्रतिशोध होती है।
इस कार्यक्रम में सिर्फ विचारों का आदान-प्रदान ही नहीं हुआ, बल्कि एक प्रकार की ऊर्जा और प्रेरणा भी प्रसारित हुई, जिसे हर उपस्थित व्यक्ति ने आत्मसात किया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की देशभक्ति, त्याग और साहस ने जो विचारधारा खड़ी की थी, आज के युग में उसका विस्तार होना और उसे अपनाया जाना अत्यंत आवश्यक है। गोष्ठी में यह बात बार-बार दोहराई गई कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त हुई है और देश की सुरक्षा नीति को नई दिशा मिली है। अब भारत सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि यदि आवश्यकता पड़ी तो दुश्मन की धरती पर भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटता। भारत की सैन्य ताकत, रणनीतिक सोच और सशक्त नेतृत्व ने उसे वैश्विक मंच पर एक निर्णायक राष्ट्र के रूप में स्थापित कर दिया है।
कार्यक्रम के सम्मापन पर राजेन्द्र बिष्ट ने इस दौरान कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भारतीय राजनीति के इतिहास में वह अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने उस दौर में जब देश विभाजन की पीड़ा से उबर रहा था, भारत की अखंडता और एक विधान, एक निशान और एक प्रधान के सिद्धांत को लेकर संघर्ष किया और अंततः उसी संघर्ष के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। राजेन्द्र बिष्ट ने कहा कि आज जब हम उन्हें स्मरण कर रहे हैं, तब यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उनके आदर्शों को केवल श्रद्धा तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें व्यवहार में उतारें और राष्ट्र निर्माण के कार्य में जुट जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. मुखर्जी केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वह एक दार्शनिक, शिक्षाविद और दूरदर्शी चिंतक भी थे, जिनकी सोच आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘‘मैं एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान स्वीकार नहीं कर सकता,’’ वही सोच आज के भारत की बुनियाद बन चुकी है। राजेन्द्र बिष्ट ने कहा कि यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह भारत को शक्तिशाली, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ईमानदारी से काम करे। डॉ. मुखर्जी का बलिदान हमारे लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
काशीपुर के महापौर दीपक बाली ने इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी केवल एक नेता नहीं बल्कि एक ऐसी विचारधारा के संवाहक थे, जिन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज का युवा अगर राष्ट्रनिर्माण के मार्ग पर अग्रसर होना चाहता है, तो उसे डॉ. मुखर्जी के विचारों और उनके जीवन संघर्ष को समझना होगा। दीपक बाली ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 को हटाने का जो ऐतिहासिक फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुआ, वो असल में डॉ. मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि थी। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग यह कहते थे कि कश्मीर में यह धारा नहीं हट सकती, वो यह भूल गए थे कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। आज का भारत सशक्त, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरा हुआ राष्ट्र है, जो न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि अगर जरूरत पड़े तो देश के दुश्मनों को उनके घर में घुसकर जवाब देने की ताकत भी रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है जब हम सभी को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता देनी चाहिए। दीपक बाली ने अंत में यही संदेश दिया कि डॉ. मुखर्जी का बलिदान किसी एक दल के लिए नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा है।
गोष्ठी में भाग लेने वालों की संख्या भले ही सीमित रही, लेकिन उपस्थित सभी नामचीन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन को भावनात्मक और ऐतिहासिक बना दिया। प्रमुख रूप से मनोज पाल, खिलेंद्र चौधरी, आशीष गुप्ता, दीपक बाली, मानवेंद्र मानस, श्याम मोहन, वैभव गुप्ता, धीरज वर्मा, भागीरथ शर्मा, अभिषेक कुमार, अनीता कंबोज, सुरेश सैनी, कल्पना राणा, डॉ. गिरीश तिवारी, जसवीर सिंह सैनी, गुरविंदर सिंह चंडोक, पुष्कर सिंह बिष्ट, प्रशांत पंडित, हबीबुर्रहमान बबलू, मोहन बिष्ट, अभिषेक गोयल, अमित सिंह, प्रियंका अग्रवाल जैसे चेहरों की उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि आज भी डॉ. मुखर्जी के विचार समाज में जीवित हैं और उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य पूरी निष्ठा से हो रहा है। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत की राजनीति में अब विचारधारा, राष्ट्रभक्ति और नेतृत्व की पारदर्शिता ही भविष्य को आकार देगी।