काशीपुर। उत्तराखंड में आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर कांग्रेस संगठन ने अपने स्तर पर बड़े बदलाव और नई ज़िम्मेदारियों का दौर शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में पार्टी नेतृत्व ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्री और पीसीसी सदस्य अलका पाल को एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक ज़िम्मेदारी सौंपी है। उन्हें अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है, जिसमें चार ज़िलेकृअल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ और कुल 13 विधानसभा सीटें आती हैं। हाईकमान के इस फैसले को पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। इस दायित्व के साथ अब अलका पाल को न सिर्फ क्षेत्रीय इकाइयों में ऊर्जा का संचार करना है, बल्कि संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने का कार्यभार भी उन्हें ही संभालना होगा। उत्तराखंड की सियासत में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को बढ़ावा देने के लिए यह कदम कांग्रेस की रणनीति का एक प्रभावशाली संकेत है, जिसमें अनुभवी नेतृत्व को आगे कर पार्टी अपने आधार को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रही है।
अलका पाल, जो वर्तमान में उत्तराखंड महिला कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं, को इस अहम भूमिका में उतारना कांग्रेस संगठन की एक दूरगामी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने इस नियुक्ति के बाद कहा कि वे शीघ्र ही चारों जनपदों में संगठनात्मक बैठकों और संवाद कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू करेंगी, ताकि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद बनाकर क्षेत्रीय मुद्दों और स्थानीय जरूरतों को समझा जा सके। उनका यह भी कहना है कि वे न केवल 2027 की तैयारी को लेकर गंभीर हैं, बल्कि पार्टी को जमीनी मजबूती देने के लिए हर उस क्षेत्र तक पहुंचेंगी, जहां अब तक संगठन कमजोर रहा है। अलका पाल ने यह भी संकेत दिया कि महिला सशक्तिकरण, युवाओं की भागीदारी और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे उनके अभियान की प्राथमिकता में रहेंगे।

नई जिम्मेदारी मिलने पर अलका पाल ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया है। उन्होंने विशेष रूप से उत्तराखंड महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा और संगठन के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. वेणुगोपाल के प्रति कृतज्ञता प्रकट की है, जिन्होंने उन पर विश्वास जताते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने इसे न सिर्फ व्यक्तिगत सम्मान बताया, बल्कि एक संगठनात्मक जिम्मेदारी मानते हुए इसे पूरी निष्ठा, समर्पण और अनुशासन से निभाने की बात कही। अलका पाल का मानना है कि पार्टी संगठन तब ही प्रभावी हो सकता है जब हर कार्यकर्ता में आत्मविश्वास और नेतृत्व के प्रति भरोसा हो, और यही विश्वास निर्माण करने की दिशा में वे अब जुटेंगी। उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस को नए सिरे से पुनर्गठित करने के लिए जन संवाद, प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्थानीय नेतृत्व को आगे लाने की नीति को अपनाया जाएगा।
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र, जिसे ऐतिहासिक, भौगोलिक और सामाजिक रूप से उत्तराखंड का दिल माना जाता है, में अलका पाल की जिम्मेदारी बड़ी और चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। इस क्षेत्र में पार्टी को लंबे समय से एक मज़बूत नेतृत्व और समर्पित संगठन की आवश्यकता थी। अब जबकि पार्टी हाईकमान ने इस जिम्मेदारी के लिए अलका पाल पर भरोसा जताया है, तो यह स्वाभाविक है कि उनकी भूमिका आने वाले महीनों में बेहद अहम होने जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हर जिले और हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंच बनाकर कार्यकर्ताओं की सक्रियता और संगठनात्मक मजबूती पर काम करेंगी। उनका कहना है कि क्षेत्रीय नेतृत्व को आत्मनिर्भर और ज़िम्मेदार बनाना ही संगठन की रीढ़ मज़बूत करने का सबसे कारगर तरीका है। इसके अलावा उन्होंने भरोसा जताया कि समन्वय, संगठन और संवाद की ताकत से वे कांग्रेस को इस क्षेत्र में एक बार फिर प्रबल विकल्प बनाकर उभरने में कामयाब होंगी।

2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की जो रणनीति बन रही है, उसमें जमीनी स्तर की मजबूती सबसे बड़ा लक्ष्य है। अलका पाल की भूमिका केवल एक पर्यवेक्षक तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वे सक्रियता के साथ हर निर्णय प्रक्रिया में भाग लेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन को मजबूत करने के लिए न केवल वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श किया जाएगा, बल्कि युवाओं, महिलाओं और पिछड़े वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित कर, पार्टी को जमीनी जनाधार से जोड़ने पर ज़ोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ समन्वय बनाकर चुनावी ढांचे को तैयार करना उनकी प्राथमिकता होगी। अलका पाल ने यह भी कहा कि यह नियुक्ति उनके लिए आत्मगौरव का विषय तो है ही, साथ ही एक ऐसा दायित्व भी है, जिसे वे जन सेवा और राजनीतिक जागरूकता के माध्यम से निभाना चाहती हैं। अब कांग्रेस की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उनके नेतृत्व में यह संसदीय क्षेत्र पार्टी के लिए कितना उपयोगी सिद्ध होता है, और क्या यह नियुक्ति वास्तव में 2027 में पार्टी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा पाएगी।
अलका पाल ने ‘सहर प्रजातंत्र’ से बातचीत में कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है, वह उनके लिए गर्व का विषय है, लेकिन इससे कहीं अधिक यह एक बड़ा दायित्व है जिसे वह पूरी निष्ठा और समर्पण से निभाएंगी। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र उत्तराखंड की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, जहां कांग्रेस को एक बार फिर जन-जन से जोड़ने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि वे शीघ्र ही चारों जनपदों—अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़—में संगठनात्मक दौरे करेंगी और हर विधानसभा में जमीनी कार्यकर्ताओं से मिलकर पार्टी की दिशा तय करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिला नेतृत्व को महत्व देना कांग्रेस की परंपरा रही है और वह इस परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी। अलका पाल ने दोहराया कि उनका लक्ष्य 2027 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मज़बूत बनाना ही नहीं, बल्कि जनआस्था को पुनः पार्टी से जोड़ना है, ताकि संगठन की शक्ति से लोकतंत्र को मजबूती दी जा सके।