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सफाई कर्मचारियों की अनदेखी पर फूटा आयोग का गुस्सा, मकवाना ने दिए सख्त निर्देश

मृतक आश्रितों को नौकरी, वेतन बकाया और ठेकेदारों की रिश्वतखोरी पर आयोग सख्त, अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के मिले निर्देश।

काशीपुर। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की उपेक्षा, वेतन विसंगति और मृतक आश्रितों को नौकरी न दिए जाने जैसे गंभीर मुद्दों पर अब सीधे राज्य कर्मचारी आयोग की नजर है। हाल ही में आयोग के उपाध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना ने अपने कुमाऊं दौरे के दौरान काशीपुर पहुंचकर नगर निगम सभागार में कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की, जिसमें लंबे समय से अनदेखी झेल रहे कर्मचारियों की समस्याओं को विस्तार से सुना गया। बैठक में जो हालात सामने आए, वे चौंकाने वाले थेकृतीन ऐसे मामले जिनमें सफाई कर्मियों की मृत्यु के बाद वर्षों बीत जाने के बावजूद उनके आश्रितों को नियुक्ति नहीं मिली। जबकि सरकार के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि पद रिक्त न होने की स्थिति में भी मृतक आश्रित को नियुक्त किया जाए। मकवाना ने इन मामलों को सात दिन के भीतर हल करने के सख्त निर्देश दिए, और साफ कहा कि अब किसी भी स्तर पर टालमटोल या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मकवाना ने बैठक में कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को अत्यंत गंभीरता से लिया। कर्मचारियों ने बताया कि काशीपुर में कई सफाई कर्मियों को दो वर्षों से ₹500 प्रतिदिन मानदेय नहीं मिल रहा है, जबकि यह आदेश मुख्यमंत्री द्वारा 5 जनवरी 2022 को जारी किया गया था। दो साल बीतने के बाद भी इस आदेश को धरातल पर लागू नहीं किया गया, जो प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है। उपाध्यक्ष ने तत्काल उस दिन से सभी बकाया वेतन का भुगतान करने के निर्देश जारी किए जिस दिन से यह आदेश राज्य में प्रभावी हुआ था। इसके अलावा उन्होंने मोहल्ला स्वच्छ समितियों के कर्मचारियों को भी सभी श्रम अधिकार देने, पीएफ और ईएसआई कटौती सुनिश्चित करने, और श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई अधिकारी या ठेकेदार श्रमिकों का शोषण करता पाया गया, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी, चाहे उनका ओहदा कुछ भी हो।

बैठक के दौरान नगर निगम के कई अधिकारी अनुपस्थित पाए गए, जिससे उपाध्यक्ष ने तीखी नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारियों के जीवन और अधिकारों की बात हो रही हो, तब अधिकारियों की यह गैर-हाजिरी अस्वीकार्य है। बैठक में शामिल अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए कि सफाई कर्मचारियों की पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य देनदारियों का शीघ्र निस्तारण किया जाए। साथ ही, उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मृतक आश्रितों की नियुक्ति में विलंब न करें और नई नियमावली के तहत नियोजन शीघ्र किया जाए। उन्होंने बोर्ड बैठकों में आबादी के अनुपात में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और वरिष्ठता के आधार पर पर्यवेक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव शासन को भेजने को कहा।

बैठक में उपस्थित महिला और पुरुष सफाई कर्मचारियों ने ठेकेदारों की मनमानी का भी खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाए कि आउटसोर्सिंग के तहत काम कराने वाले कुछ ठेकेदार वेतन से कटौती कर ₹1,000 तक की रिश्वत मांगते हैं। इतना ही नहीं, वे न समय पर वेतन देते हैं, न ही ईपीएफ-ईएसआई की कटौती करते हैं। इस पर उपाध्यक्ष ने तत्काल संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ सख्त जांच की जाए और यदि दोष सिद्ध होता है तो अनुबंध समाप्त कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने साफ कहा कि आयोग सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और कोई भी अधिकारी या ठेकेदार जो उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

सरकार द्वारा जारी जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी उपाध्यक्ष ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में स्वच्छता कर्मियों के लिए कई योजनाएं लाई गई हैं, लेकिन यदि वे ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं होतीं तो उनका उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को बहुउद्देशीय शिविर लगाने के निर्देश दिए ताकि सफाई कर्मचारी गोल्डन कार्ड, बीमा, स्वरोजगार योजना और अन्य लाभों से जुड़ सकें। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अब सफाई कर्मियों का बीमा एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है और गोल्डन कार्ड भी राज्य भर में तैयार किए जा रहे हैं, ताकि चिकित्सा लाभ सीधे उनके पास पहुंच सके।

काशीपुर नगर निगम सभागार में आयोजित इस अहम समीक्षा बैठक में प्रशासनिक स्तर पर भी उपस्थिति दर्ज की गई। बैठक में काशीपुर के उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह, सहायक नगर अधिकारी संजय दत्त कापड़ी तथा नगर पालिका जसपुर के अधिशासी अधिकारी शाहिद अली ने भाग लिया। इन अधिकारियों की मौजूदगी में आयोग के उपाध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना ने सफाई कर्मचारियों से संवाद कर उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से सुना और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। बैठक के दौरान कर्मचारियों की नियुक्तियों में हो रही देरी, ठेकेदारों की मनमानी, ईपीएफ और ईएसआई कटौती में लापरवाही, बीमा और वेतन से जुड़े कई मुद्दे उठे। अधिकारियों से कहा गया कि वे न केवल समस्याओं का समाधान करें, बल्कि सभी योजनाओं को जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू करें। आयोग ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी लापरवाही पर जवाबदेही तय की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव जितेन्द्र देवांतक, महानगर अध्यक्ष सुमित सौदा, महासचिव राजीव कुमार वाल्मीकि, क्रांतिकारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव राजौरी, प्रदेश महासचिव यशपाल राजहंस और सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य हर्ष को, रत्नाकर, संजय कुमार, रिंकू कुमार, गोविंदा, अमित टांक और विपिन सहित कई अन्य पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, भारी संख्या में महिला एवं पुरुष सफाई कर्मचारी भी बैठक में शामिल हुए और सैकड़ों की संख्या में उपस्थित कर्मचारियों ने आयोग के समक्ष अपनी समस्याएं खुलकर रखीं। उन्होंने वेतन में देरी, मृतक आश्रितों की नियुक्ति में टालमटोल, वर्दी और उपकरण की कमी, और ठेकेदारों द्वारा शोषण जैसे मुद्दों को सामने लाकर समाधान की मांग की। कर्मचारियों की एकजुटता और उनकी मजबूत उपस्थिति ने बैठक को महत्वपूर्ण और प्रभावशाली बना दिया।

उत्तराखण्ड सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना ने कहा कि सफाई कर्मचारियों की पीड़ा को सरकार गंभीरता से ले रही है। काशीपुर में वर्षों से लंबित मृतक आश्रितों के तीन मामलों का अब तक समाधान नहीं हुआ, जबकि सरकार के स्पष्ट आदेश हैं कि पद खाली न होने पर भी मृतक आश्रित को नौकरी दी जाए। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश से अब 859 कर्मचारियों को नियुक्ति मिलेगी और वन टाइम सेटलमेंट नीति समाप्त कर दी गई है। सफाई कर्मियों को ₹500 प्रतिदिन वेतन देने का आदेश भी दो वर्ष बाद काशीपुर में लागू किया गया। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि वेतन, पीएफ और कानूनों का पालन हो और भ्रष्ट ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ₹5 लाख का बीमा, गोल्डन कार्ड और प्रशिक्षण शिविर जैसे कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार व आयोग सफाई कर्मचारियों के हक़ में पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, और कोई भी शोषण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रदेश सचिव जितेन्द्र देवांतक ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि अब समस्याओं का निवारण होगा और हम लगातार आयोग के साथ मिलकर कर्मचारियों के हितों के लिए पैरवी करते रहेंगे। इस बार खास बात यह रही कि सफाई कर्मचारी आयोग की बैठक में पहली बार एसडीएम साहब और उपनगर अधिकारी भी मौजूद रहे, जिससे कर्मचारियों को सीधे अपनी बात रखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि काशीपुर के सफाई कर्मचारी अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन अफसोस है कि उनकी सुनवाई समय पर नहीं हो पाती। आयोग और मीडिया के माध्यम से अब उनकी आवाज अधिकारियों तक पहुंची है, और हमें भरोसा है कि अधिकारी अब पूरी संवेदनशीलता से कार्रवाई करेंगे। उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, जहां नगर निगम मृतक कर्मियों के आश्रितों की नियुक्ति से पहले डीएम के माध्यम से आर्थिक स्थिति की जांच करता है, जिससे प्रक्रिया छह महीने या उससे अधिक समय तक लंबित हो जाती है और पीड़ित परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जाता है।

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