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उत्पीड़न का झूठा ड्रामा बेनकाब, अनूप अग्रवाल निकला आपराधिक इतिहास वाला फरार दबंग

कई संगीन धाराओं में आरोपित अनूप अग्रवाल पर दर्ज हैं छह मुकदमे, अग्रिम जमानत मिलने के बावजूद पुलिस के सामने पेश होने से बच रहा है।

काशीपुर। एक बार फिर सोशल मीडिया की सतह पर मची हलचल और पुलिस पर लगाए गए आरोपों ने उस वक्त नया मोड़ ले लिया, जब पूरे मामले की तहकीकात में सामने आया कि चामुंडा विहार निवासी अनूप अग्रवाल द्वारा उत्पीड़न के नाम पर फैलाया गया तमाशा पूरी तरह से झूठा, गढ़ा हुआ और तथ्यों से परे है। काशीपुर कोतवाली पुलिस ने सख्त बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अनूप अग्रवाल कोई निर्दाेष या सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि एक कुख्यात और दबंग मानसिकता का शातिर अपराधी है, जिसका लंबा आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। पुलिस ने बताया कि अनूप अग्रवाल के विरुद्ध छह मुकदमे कोतवाली काशीपुर में दर्ज हैं, जिनमें से तीन में न्यायालय में आरोप पत्र भेजा जा चुका है, जबकि अन्य तीन मुकदमे अब भी विवेचना के अधीन हैं। सोशल मीडिया पर उत्पीड़न का झूठ फैलाकर खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश के पीछे असल मंशा अपने कानूनी दायित्वों से बचने की थी, लेकिन पुलिस ने समय रहते पूरे मामले का सच उजागर कर दिया।

हाल ही में दर्ज एक गंभीर प्रकरण, मु०एफआईआर सं० 102/2025 जिसमें धारा 78/79/356(2) बी.एन.एस. के तहत मामला दर्ज है, उस पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए विवेचना आरंभ की और नियमानुसार अनूप अग्रवाल से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन जैसे ही मामला आगे बढ़ा, अनूप अग्रवाल ने चुप्पी साध ली और पूरी तरह से भूमिगत हो गया। इस मामले में पुलिस द्वारा उसके परिजनों से संपर्क किया गया, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। यही नहीं, अनूप अग्रवाल ने माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश काशीपुर के न्यायालय से अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने उसे शर्तों के साथ जमानत देते हुए स्पष्ट निर्देश दिया था कि वह पुलिस के समक्ष हाजिर हो। इसके बावजूद उसने अब तक अदालत के आदेश का पालन नहीं किया, जो स्पष्ट रूप से न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। इससे यह सिद्ध होता है कि अनूप अग्रवाल न केवल कानून से भाग रहा है बल्कि उसके इरादे न्याय व्यवस्था को गुमराह करने के भी हैं।

पुलिस ने जब उसके आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक किया, तब यह सामने आया कि अनूप अग्रवाल पर वर्ष 2019 से अब तक गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं। इनमें मु०एफआईआर सं० 152/2019 जिसमें धारा 147/188/323/353/504/506 भादवि शामिल हैं और यह मामला आरोपपत्र के साथ न्यायालय में लंबित है। इसके अलावा मु०एफआईआर सं० 601/2023 जिसमें धारा 420/467/468/471 भादवि के गंभीर आरोप हैं, अब भी जांचाधीन है। यही नहीं, मु०एफआईआर सं० 551/2023 में 307/384/147/148/149/323/504/506 भादवि जैसी गंभीर और हिंसात्मक धाराएं हैं, जिनमें आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। इसके अतिरिक्त मु०एफआईआर सं० 589/2023 और 215/2024 में भी उसके खिलाफ संगीन अपराधों की रिपोर्ट दर्ज है। इन सभी केसों की सूची इस बात की गवाही देती है कि अनूप अग्रवाल का चाल-चरित्र न तो समाजोपयोगी है और न ही कानूनी दायरे में।

इस समूचे घटनाक्रम में जिस तरह से अनूप अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर उत्पीड़न की झूठी कहानी बुनकर लोगों की सहानुभूति बटोरने का असफल प्रयास किया, वह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है। यह मामला केवल कानून व्यवस्था की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक सबक है कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई हर सूचना सत्य नहीं होती। खासकर जब उसका मकसद कानूनी कार्यवाही से बचना हो। पुलिस प्रशासन ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए पूरी पारदर्शिता से अपने पक्ष को सामने रखा और तथ्यों के साथ स्पष्ट कर दिया कि न तो किसी प्रकार का उत्पीड़न किया गया है और न ही पुलिस ने अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों का अक्षरशः पालन कर रही है और आरोपी की गिरफ्तारी या पूछताछ के लिए कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप कदम उठाए जा रहे हैं।

काशीपुर पुलिस की ओर से जारी बयान में यह भी बताया गया है कि जनता को भ्रमित करने वाले ऐसे आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है और अब यदि अनूप अग्रवाल या उसके परिजन सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर पुलिस की छवि धूमिल करने का प्रयास करते हैं तो उनके खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इस पूरे प्रकरण से यह बात साफ हो गई है कि कानून के सामने झूठ का कोई स्थान नहीं और जो व्यक्ति कानून से भागता है, वह अंततः समाज और न्यायपालिका दोनों से खुद को कटघरे में खड़ा करता है। काशीपुर पुलिस ने जनविश्वास बनाए रखते हुए न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है और यह संदेश दिया है कि अपराध चाहे किसी प्रभावशाली व्यक्ति का क्यों न हो, कानून सबके लिए एक समान है।

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