काशीपुर। शैक्षणिक माहौल में एक बार फिर उठे आरोपों के बाद सियासी गर्मी का माहौल बन गया है और इस बार केंद्र में है राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय। जहां छात्रों की आवाज और प्रशासनिक जवाबदेही के बीच टकराव अब खुलकर सामने आ चुका है। महाविद्यालय में छात्रसंघ पदाधिकारियों ने संस्था के प्राचार्य सुमित श्रीवास्तव पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए सीधे तौर पर कहा कि महाविद्यालय में शिक्षा के नाम पर बड़े घोटाले हो रहे हैं। छात्रसंघ की ओर से बाकायदा सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई दाखिल कर विकास कार्यों से संबंधित पूरी जानकारी मांगी गई है। छात्रसंघ का कहना है कि इन कार्यों में पारदर्शिता नहीं है, और जिन फाइलों में लाखों रुपये की स्वीकृति दिखाई गई है, वहां धरातल पर कार्य न के बराबर नजर आते हैं। यह सवाल अब सिर्फ छात्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे शैक्षिक क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे चुका है।
विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब छात्रसंघ पदाधिकारियों ने दावा किया कि प्राचार्य सुमित श्रीवास्तव के परिवार से जुड़े एक खास व्यक्ति ने उन्हें व्यक्तिगत बातचीत में कई ऐसी बातें कहीं जो प्राचार्य की भूमिका पर और सवाल खड़े करती हैं। छात्रसंघ के अनुसार, यह व्यक्ति स्पष्ट रूप से प्रशासन की ओर से दबाव बनाने का काम कर रहा था और छात्र नेताओं को चुप रहने की सलाह दी गई। हालांकि छात्रसंघ ने यह बात स्पष्ट की कि वह किसी भी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सच सामने नहीं आ जाता। छात्रसंघ ने यह भी कहा कि अगर इस मामले में उचित जांच नहीं हुई तो वे उच्च स्तर तक आंदोलन और शिकायत करने को बाध्य होंगे। छात्रसंघ द्वारा उठाए गए इन आरोपों ने राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय की साख को फिर एक बार कटघरे में ला खड़ा किया है।
इन आरोपों के बाद प्राचार्य सुमित श्रीवास्तव ने सफाई देते हुए सभी दावों को पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि छात्रसंघ द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे केवल भ्रम फैलाने और शिक्षण संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचाने की साजिश हैं। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार एक वैध प्रक्रिया है और उसके तहत जो भी जानकारी मांगी गई है, उसे नियमानुसार समय पर उपलब्ध करा दिया जाएगा। सुमित श्रीवास्तव का यह भी कहना है कि विकास कार्यों से संबंधित सभी खर्चे व प्रशासनिक निर्णय विधिवत प्रक्रियाओं के तहत लिए गए हैं और इनमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। उन्होंने छात्रसंघ से अपील की कि संस्थान की मर्यादा को बनाये रखते हुए संवाद के रास्ते हल तलाशे जाएं, लेकिन यदि कोई व्यक्ति संस्था को बदनाम करने की नीयत से झूठे आरोप लगाएगा तो उसके विरुद्ध विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
यह कोई पहली बार नहीं है जब काशीपुर का राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय इस प्रकार के विवादों में सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी कई बार छात्र हितों और प्रशासनिक फैसलों को लेकर यहां तनातनी देखी जा चुकी है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अधिक संवेदनशील और सार्वजनिक स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। क्योंकि यहां न केवल वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं, बल्कि आरटीआई जैसे संवैधानिक अधिकार का सहारा लेकर छात्रसंघ ने जो कदम उठाया है, उसने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या प्राचार्य सुमित श्रीवास्तव इन आरोपों से खुद को पूरी तरह बेदाग साबित कर पाएंगे या छात्रसंघ द्वारा जुटाए गए तथ्यों के आधार पर यह मामला उच्च स्तरीय जांच तक पहुंचेगा।
संस्थान की छवि और छात्रों का भविष्य इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। जहां एक ओर छात्रसंघ प्रशासनिक पारदर्शिता की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कॉलेज प्रबंधन इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर रहा है। पर सवाल यह भी है कि यदि विकास कार्यों में कोई गड़बड़ी नहीं है तो फिर आरटीआई के जवाबों से ही सारा सच सामने क्यों नहीं लाया जा रहा। छात्रों के भीतर जो असंतोष पनप रहा है, उसे सिर्फ जवाबों से ही शांत किया जा सकता है, अन्यथा यह विवाद एक बड़े आंदोलन का रूप भी ले सकता है। फिलहाल महाविद्यालय का माहौल गरमा गया है और छात्रसंघ तथा प्राचार्य के बीच तकरार अब एक निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ रही है।