हरिद्वार। 4 जून 2025 को रानीपुर कोतवाली पुलिस ने एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की की शिकायत पर उसकी मां को गिरफ्तार किया। बच्ची ने अपनी मां पर संगीन आरोप लगाए हैं कि वह जनवरी 2025 से अपने पुरुष मित्रों के साथ मिलकर उसका यौन शोषण करवा रही थी। यह घिनौना सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक पीड़िता, रोती-बिलखती अपने पिता के पास नहीं पहुंची और सारी आपबीती नहीं सुनाई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी मां और उसके दो साथियों को हिरासत में ले लिया। इस मामले ने न केवल मातृत्व को कलंकित किया, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर भी गहरे सवाल खड़े किए हैं। यह घटना हरिद्वार जैसे पवित्र शहर में मानवता को शर्मसार करने वाली है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, ताकि सभी तथ्य सामने आ सकें।
आरोपी महिला की पहचान हरिद्वार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष के रूप में हुई है। यह महिला हरिद्वार डिग्री कॉलेज से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने के बाद विभिन्न छोटे-बड़े राजनीतिक मंचों पर सक्रिय रही। कम उम्र में ही उसे पार्टी ने जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी, जो उसके प्रभाव को दर्शाता है। हालांकि, बीजेपी के वर्तमान जिला अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने एक पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि अगस्त 2024 में ही इस महिला को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से हटा दिया गया था। पत्र में यह नहीं बताया गया कि यह निर्णय क्यों लिया गया। महिला दो बच्चों की मां है और कुछ समय से अपने पति से अलग रह रही थी। उसका बेटा पिता के साथ, जबकि बेटी उसके साथ रह रही थी। यह मामला समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर सत्ता के दुरुपयोग की भयावह तस्वीर पेश करता है।
रानीपुर कोतवाली के प्रभारी कमल मोहन भंडारी ने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब बच्ची ने अपनी मां की करतूतों का खुलासा किया, तो पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए। बच्ची ने पुलिस को बताया कि उसकी मां उसे हरिद्वार के अलावा वृंदावन, आगरा और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में घूमने के बहाने ले जाती थी। वहां होटल में दो कमरे बुक किए जाते थेकृएक में मां रुकती थी, और दूसरे में बच्ची को उसके पुरुष मित्रों के साथ छोड़ दिया जाता था। बच्ची ने अपने बयानों में बताया कि यह सब शातिराना तरीके से किया जाता था। इस क्रूरता ने न केवल बच्ची के बचपन को छीन लिया, बल्कि मां-बेटी के पवित्र रिश्ते को भी तार-तार कर दिया। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया, जिसमें यौन शोषण की पुष्टि हुई, जिसके बाद त्वरित कार्रवाई शुरू की गई।
यह घिनौना सिलसिला 26 जनवरी 2025 से शुरू हुआ और पांच महीने तक जारी रहा। बच्ची ने पुलिस को बताया कि उसने कई बार अपने पिता को सब कुछ बताने की कोशिश की, लेकिन मां के दबाव में वह डर के मारे चुप रहती थी। आखिरकार, 4 जून को उसने हिम्मत जुटाकर अपने पिता को सारी सच्चाई बताई। पिता ने तुरंत रानीपुर कोतवाली में लिखित शिकायत दर्ज की। पुलिस ने हरिद्वार के शिव मूर्ति चौक के पास एक होटल से आरोपी मां और उसके मित्र सुमित पटवाल को गिरफ्तार किया। एक अन्य आरोपी अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है। पुलिस अब वृंदावन और आगरा में उन होटलों की जांच के लिए एक विशेष टीम भेज रही है, जहां बच्ची के साथ यह जघन्य कृत्य हुआ। यह जांच इस बात की पुष्टि करेगी कि कैसे यह सब सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।
पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है। आरोपी महिला का मोबाइल और कॉल डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं, जो कई और रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं। बच्ची के पिता, जिनका नाम राजीव (बदला हुआ नाम) है, ने बताया कि वह बार-बार अपनी पत्नी को चेतावनी दे रहे थे कि वह बच्ची को अपने मित्रों के साथ कहीं न ले जाए। 18 मार्च को शिवालिक नगर के एक ब्यूटी पार्लर में उन्होंने अपनी पत्नी और उसके मित्र को बच्ची के साथ देखा, जिसके बाद उनकी बहस हुई और मामला पुलिस तक पहुंचा। राजीव ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी के किसी और के साथ रहने से कोई आपत्ति नहीं, लेकिन उनकी बेटी को इस तरह की क्रूरता का सामना करना पड़ा, यह उनके लिए असहनीय है। वह अब अपनी बेटी और बेटे के साथ सुखमय जीवन जीना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।
इस मामले में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने भी हस्तक्षेप किया है। उन्होंने हरिद्वार के एसपी सिटी पंकज गैरोला से इस घटना की पूरी जानकारी ली। कुसुम कंडवाल ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और कहा कि महिला आयोग पीड़ित परिवार के साथ हर संभव सहायता के लिए तैयार है। इस घटना ने न केवल हरिद्वार, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सत्ता और रसूख के पीछे इंसानियत कितनी आसानी से दम तोड़ देती है। पुलिस अब इस मामले में सभी सबूत जुटाने में जुटी है, ताकि दोषियों को कठोर सजा दिलाई जा सके। यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सभी को सजग रहने की जरूरत है।