देहरादून। मंगलवार की शाम जैसे ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में मंत्रिमंडल की बैठक सम्पन्न हुई, वैसे ही राजधानी के राजनीतिक गलियारों में नये फैसलों की सरगर्मियां तेज हो गईं। इस बेहद अहम कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने एक के बाद एक कुल 12 प्रस्तावों पर मुहर लगाकर प्रदेश के लाखों लोगों को राहत देने का ऐलान कर दिया। फैसलों की सूची में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना प्रदेश में हाइब्रिड वाहनों को कर से पूर्णतः छूट देने का ऐतिहासिक निर्णय। अब तक इन वाहनों से मोटरयान कर वसूला जाता था, लेकिन अब उन्हें निजी श्रेणी में शामिल कर करमुक्त कर दिया गया है। यह कदम प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में उठाया गया निर्णायक फैसला माना जा रहा है। बैठक समाप्त होने के बाद प्रेस को जानकारी देते हुए गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि यह निर्णय भविष्य में प्रदेश के ऑटोमोटिव सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में कसावट लाने और विकास को रफ्तार देने के उद्देश्य से सरकार ने कई संस्थागत सुधारों को भी हरी झंडी दी है। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि वर्ष 2013 में शहरी विकास विभाग के अंतर्गत विनियमित किए गए 859 कार्मिकों के आश्रितों को अब मृतक आश्रित सेवा नियमावली के दायरे में लाया जाएगा। यह फैसला न केवल न्यायसंगत माना जा रहा है, बल्कि इससे ऐसे परिवारों को संबल मिलेगा, जो वर्षों से अनिश्चितता की स्थिति में थे। इसके अतिरिक्त प्रदेश में उत्तराखंड स्वच्छता गतिशीलन परिवर्तन नीति को लागू करने के लिए एक अलग बैंक खाता खोलने की अनुमति भी मंत्रिमंडल द्वारा प्रदान कर दी गई है, जो नीति के बेहतर क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी बनेगा। स्वच्छता अभियान को गति देने हेतु यह कदम बेहद जरूरी था जिसे अब जाकर औपचारिक मंजूरी मिली है।
प्रशासनिक दक्षता में सुधार की श्रृंखला में सरकार ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के ढांचे में व्यापक बदलाव को भी मंजूरी दे दी है। आयोग में अब कुल 15 नए पद सृजित किए जाएंगे, जिनमें एक नियमित नियुक्ति होगी जबकि शेष 14 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से योग्य जनशक्ति को तैनात किया जाएगा। यह बदलाव आयोग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और गति लाने की दिशा में सराहनीय कदम माना जा रहा है। वहीं, पुलिस सेवा में भर्ती प्रक्रिया को और भी संगठित बनाने के लिए अब उत्तराखंड वर्दीधारी सिपाही और उत्तराखंड वर्दीधारी उपनिरीक्षक के पदों के लिए परीक्षा एक साथ कराए जाने का निर्णय भी लिया गया है। इससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी और समय की बचत भी होगी। इसी तर्ज पर सब इंस्पेक्टर स्तर के पदों के लिए भी एकीकृत परीक्षा प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे उम्मीदवारों को बेहतर अवसर मिल सकें।
विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखते हुए मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि अब फॉरेंसिंग डिपार्टमेंट को एक स्वतंत्र विभाग के रूप में घोषित किया जाएगा, जिसका मुखिया अब विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा। अभी तक यह विभाग पुलिस मुख्यालय के अधीन संचालित होता था, लेकिन अब इसे स्वतंत्र पहचान मिल जाएगी। इससे विभाग की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता को बल मिलेगा। इसी तरह उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के ढांचे में भी संशोधन करते हुए उसमें 12 नए पदों को मंजूरी दी गई है, जिससे आयोग की कार्यक्षमता बढ़ेगी और जनता की शिकायतों का समाधान तीव्र गति से हो सकेगा। ये दोनों बदलाव प्रशासनिक सुधारों की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, जो सरकार की जवाबदेही को और भी मजबूत बनाएंगे।
धार्मिक पर्यटन को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने की मंशा से सरकार ने बदरीनाथ धाम में चल रहे मास्टर प्लान के तहत चार प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इन योजनाओं के तहत बदरीनाथ के लेक फ्रंट में अब “शेष नेत्र लोटस बॉल” का निर्माण किया जाएगा, जो आध्यात्मिकता और संस्कृति का अद्भुत संगम होगा। इसके अतिरिक्त अराइवल प्लाजा में “सुदर्शन चौक” नामक अनूठी कलाकृति बनाई जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आभा का भव्य अनुभव प्राप्त होगा। वहीं, बद्री नारायण चौक पर “ट्री एंड रिवर स्कल्पचर” और अराइवल प्लाजा में एक विशाल “सुदर्शन चक्र” की संरचना की जाएगी, जो आने वाले श्रद्धालुओं को भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा का परिचय देगा। इन योजनाओं से बदरीनाथ धाम का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाएगा और प्रदेश को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
वित्तीय प्रबंधन और कर्मचारी हितों के संतुलन को ध्यान में रखते हुए न्यू पेंशन योजना के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों को अब एक बड़ी राहत देने का ऐलान किया गया है। सरकार ने तय किया है कि इन कर्मचारियों को अब पुरानी पेंशन स्कीम से जोड़ते हुए ग्रेच्युटी की सुविधा भी दी जाएगी, जो कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है। यह निर्णय लंबे समय से कर्मचारी संगठनों की मांग रही है, जिसे अब जाकर सरकार ने सुना और ठोस कार्यवाही की। इस फैसले से हजारों कर्मचारियों को न केवल सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि कार्य के प्रति विश्वास और आत्मीयता भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह प्रशासनिक सुधार, सामाजिक न्याय और विकास की दिशा में किसी भी निर्णय से पीछे नहीं हटती।