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संत निरंकारी मिशन ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ चलाया व्यापक वृक्षारोपण अभियान

संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के नेतृत्व में 18 प्रमुख पर्वतीय स्थलों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता और स्वच्छता का जोरदार अभियान चलाया गया।

काशीपुर। प्रकृति, जो मानव जीवन का अनमोल साथी रही है, उसकी महत्ता और सुरक्षा का एहसास आज हर व्यक्ति को और भी गहराई से करना आवश्यक हो गया है। समय के साथ जब इंसानी लालच और अधूरी समझ ने इस जीवदायिनी प्रकृति को क्षति पहुंचाई, तब हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि हम भी इसी प्रकृति का अभिन्न हिस्सा हैं। पर्यावरणीय संकट ने पूरी दुनिया को सतर्क किया है और इसी संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर को ध्यान में रखते हुए, संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रेरणादायक नेतृत्व में एक विशाल वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान का आयोजन किया है, जिसका मकसद ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ के वैश्विक संदेश को घर-घर तक पहुंचाना है। यह अभियान केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम नहीं, बल्कि युवाओं में जागरूकता फैलाने और प्रकृति के प्रति प्रेम एवं जिम्मेदारी की भावना को प्रबल करने की भी अनूठी पहल है।

संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने बताया कि यह मिशन 2014 से लगातार संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम की थीम पर ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाता आ रहा है। यह केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि सतत जागरूकता फैलाने वाली मुहिम है, जो मानवता और प्रकृति के बीच एक सशक्त संबंध कायम करने पर केंद्रित है। इस व्यापक अभियान के अंतर्गत भारत के 18 प्रमुख पर्वतीय पर्यटन स्थलों को चुना गया है, जहाँ संत निरंकारी मिशन के स्वयंसेवक अपने निस्वार्थ प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण के संदेश को गूंजा रहे हैं। उत्तराखंड के मसूरी, ऋषिकेश, लैंसडाउन, नैनीताल, चकराता, और भवाली से लेकर हिमाचल प्रदेश के शिमला, मनाली और धर्मशाला तक, गुजरात के सापुतारा, महाराष्ट्र के महाबलेश्वर, पंचगनी, खंडाला, लोनावाला, पन्हाला एवं सोमेश्वर, सिक्किम का गीजिंग और कर्नाटक की खूबसूरत नंदी हिल्स तक ये जगहें इस अभियान का केंद्र बिंदु बन चुकी हैं। इनमें से काशीपुर यूनिट नंबर 180 के सेवा दारों का भी उत्साहपूर्ण योगदान इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है।

इस पर्व पर संत निरंकारी मिशन के कार्यकर्ता, श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक एक साथ जुटे, जिन्होंने प्रार्थना के साथ इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। युवा स्वयंसेवकों ने नुक्कड़ नाटकों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों और उससे निपटने के उपायों को लोगों के सामने रखा। उनकी यह सक्रिय भागीदारी न केवल जागरूकता बढ़ाने में कारगर साबित हुई, बल्कि लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग और जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित भी किया। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण संबंधी संदेशों के साथ कई बैनर और पोस्टर भी प्रदर्शित किए गए, जिनके माध्यम से मानव श्रृंखला बनाकर स्थानीय लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया गया। इस श्रृंखला ने पर्यावरण के प्रति समाज की सजगता और एकजुटता का प्रतीक बनकर सबका दिल जीत लिया।

इस विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन का यह समर्पित प्रयास हमें यह याद दिलाता है कि पर्यावरण की रक्षा केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक कर्तव्य भी है। हमें मिलकर प्रकृति की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ियां एक स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ पृथ्वी पर सांस ले सकें। संत निरंकारी मिशन की इस पहल ने न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की है, बल्कि सेवा, सद्भावना और समाज के प्रति सजगता की भावना भी मजबूत की है। निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा ने इस अभियान की व्यापक सफलता की जानकारी देते हुए कहा कि यह आंदोलन निरंतर चलता रहेगा और हर वर्ष अधिक से अधिक लोगों को जोड़ता रहेगा। इस प्रकार, प्रकृति की सेवा में लगे इस मिशन ने एक बार फिर मानवता के लिए प्रेरणादायक मिसाल कायम की है।

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