देहरादून। उत्तराखंड की सियासत एक बार फिर गरमा गई है और इस बार वजह बना है खनन को लेकर राज्य सरकार पर लगाया गया गंभीर आरोप, जिसे लेकर कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने जोरदार हमला बोला है। प्रेस को जारी एक बयान में डॉ गणेश उपाध्याय ने धामी सरकार को निशाने पर लेते हुए साफ कहा कि वर्तमान सरकार पूरी तरह अवैध खनन के जाल में उलझ चुकी है और सरकारी तंत्र इसकी अनदेखी कर रहा है। उनका कहना है कि एक ओर सरकार खुद को पारदर्शिता की मिसाल बताने में लगी है, दूसरी ओर उसी शासनकाल में नंधौर और गौला जैसी नदियों से लेकर प्राइवेट पट्टों तक खनन माफिया अपने मुनाफे का साम्राज्य फैला चुके हैं। डॉ उपाध्याय का आरोप है कि ओवरलोडेड ट्रक, नियमों को ताक पर रखकर 150 क्विंटल की रॉयल्टी के एवज में 300 क्विंटल तक की खनन सामग्री की ढुलाई कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र में सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है और जनहानि की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
इतना ही नहीं, डॉ गणेश उपाध्याय ने आगे कहा कि सरकार खुद खनन राजस्व को लेकर भ्रामक तस्वीर पेश कर रही है। उन्होंने वर्ष 2024-25 की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार दावा कर रही है कि इस अवधि में खनन विभाग ने 1100 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जबकि सच्चाई यह है कि इसी अवधि में विभाग ने लगभग 2000 करोड़ रुपये का खनन कराया है। ऐसे में लगभग 900 करोड़ रुपये की भारी धनराशि की अनदेखी या गबन अपने आप में घोर संदेह उत्पन्न करता है। यदि इस पूरे मामले की सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष न्यायिक एजेंसी से जांच कराई जाए तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं, जो सरकार की कथित पारदर्शिता को पूरी तरह से झूठा और खोखला साबित कर देंगे। उनके अनुसार यह सिर्फ विभागीय लापरवाही नहीं बल्कि सत्ता संरक्षण में फलफूल रही एक साज़िश है, जो जनता के संसाधनों की खुली लूट है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का भी हवाला देते हुए डॉ उपाध्याय ने कहा कि लोकसभा में स्वयं त्रिवेंद्र रावत ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था और अवैध खनन को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। यह बयान स्पष्ट करता है कि खनन को लेकर सवाल सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेता भी उठा चुके हैं। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि इसी तरह खनन माफियाओं को सरकारी छत्रछाया मिलती रही, तो आने वाले समय में उत्तराखंड की नदियां, पहाड़ और जंगल सिर्फ खनन के जाल में फंसकर दम तोड़ देंगे। डॉ गणेश उपाध्याय ने इसे उत्तराखंड के पर्यावरण और जनसुरक्षा के लिए सीधा खतरा बताते हुए कहा कि अब जनता की चुप्पी टूटेगी और सड़कों पर जनांदोलन की शुरुआत होगी।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने जो तीखे शब्दों का प्रयोग किया, उससे साफ झलकता है कि मामला महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की हो रही खुली लूट का है। उन्होंने सरकार को चेताया कि जनता अब और अधिक बर्दाश्त नहीं करेगी। यदि सरकार ने जल्द इस विषय पर कठोर कदम नहीं उठाए और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की, तो आने वाले समय में जनता स्वयं सत्ता को उखाड़ फेंकने पर मजबूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में यदि पारदर्शिता लानी है तो सबसे पहले खनन विभाग से जुड़े हर निर्णय, टेंडर प्रक्रिया, रॉयल्टी निर्धारण और वाहनों की ओवरलोडिंग की जांच की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि खनन क्षेत्र में जिस प्रकार प्रशासन की आंखें बंद हैं, उससे साफ होता है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग इस पूरे खेल में कहीं न कहीं शामिल हैं या फिर उनकी शह से ही यह सब संभव हो रहा है।