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भारतीय सांस्कृतिक चेतना के अद्वितीय संगम का गवाह बनेगा नृत्य कला महोत्सव

शास्त्रीय संगीत और नृत्य की मधुर प्रस्तुति के साथ गंगा की पावनता का उत्सव, जो संस्कृति और आध्यात्म की नई ऊर्जा जगाएगा।

हरिद्वार। धर्मनगरी में एक बार फिर भारतीय सांस्कृतिक चेतना की लहरों से गुंजायमान होने जा रही है, जहां परमार्थ आश्रम घाट पर होने वाले भव्य नृत्य कला महोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस महोत्सव को लेकर वातावरण में उत्साह और उमंग की लहर है, क्योंकि यह आयोजन न केवल कला का उत्सव है, बल्कि भारतीय परंपराओं की जीवंतता और आध्यात्मिक भावनाओं का संगम भी है। इस अलौकिक आयोजन की जानकारी भारतीय संस्कृति फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मानवी शर्मा ने प्रैस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार की शाम परमार्थ आश्रम घाट पर आयोजित होने वाला यह नृत्य कला महोत्सव भारतीय शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत की उत्कृष्ट परंपराओं को एक मंच पर एकत्रित करेगा। यह एक ऐसा मंच होगा जहां परंपरा, श्रद्धा और आधुनिकता का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा।

नृत्य कला महोत्सव में जब मंच पर कलाकार अपनी भाव-भंगिमाओं और रचनात्मक अदाओं के साथ उतरेंगे, तो वातावरण पूरी तरह से भारतीयता से सराबोर हो जाएगा। इस सांस्कृतिक यात्रा में तबला, मृदंग, पखावज, बांसुरी और गिटार जैसे वाद्ययंत्रों की मीठी सुरलहरियों के साथ कलाकारों की तालमेल भरी प्रस्तुतियां दर्शकों को भावविभोर कर देंगी। यह आयोजन केवल प्रदर्शन भर नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत करने का एक प्रयास है। दर्शकों को इस दौरान एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव भी मिलेगा, जब भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा। इस आरती में हजारों लोग न केवल घाट पर उपस्थित होकर बल्कि ऑनलाइन माध्यमों से भी शामिल होंगे, जिससे यह आयोजन एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम की खास प्रस्तुति के तौर पर दर्शकों को एक भव्य गंगा नृत्य नाटिका भी देखने को मिलेगी, जिसे प्रसिद्ध नृत्यांगना डा.रागिनी मक्कड़ निर्देशित करेंगी।

डा.रागिनी मक्कड़ का मानना है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आध्यात्म और इतिहास की प्रतीक है। इसीलिए नृत्य और संगीत के माध्यम से गंगा की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नृत्य नाटिका में गंगा के उद्गम से लेकर उसकी वर्तमान सामाजिक और आध्यात्मिक भूमिका तक की पूरी कथा को कलात्मकता के साथ मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा। यह प्रस्तुति केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगी, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा होगी, जो हर दर्शक के मन को छू लेगी। इस आयोजन की अंतिम कड़ी में सैकड़ों कलाकार एक साथ गंगा की सामूहिक आरती करेंगे, जो कि अपने आप में एक दिव्य दृश्य होगा और शायद ही इससे पहले कभी हरिद्वार ने ऐसा दृश्य देखा हो।

पत्रकार वार्ता में मौजूद फाउंडेशन की सचिव रितु शर्मा, सुनीता गोड़, मीडिया प्रभारी ममता चौहान, एक बार फिर रितु शर्मा और भाजपा नेता राहुल चौहान ने भी इस आयोजन को लेकर अपनी भावनाएं साझा कीं। सभी ने एक स्वर में यह अपील की कि हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में इस अद्वितीय महोत्सव का हिस्सा बनें और गंगा की महिमा को नृत्य एवं संगीत के माध्यम से अनुभव करें। उनका कहना था कि गंगा नृत्य कला महोत्सव न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के उन मूल तत्वों का पुनरुद्धार है जो आज के समय में विलुप्त होते जा रहे हैं। यह आयोजन हमारी पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि कला और आध्यात्म के संगम से समाज में सकारात्मक ऊर्जा और नई दिशा मिल सकती है। हर कोई इस अवसर का साक्षी बने, यही इस आयोजन की सबसे बड़ी कामना है।

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