रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से एक बेहद सनसनीखेज़ और हैरतअंगेज़ खबर ने पूरे रामनगर को झकझोर कर रख दिया है। ढेला रेंज की पथरूवा बीट के भीतर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब तीन जांबाज़ वनकर्मियों पर अचानक मधुमक्खियों की बेकाबू भीड़ ने कहर बनकर हमला कर डाला। इस हमले में वन विभाग के अधिकारी और कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें आनन-फानन में रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उनकी हालत को देखते हुए तुरंत चिकित्सीय सहायता दी गई। गर्मियों की तपती धूप में जंगल की नीरवता को चीरती इस घटना ने न केवल वन कर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि प्राकृतिक जोखिम किस हद तक जानलेवा हो सकते हैं। यह हमला अचानक हुआ, इतनी तेजी से कि किसी को कोई मौका तक नहीं मिला कि वह कुछ सोच या समझ पाए।
इस हादसे का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ जब ढेला रेंज में तैनात वन बीट अधिकारी राकेश कुमार दिवाकर, वनरक्षक महिपाल सिंह और साथी वनकर्मी दीपक कुमार अपनी नियमित ड्यूटी पर जंगल की निगरानी के लिए निकले थे। रोज़ की तरह सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन जैसे ही यह तीनों अधिकारी पथरूवा बीट के समीप पहुँचे, वैसे ही प्रकृति ने जैसे अचानक रौद्र रूप दिखा दिया। वहां मौजूद मधुमक्खियों के एक गुस्से से भरे झुंड ने बिना किसी चेतावनी के इन तीनों पर हमला कर दिया। इन मासूम और कर्तव्यनिष्ठ वनकर्मियों को कुछ समझने का मौका तक नहीं मिला। पूरा वातावरण चीख-पुकार और दर्दनाक हलचल से भर गया। मधुमक्खियों का यह जंगी हमला इतना आक्रामक था कि इनकी सूजन, डंक और जलन से तीनों बुरी तरह तड़पते रहे और किसी तरह अपनी जान बचाते रहे।
घटना के बाद हालात और भी भयावह हो गए जब घायल वन कर्मियों की चीखें नज़दीकी वन चौकी तक पहुंचीं। वहां तैनात अन्य वनकर्मियों ने स्थिति को तुरंत समझा और बिना वक्त गंवाए बेहद समझदारी और तेजी दिखाते हुए धुएं का सहारा लिया। धुएं की तीव्रता और उसके फैलाव ने अंततः मधुमक्खियों को पीछे हटने पर मजबूर किया और इन बहादुर सहयोगियों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। घायल राकेश कुमार दिवाकर, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है, ने बताया कि यह हमला इतना अचानक और अकल्पनीय था कि कोई कुछ सोच ही नहीं पाया। मधुमक्खियां चारों तरफ से टूट पड़ी थीं और कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। केवल जान बचाना ही उस समय का लक्ष्य था। यह एक ऐसा क्षण था जहां प्रकृति की अकल्पनीय शक्ति का सामना इंसानी साहस से हुआ।
जैसे ही घायलों को बाहर लाया गया, बिना समय गंवाए सभी को रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां तत्काल उपचार शुरू किया गया। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, तीनों वनकर्मियों की हालत स्थिर है लेकिन मधुमक्खियों के डंक की वजह से शरीर में सूजन और एलर्जी की समस्या गंभीर है, जिसके लिए विशेष इलाज दिया जा रहा है। राकेश कुमार दिवाकर ने यह भी बताया कि यह मधुमक्खियों का हमला उनके लिए एक नया सबक बनकर आया है और आने वाले समय में जंगल में गश्त के दौरान इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी जरूरी है। यह चेतावनी है कि गर्मियों के मौसम में जब मधुमक्खियां अत्यधिक सक्रिय होती हैं, तो गश्त के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा और सावधानी बेहद आवश्यक हो जाती है।
इस पूरी घटना ने वन विभाग को भी सकते में डाल दिया है और अब यह सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि क्या वनकर्मियों को गश्त पर भेजने से पहले उन्हें आवश्यक सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाने चाहिए? क्या विभाग को अब जंगल में गश्त के लिए विशेष प्रशिक्षण और आपातकालीन योजनाएं नहीं बनानी चाहिए? इस हादसे ने वन विभाग की उस नाजुक स्थिति को भी उजागर किया है, जिसमें हमारे बहादुर वनकर्मी सीमित संसाधनों के साथ, जीवन को दांव पर लगाकर प्रकृति की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात रहते हैं। महिपाल सिंह और दीपक कुमार जैसे समर्पित कर्मियों की हिम्मत और जज़्बा काबिले तारीफ़ है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या उनकी जान की कीमत इस तरह के खतरों के आगे इतनी कम रह गई है कि अब उन्हें भी अपने ड्यूटी के साथ-साथ मौत से जूझना पड़े?
फिलहाल तीनों घायल वनकर्मियों की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन यह घटना पूरे वन विभाग के लिए एक चेतावनी है—एक ऐसी चेतावनी जो गर्मियों में बढ़ते मधुमक्खियों के खतरे की ओर स्पष्ट संकेत कर रही है। विभाग को अब अपने गश्ती दलों के लिए विशेष सुरक्षा उपायों को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि आगे किसी भी वनकर्मी को ऐसी भयावह परिस्थिति का सामना न करना पड़े। जंगल में रहकर जंगल की ही ताकत के सामने झुकना इन कर्मियों का भाग्य नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें वह संसाधन और सुरक्षा दी जानी चाहिए जिनसे वे अपनी जान की सलामती के साथ जंगल की सेवा कर सकें। राकेश कुमार दिवाकर, महिपाल सिंह, और दीपक कुमार की यह पीड़ा एक ज़रूरी बदलाव की मांग करती है—ऐसी व्यवस्था की जो साहस को सुरक्षा का कवच भी दे।