हरिद्वार। इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा, और लाखों की संख्या में भक्तों ने हरकी पैड़ी और अन्य प्रमुख घाटों पर गंगा स्नान कर अपने पापों का प्रक्षालन किया। सवेरे ब्रह्म मुहूर्त के दौरान शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिनभर जारी रहा। श्रद्धालुओं ने गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दिया और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में दान पुण्य किया। इस दौरान भक्तों ने अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना भी की। साथ ही, स्नान के बाद अनेक श्रद्धालुओं ने मंशा देवी, चंडी देवी और अन्य पौराणिक मंदिरों में दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। यह धार्मिक आयोजन न केवल पुण्य की प्राप्ति का अवसर था, बल्कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करने वाला साबित हुआ।
श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनज़र, पुलिस प्रशासन ने इस बार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार के मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए थे। मेला क्षेत्र को 8 जोन और 21 सेक्टरों में बांट कर सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए थे। घाटों पर जल पुलिस की तैनाती के साथ-साथ भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि भीड़ नियंत्रित रहे और किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो। इन सावधानियों के बावजूद, प्रशासन का अनुमान था कि इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचेंगे, हालांकि, भीड़ अपेक्षानुसार कम रही। फिर भी, शहर के बाजारों में चहल-पहल बनी रही, जो निश्चित तौर पर व्यापारियों के लिए राहत की बात थी।

मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने कई नए उपायों को भी लागू किया था, जैसे कि ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए विशेष दिशा-निर्देशों का पालन कराया गया। घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने पर्याप्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया था ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना को रोका जा सके। बाजारों में बढ़ती हलचल और व्यापारियों के चेहरे पर रौनक साफ दिखाई दी, जो पाकिस्तान के साथ चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों और मंदी के असर से जूझ रहे थे। मंदी के कारण व्यापारियों के लिए यह दिन राहत का संचार करने वाला था। कारोबार में कुछ गति आई, जिससे हरिद्वार के व्यापारिक क्षेत्र में सकारात्मक माहौल देखने को मिला।
हरिद्वार में बुद्ध पूर्णिमा के दिन आयोजित गंगा स्नान की धार्मिक महत्ता को देखते हुए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचे थे, और यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ा संदेश देता है। भक्तों के गंगा स्नान के बाद, विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों ने भी पुण्य लाभ के लिए इस दिन का महत्व समझते हुए अन्य धार्मिक क्रियाओं में भाग लिया। मंशा देवी और चंडी देवी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा, जहां उन्होंने देवताओं से अपने परिवारों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। यह दिन न केवल हरिद्वार के लिए, बल्कि पूरे उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के रूप में माना जाता है, जो हर व्यक्ति के जीवन में विशेष स्थान रखता है।
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दौरान हरिद्वार में, जहां एक ओर भक्तों की आस्था देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और सुरक्षा बलों की सजगता ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। श्रद्धालुओं ने न केवल गंगा स्नान किया, बल्कि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी किए और समाज के कल्याण की कामना की। साथ ही, इस दिन को लेकर व्यापारियों में उत्साह का माहौल था, जिन्होंने कुछ राहत महसूस की, क्योंकि बाजारों में सामान्य से अधिक भीड़ रही, जो मंदी के कारण पिछले कुछ समय से नहीं देखी गई थी। हरिद्वार के बाजारों में यह हलचल व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुई और व्यापारियों ने इसे एक संजीवनी के रूप में देखा।

सभी ने इस दिन को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया और पूरे आयोजन में एकजुटता और शांति का वातावरण देखा गया। बुद्ध पूर्णिमा के दिन हरिद्वार में जो कुछ हुआ, वह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन था, जिसने लोगों को न केवल धार्मिक रूप से बल्कि मानवता और भाईचारे के रूप में भी जोड़ने का काम किया। इस दिन की धार्मिक अनुष्ठान की गरिमा और प्रशासनिक व्यवस्था ने यह साबित कर दिया कि भारत में ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गहरी छाप छोड़ते हैं।