नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली सचिवालय की दीवारों ने शनिवार को एक अभूतपूर्व हलचल देखी जब राजधानी की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आपातकालीन तैयारियों की समीक्षा के लिए सभी विभागाध्यक्षों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। गर्मी के मौसम में संभावित आपदाओं और अनपेक्षित संकटों से निपटने के लिए इस बैठक को बेहद गंभीरता से लिया गया, जिसमें हर विभाग को अपने-अपने दायित्वों के प्रति सतर्क किया गया। इस समीक्षा के केंद्र में था एक साझा उद्देश्य—दिल्लीवासियों की जान-माल की सुरक्षा और उनकी बुनियादी सेवाओं को आपदा की स्थिति में भी निर्बाध बनाए रखना। राजधानी के प्रमुख प्रशासकों की मौजूदगी में इस बैठक ने प्रशासनिक सजगता का एक नया मानक स्थापित किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बैठक को केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक ‘वार रूम’ के रूप में देखा, जहाँ हर विभाग को पूरी तरह तैयार रहने का आदेश मिला।
स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती को सर्वोपरि मानते हुए बैठक में रेखा गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिए कि राजधानी के सभी अस्पतालों को आपात स्थिति से निपटने के लिए हर मोर्चे पर तैयार रहना चाहिए। अस्पतालों की इमरजेंसी इकाइयों में बेड्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, जीवन रक्षक दवाओं तथा इन्फ्यूजन जैसी जरूरी सामग्रियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ, एम्बुलेंस की उपलब्धता में कोई कमी न रहे, यह भी तय करने को कहा गया। गहन चिकित्सा इकाइयों में बैकअप पावर की स्थिति का आकलन कर उसे और पुख्ता बनाने के आदेश भी दिए गए। साथ ही, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की छुट्टियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर एक नई ड्यूटी शिफ्ट योजना बनाने का निर्देश भी दिया गया, ताकि किसी भी क्षण संकट का मुकाबला किया जा सके।
राजस्व विभाग को राजधानी के ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों यानी DDMAs को तत्काल प्रभाव से सक्रिय करने को कहा गया ताकि किसी भी क्षेत्र में आपदा की स्थिति आने पर राहत और बचाव कार्यों को बिना किसी देरी के अंजाम दिया जा सके। इसके अलावा शहर के ऐसे स्थानों की पहचान करने का आदेश दिया गया जहाँ जरूरत पड़ने पर आश्रय स्थल बनाए जा सकें। वहीं सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स यानी CDVs को मानसिक और भौतिक रूप से पूरी तरह तैयार रखने के लिए प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल्स आयोजित करने के निर्देश भी दिए गए। एक और अहम निर्णय के तहत सशस्त्र बलों, रेलवे और हवाई अड्डा प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए अलग-अलग समर्पित नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की बात सामने आई, ताकि किसी भी स्थिति में बहु-एजेंसी सहयोग निर्बाध रूप से हो सके।
दिल्ली को अंधेरे में डूबने से बचाने की तैयारी भी चर्चा का मुख्य बिंदु रही। पॉवर विभाग को यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में अस्पतालों, पानी की सप्लाई व्यवस्था, ट्रैफिक कंट्रोल और अन्य आवश्यक सेवाओं को लगातार बिजली मिलती रहे, इसके लिए वैकल्पिक स्रोतों और जनरेटर का पूरा इंतजाम रहे। विद्युत वितरण केंद्रों की समीक्षा कर उनकी संवेदनशीलता का आकलन करने तथा आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष दलों की तैनाती करने का आदेश भी जारी किया गया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जैसी घनी आबादी वाले महानगर में बिजली की सप्लाई में एक पल की चूक भी अराजकता का कारण बन सकती है।
गृह और पुलिस विभागों को भी इस बैठक में तीव्र गति से कार्रवाई हेतु निर्देशित किया गया। राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को चाक-चौबंद रखने के लिए पुलिस गश्त, ट्रैफिक कंट्रोल, और सामूहिक स्थलों की निगरानी को और तीव्र करने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही, जलापूर्ति और विद्युत वितरण जैसे अत्यावश्यक संसाधनों की सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया गया, ताकि संकट की घड़ी में कोई असामाजिक तत्व अव्यवस्था पैदा न कर सके। आपात स्थितियों में कानून व्यवस्था की रीढ़ बनकर उभरने वाले पुलिस बल को हाई अलर्ट पर रखा गया है और उनके रेस्पॉन्स टाइम को कम से कम करने हेतु आधुनिक तकनीक और त्वरित सूचना तंत्र को सक्रिय करने की सिफारिश की गई।
सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD), नगर निगम (MCD), और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) जैसी अवसंरचना से जुड़े एजेंसियों को निर्देशित किया गया कि वे संभावित संकटों में जरूरी निर्माण कार्यों जैसे तात्कालिक राहत शिविर, राहत गोदाम, जलनिकासी व्यवस्था और आपातकालीन सड़क निर्माण के लिए न केवल ठेकेदारों की एक तैयार सूची बनाए रखें, बल्कि जरूरी मशीनरी को भी एक्टिव मोड में रखें। इनके संचालन में किसी भी प्रकार की देरी न हो, इसके लिए ज़मीनी स्तर पर एक्शन प्लान तैयार करने और सामूहिक अभ्यास करने के आदेश भी बैठक में पारित हुए। रेखा गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि आपदा की स्थिति में ढांचागत प्रतिक्रियाशीलता ही प्रशासन की असली परीक्षा होती है।
DTC और DMRC जैसे यातायात के प्रमुख अंगों को भी इस रणनीतिक बैठक में उनकी जिम्मेदारियों की गहराई से याद दिलाई गई। दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को आपात निकासी और राहत कार्यों के लिए तैयार रखने के मकसद से रूट मैप्स का पुनर्निर्माण करने, वैकल्पिक मार्गों की पहचान करने और चालकों व स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण देने का आदेश जारी किया गया। इसके साथ ही, पूरी फ्लीट के निरीक्षण और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त बसों और मेट्रो रेक्स की तैनाती हेतु तैयार रहने के निर्देश भी दिए गए। किसी भी आपदा में भीड़ के सुगम और सुरक्षित निष्कासन के लिए ट्रैफिक और परिवहन विभागों के बीच निरंतर समन्वय की महत्ता को रेखांकित किया गया।
आख़िर में, दमकल विभाग की भूमिका पर भी विशेष ज़ोर दिया गया। आग लगने जैसी घटनाएं आपदा की स्थिति में और भयावह रूप ले सकती हैं, इसे देखते हुए दमकल विभाग को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड में रहने को कहा गया। फायर टेंडर्स की संख्या, लोकेशन, और उनकी गति को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हुई। साथ ही, ऊंची इमारतों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में तत्काल रिस्पॉन्स के लिए विशेष रैपिड एक्शन टीमें तैयार करने का आदेश भी दिया गया। रेखा गुप्ता ने इस पूरी बैठक को एक मिसाल के रूप में दर्शाते हुए स्पष्ट किया कि राजधानी में आपदा प्रबंधन अब केवल कागजों की योजना नहीं बल्कि हर विभाग की रोजमर्रा की प्राथमिकता होनी चाहिए।