हरिद्वार। पथरी क्षेत्र में बुधवार का सूरज कुछ अलग इरादों के साथ उगा, जब उत्तराखंड प्रशासन ने अवैध मदरसों के खिलाफ बड़ी और कड़ी कार्रवाई करते हुए पूरे इलाके में कानून का सख्त संदेश दे दिया। सुबह की शुरुआत एक सामान्य दिन की तरह हुई थी, लेकिन जैसे ही प्रशासनिक दस्ते भारी पुलिस बल के साथ पथरी क्षेत्र में दाखिल हुए, पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। सात ऐसे मदरसों पर ताले जड़ दिए गए जो वर्षों से बिना किसी वैध दस्तावेज़, अनुमति या सरकारी पंजीकरण के संचालित हो रहे थे। इन पर कार्रवाई की चिंगारी इतनी तीव्र थी कि क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल बन गया और लोग हैरान होकर तमाशबीन बन सबकुछ देख रहे थे। यह कोई मामूली निरीक्षण नहीं थाकृयह उत्तराखंड सरकार के उस कठोर संकल्प की परिणति थी जिसमें कानून व्यवस्था और धार्मिक स्थलों की वैधता को लेकर किसी भी प्रकार की रियायत को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
पथरी थाना क्षेत्र की गलियों में जब पुलिस की वर्दियाँ और प्रशासनिक गाड़ियों की आवाजाही तेज हुई, तब लोगों को समझ आ गया कि यह सामान्य सरकारी दौरा नहीं बल्कि कोई बड़ा कदम उठाया जा रहा है। जिन सात मदरसों को सील किया गया, उन सभी पर आरोप था कि वे न तो किसी पंजीकृत बोर्ड से मान्यता प्राप्त थे, न ही इनके पास कोई वैध अनुमति-पत्र मौजूद था। ये संस्थान लंबे समय से बिना किसी सरकारी निगरानी के संचालित हो रहे थे, जिससे न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे थे बल्कि क्षेत्र की सामाजिक संरचना पर भी संशय की परतें चढ़ने लगी थीं। इस निर्णायक कार्रवाई के समय मौके पर मौजूद रहे पथरी थाना प्रभारी मनोज नौटियाल, जिनकी सतर्कता और संयमित नेतृत्व में इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया गया। प्रशासन की तरफ से हर एहतियात बरती गई ताकि किसी भी प्रकार की अराजकता या विरोध का सामना न करना पड़े।
मदरसों की सीलिंग प्रक्रिया कोई अचानक लिया गया कदम नहीं था। इससे पहले प्रशासन की ओर से इन संस्थाओं को विधिवत नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें उनकी स्थिति स्पष्ट करने और संबंधित दस्तावेज़ उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। लेकिन जब बार-बार कहने और चेतावनी के बावजूद कोई संतोषजनक जवाब सामने नहीं आया, तब प्रशासन ने सख्त रूख अपनाते हुए सीधा कार्रवाई का रास्ता अपनाया। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हरिद्वार के एसडीएम जितेन्द्र कुमार ने स्पष्ट कहा कि यह कार्रवाई किसी विशेष धार्मिक समुदाय के विरुद्ध नहीं, बल्कि अवैध संस्थानों के खिलाफ है जो नियमों और व्यवस्थाओं को धता बताकर समाज में भ्रम और संदेह का वातावरण पैदा कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की संस्थाओं को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह सीधा कानून का उल्लंघन है।
हरिद्वार जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील जिले में इस तरह की कार्रवाई ने जहां प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति को उजागर किया है, वहीं जनता में यह भरोसा भी पैदा किया है कि अब कोई भी संस्था चाहे वह धार्मिक हो या शैक्षणिक, कानून की सीमाओं से ऊपर नहीं होगी। इस कार्रवाई के दौरान मदरसों के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा ताकि किसी प्रकार की अफवाह या भीड़ की प्रतिक्रिया पर तुरंत नियंत्रण पाया जा सके। मनोज नौटियाल की टीम पूरी मुस्तैदी से हर स्थिति पर नजर बनाए हुए थी और यह सुनिश्चित किया गया कि कानून व्यवस्था की एक रेखा भी न लांघी जाए। यह कड़ा संदेश अब केवल पथरी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्य के अन्य जिलों तक इसकी गूंज पहुंचेगी।
इस कार्यवाही के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि उत्तराखंड प्रशासन धार्मिक शिक्षा के नाम पर चल रही ऐसी संस्थाओं को बख्शने के मूड में नहीं है जो बिना सरकारी मान्यता के कार्य कर रही हैं। शासन का इरादा साफ हैकृकानून सबके लिए एक समान है और उसकी अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, चाहे वे किसी भी धर्म, पंथ या संस्था से जुड़े क्यों न हों। जितेन्द्र कुमार ने यह भी संकेत दिया कि आगे चलकर ऐसे अन्य क्षेत्रों की भी जांच की जाएगी और यदि कोई भी संस्था नियमों के विरुद्ध पाई जाती है, तो उस पर भी सख्ती से कार्रवाई होगी। इस सधे हुए और मजबूत रुख ने यह जता दिया कि उत्तराखंड अब अनदेखी की नीति छोड़कर व्यवस्था के रास्ते पर मजबूती से बढ़ रहा है।