हरिद्वार। नगर की पावन धरती पर उस समय देशभक्ति की चिंगारी शोले में तब्दील हो गई जब एसएमजेएन पीजी कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों ने हाथों में तिरंगा थामे, “भारत माता की जय” और “हर हर मोदी” के उद्घोष के साथ पूरे परिसर को गर्व, जोश और जुनून से भर दिया। ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता ने देशभर में जहां एक तरफ जोश की लहर पैदा की है, वहीं हरिद्वार की शैक्षणिक धरती ने इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान के उत्सव में बदल दिया। पाकिस्तान की सरजमीं पर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की भारतीय वायुसेना की इस साहसी कार्रवाई का जश्न मनाते हुए छात्र-छात्राओं ने पूरे परिसर में तिरंगा यात्रा निकाली, जिसमें सैकड़ों युवा देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत नजर आए। “जय हिंद सेना” के जयघोषों के बीच सजे-धजे कॉलेज परिसर की हवा में जो गर्व था, उसने यह संदेश दे दिया कि आज भारत के हर कोने में मोदी सरकार और भारतीय सेना के पराक्रम को सलाम किया जा रहा है।
इस ओजपूर्ण दृश्य के बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के तेजस्वी और मुखर अध्यक्ष तथा श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के परम पूज्य अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज का गर्जना भरा बयान मानो पूरे माहौल में ललकार बनकर गूंज उठा। उन्होंने इस ऐतिहासिक सर्जिकल कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति का स्पष्ट प्रमाण करार देते हुए कहा कि अब वह समय आ चुका है जब भारत सिर्फ चेतावनी नहीं देता, बल्कि दुश्मन की धरती पर जाकर जवाब भी देता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति, नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि आज हर संत, हर नागा, हर भारतवासी जय हिंद सेना के साथ खड़ा है।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाबी वार को लेकर तीखे शब्दों में कहा कि अब समय आ गया है जब भारत अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सिर्फ बात नहीं करता, बल्कि दुश्मन की जमीन पर घुसकर करारा जवाब भी देता है। उन्होंने गर्जना करते हुए स्पष्ट किया कि यदि आने वाले समय में भारतमाता को फिर किसी खतरे का सामना करना पड़ा, तो अखाड़ों के नागा साधु भी सीमा पर जाने और राष्ट्ररक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तन-मन से पूर्णतः तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अखाड़ों की परंपरा केवल आध्यात्मिक चेतना तक सीमित नहीं रही, बल्कि जब भी भारत पर संकट आया है, संतों और नागा साधुओं ने रणभूमि में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ाए हैं। उनका यह तीखे स्वर में दिया गया संदेश हरिद्वार की चेतना को झकझोर कर गया और देशभर में गूंज उठा।
उधर, एसएमजेएन पीजी कॉलेज के कर्मठ और प्रेरणादायी प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा ने इस पूरे आयोजन का मार्गदर्शन करते हुए अपने ओजस्वी विचारों में कहा कि पहलगाम में आतंकियों द्वारा बर्बरता से मारे गए मासूम पर्यटकों की आत्मा को अब अवश्य ही शांति मिली होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध लिए गए इस निर्णय को युगांतरकारी करार दिया और कहा कि यह कार्रवाई केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि प्रत्येक भारतीय की आत्मा से उपजा प्रतिशोध है। उनके अनुसार आज भारत को न केवल एक सशक्त सेना मिली है, बल्कि एक ऐसा नेतृत्व मिला है जो पलटवार करना जानता है, कूटनीति के साथ-साथ करारा जवाब देना भी जानता है। डॉ. बत्रा ने यह भी कहा कि भारत की चुप्पी को कोई उसकी कमजोरी न समझे, वह मौन कभी भी तूफान में बदल सकता है, और ऑपरेशन सिंदूर उसी तूफान का जीवंत उदाहरण है।
इस जोशीले आयोजन में केवल छात्र ही नहीं, बल्कि ज्ञान के मंदिर के पुरोधाकृअर्थात शिक्षक वर्ग ने भी अपनी सक्रिय और उत्साही भागीदारी से सबका ध्यान खींचा। कक्षा की चारदीवारी और पाठ्यक्रम की सीमाओं से परे जाकर इन शिक्षकों ने यह सशक्त संदेश दिया कि आज की शिक्षा व्यवस्था अब सिर्फ किताबी ज्ञान तक सिमटी हुई नहीं है, बल्कि उसमें राष्ट्रधर्म की चेतना गहराई से पैठ चुकी है। तिरंगा थामे, देशभक्ति के नारों के बीच शिक्षक जिस गरिमा और जोश से तिरंगा यात्रा में सम्मिलित हुए, उसने यह सिद्ध कर दिया कि आने वाली पीढ़ियों को देशप्रेम और कर्तव्यपरायणता की भावना वही शिक्षक देंगे जो स्वयं उसमें रचे-बसे होंगे। उनकी उपस्थिति इस बात की प्रतीक बनी कि अब भारत का शिक्षक वर्ग सिर्फ ज्ञानदाता नहीं, बल्कि राष्ट्ररक्षक तैयार करने वाला प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
इस अवसर पर विशेष रूप से डॉ. सुनील कुमार बत्रा के साथ डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी, रिया कश्यप, कशिश ठाकुर, डॉ. मन मोहन गुप्ता, प्रो. जगदीश चन्द्र आर्य, विनय थपलियाल, डॉ. सुषमा नयाल, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. अनुरिषा, डॉ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डॉ. पुनीता शर्मा, डॉ. शिव कुमार चौहान, डॉ. मनोज कुमार सोही और डॉ. पल्लवी राणा की गरिमामयी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक और प्रेरणादायी बना दिया। इन सभी शिक्षकों ने छात्रों के साथ कदम से कदम मिलाकर देशभक्ति के इस महाउत्सव में हिस्सा लिया और यह संकेत दिया कि आज का भारत अपने अतीत के गौरव, वर्तमान की शक्ति और भविष्य की उम्मीद के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है।