रामनगर । हाल ही में नैनीताल जिले में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना ने पूरे राज्य में गुस्से की लहर दौड़ा दी है। इस घटना के बाद प्रदेश में फैले सांप्रदायिक तनाव को लेकर रामनगर क्षेत्र के जन संगठनों ने सोमवार को एक ज्ञापन भेजा। ज्ञापन को कोतवाली प्रभारी निरीक्षक के माध्यम से उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक को भेजा गया, जिसमें दुष्कर्म के मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है। इसके साथ ही प्रदेश भर में हिंसा और सांप्रदायिक हमलों को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। जन संगठनों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा दी जानी चाहिए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए।
ज्ञापन में प्रमुख रूप से यह मांग की गई है कि नैनीताल दुष्कर्म प्रकरण को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर त्वरित सुनवाई की जाए, ताकि पीड़िता को शीघ्र न्याय मिल सके। जन संगठनों ने यह भी कहा है कि राज्यभर में फैले अराजक तत्वों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए, जिन्होंने घटना के बाद तोड़फोड़, गाली-गलौच और सांप्रदायिक हमले किए। ऐसे तत्वों के खिलाफ नामजद मुकदमे दर्ज किए जाएं और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए। इसके साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की गारंटी भी दी जाए, ताकि उनके खिलाफ कोई भी हिंसा न हो। जन संगठनों ने यह भी अनुरोध किया है कि पुलिस प्रशासन के अलावा किसी अन्य को लोगों की आईडी जांचने या पूछताछ करने का अधिकार न दिया जाए।
इस ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें हेट स्पीच के मामलों में पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। जन संगठनों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए। इसके अतिरिक्त, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर लगाए गए प्रतिबंध का पालन भी सुनिश्चित किया जाए। इस घटना को लेकर जन संगठनों ने गहरी चिंता जताई है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और समाज में तनाव फैलाया।
नैनीताल में 72 वर्षीय आरोपी मोहम्मद उस्मान द्वारा एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म की यह घटना पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख गई। आरोपी को 1 मई को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, लेकिन इसके बावजूद कुछ संगठन इस मामले को सांप्रदायिक रूप में पेश करने में जुटे हुए हैं। जन संगठनों का आरोप है कि भाजपा और आरएसएस से जुड़े कुछ अराजक तत्वों ने महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर जुलूस निकाला और अल्पसंख्यक समुदाय के घरों तथा दुकानों पर हमला किया। इसके अलावा, वे पुलिस थाने में घुसकर एक अल्पसंख्यक पुलिस अधिकारी पर भी हमला करने से नहीं चुके। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे इस प्रकार के अपराधियों को बढ़ावा मिल रहा है।
इसके अलावा जन संगठनों का आरोप है कि अब कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा एक सुनियोजित तरीके से पूरे उत्तराखंड में अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। इन तत्वों ने अल्पसंख्यक समुदाय की दुकानों को बंद करने के प्रयास किए हैं और उनसे जबरन अपनी आईडी दिखाने की मांग की जा रही है, जो संविधान और कानून के खिलाफ है। यह पूरी स्थिति समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही है, जिससे आम लोगों का कानून-व्यवस्था से भरोसा उठने लगा है।
समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नैनीताल में हुई दुष्कर्म की घटना ने न केवल समाज को हिलाकर रख दिया है, बल्कि इसके बाद जो सांप्रदायिक तनाव और अराजकता फैली है, वह भी बेहद गंभीर है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्वों ने इस घटना का फायदा उठाकर समाज में घृणा और हिंसा फैलाने की कोशिश की है। मुनीष कुमार ने कहा कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को अब कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियों को बिना किसी भेदभाव के सजा दिलवानी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि पुलिस को अपनी भूमिका को सशक्त बनानी चाहिए और किसी भी तरह की सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उनके अनुसार, यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य में शांति और भाईचारे को गंभीर खतरा हो सकता है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने नैनीताल में घटित दुष्कर्म की घटना को अत्यंत शर्मनाक और समाज को झकझोर देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता, नफरत और हिंसा की ओर इशारा करती है। ध्यानी ने आरोप लगाया कि राज्य में कुछ सत्ताधारी दलों से जुड़े संगठनों द्वारा इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, जिससे समाज में एक नई दरार पैदा हो रही है। उन्होंने मांग की कि पुलिस प्रशासन को पूरी तरह से निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। ध्यानी ने यह भी कहा कि सरकार को इस अवसर पर समाज के हर वर्ग को सुरक्षा देने का काम करना चाहिए, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को। उनका कहना था कि समाज में डर और तनाव की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंमवाल, महिला एकता मंच की सरस्वती और कौशल्या, किसान संघर्ष समिति के महेश जोशी और राजेन्द्र, टी. के. खान, मौ. आसिफ, उबैदुल हक, बीडी नैनवाल और जमनराम समेत कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर इसे पूरी ताकत से समर्थन दिया है। इन जन संगठनों ने साफ तौर पर कहा कि यह समय है जब पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार को इस संवेदनशील मामले में त्वरित और ठोस कदम उठाने चाहिए। उनका कहना है कि दोषियों को किसी भी हालत में बचने नहीं दिया जाना चाहिए, और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलवाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। इन नेताओं का यह भी मानना है कि इस घटना से उत्पन्न हुई सांप्रदायिक और अराजकता की स्थिति को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। इन संगठनों ने हर कीमत पर समाज में शांति और भाईचारे को बनाए रखने की मांग की है।
जन संगठनों ने इस ज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से यह गंभीर अपील की है कि वे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए प्रदेश में शांति और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाएं। उनका कहना है कि इस प्रकार की संवेदनशील घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को ठोस और प्रभावी रणनीतियां तैयार करनी होंगी, ताकि भविष्य में कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। इन संगठनों ने यह भी कहा कि राज्य की सुरक्षा और सामाजिक सद्भावना अब पूरी तरह से राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बन चुकी है, और इस दिशा में जितनी तत्परता से कदम उठाए जाएंगे, उतनी ही तेजी से समाज में शांति स्थापित हो पाएगी। उनका मानना है कि यह सब मिलकर ही संभव है, और अगर सभी पक्ष साथ आकर काम करेंगे, तो उत्तराखंड में शांति, समृद्धि और सामाजिक भाईचारा बहाल किया जा सकता है।