spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडसाधु की आड़ में छिपा खूनी बेनकाब उत्तराखंड STF ने बाबा को...

साधु की आड़ में छिपा खूनी बेनकाब उत्तराखंड STF ने बाबा को दबोचा

हत्या के बाद बना नकली संत, नानकमत्ता हत्याकांड के मास्टरमाइंड बाबा अनूप सिंह को STF ने हरिद्वार से घेरा और पकड़ा

हरिद्वार। पवित्र सरज़मीन पर जब एक रुद्राक्ष माला पहने, गेरुए वस्त्र में लिपटा बाबा शांति का उपदेश दे रहा था, तो किसी को क्या पता था कि इस शांतचित्त चेहरों की आड़ में एक खूंखार कातिल अपनी पहचान को छिपाए बैठा है। साधु का चोला ओढ़कर अपराध से मुक्ति नहीं मिलती — यह बात उत्तराखंड STF ने श्यामपुर क्षेत्र में जब 25 हजार के इनामी अपराधी बाबा अनूप सिंह को धर दबोचा, तो साफ हो गई। बाबा तरसेम सिंह की नृशंस हत्या में वांछित यह हत्यारा खुद को परम ज्ञानी दिखाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कानून की पैनी नजरों से आखिरकार बच नहीं सका। एक तरफ वह कथित धर्म का प्रचार कर रहा था, दूसरी ओर उसकी आत्मा पर खून का कलंक था — जिसे मैनुअल इंटेलिजेंस से लैस उत्तराखंड STF ने ढूंढ निकाला और पर्दे के पीछे के षड्यंत्र को उजागर कर दिया।

नाक की सीध में घूमती सड़कों, घाटों और आश्रमों की भीड़ में जब एसटीएफ ने अपनी नजरें साधीं, तो हर तरफ एक ही सवाल था – क्या कोई हत्यारा वाकई बाबा का भेष लेकर शरण ले सकता है? जवाब STF को हरिद्वार के श्यामपुर इलाके में मिला, जहां बाबा अनूप सिंह बनकर यह हत्यारा शांति और साधना की माया फैलाए बैठा था। 28 मार्च 2024 को ऊधमसिंह नगर के नानकमत्ता में डेरा कार सेवा प्रमुख जत्थेदार बाबा तरसेम सिंह को दिनदहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया था। यह कोई आवेश में की गई हत्या नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह सुनियोजित राजनीतिक और धार्मिक शक्ति-संघर्ष का हिस्सा थी। गवाही और सबूतों की जांच ने धीरे-धीरे इस हत्या की परतें खोलीं और हर परत के नीचे अनूप सिंह का नाम और चेहरा सामने आता चला गया।

यह वही अनूप सिंह है, जिस पर बाबा तरसेम सिंह की हत्या का मास्टरमाइंड होने का आरोप है। हत्याकांड के बाद वह भूमिगत हो गया और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में अपने ठिकाने बदलता रहा। लेकिन वो यह भूल गया था कि STF की मैनुअल पुलिसिंग आज भी मशीनों से तेज़ है। उसने जहां-जहां कदम रखा, वहां वहां उसके सुराग बिखरते गए और अंततः वह हरिद्वार की शांत छांव में साधु की वेशभूषा में छिपता पाया गया। गेरुए कपड़े, माथे पर तिलक और हाथों में माला लेकर वह खुद को भक्तों के बीच साधु के रूप में प्रस्तुत कर रहा था, लेकिन एसटीएफ की पैनी नजरें जब उस पर टिकीं, तो उसकी चालबाजियों की पोल खोल दी गई।

एसएसपी STF नवनीत सिंह भुल्लर ने खुलासा करते हुए कहा कि यह केस उत्तराखंड पुलिस के लिए बेहद संवेदनशील और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ रहा है। अब तक इस मामले में कुल 10 आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचाए जा चुके हैं, लेकिन बाबा अनूप सिंह की गिरफ्तारी ने न केवल इस केस को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है, बल्कि कई और बड़े खुलासों की नींव रख दी है। पुलिस को उम्मीद है कि अब पूरे षड्यंत्र की रूपरेखा स्पष्ट होगी और यह सामने आएगा कि आखिर इस हत्याकांड के पीछे कौन-कौन सी ताकतें सक्रिय थीं। नानकमत्ता की उस साजिश में सिर्फ गोलियों की गूंज नहीं थी, उसमें छुपा था वर्चस्व का टकराव, जो अब STF के हथियारों के आगे दम तोड़ चुका है।

इस गिरफ्तारी के लिए STF की जो टीम तैयार की गई थी, उसने एक-एक कदम गहराई से सोचा और निष्पादन में कोई चूक नहीं होने दी। इस ऑपरेशन का नेतृत्व निरीक्षक अबुल कलाम ने किया, जबकि उनके साथ उपनिरीक्षक यादविंदर सिंह बाजवा, विद्या दत्त जोशी, अवर उपनिरीक्षक संजय मेहरोत्रा, हेड कांस्टेबल संजय कुमार, महेंद्र नेगी, बृजेन्द्र चौहान, कांस्टेबल मोहन असवाल, जितेन्द्र कुमार, और गोविंद बल्लभ ने इस कार्रवाई को सटीक अंजाम तक पहुंचाया। टीम की मेहनत, खुफिया जानकारी का सूक्ष्म विश्लेषण और अडिग संकल्प ने साबित कर दिया कि कानून से बचना नामुमकिन है — चाहे कोई हत्यारा साधु का चोला क्यों न पहन ले।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!