spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडमुस्लिम समाज का फौलादी वार दुष्कर्मी मोहम्मद उस्मान को जमात से किया...

मुस्लिम समाज का फौलादी वार दुष्कर्मी मोहम्मद उस्मान को जमात से किया बाहर

पीड़िता का पूरा खर्च उठाने आया समाज आगे, मस्जिद में घुसने से रोका, अवैध बाहरी लोगों पर भी प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग तेज़।

नैनीताल। नगर कि हवा इन दिनों एक ऐसा सन्नाटा समेटे हुए है, जिसने न केवल शहर के जनजीवन को झकझोर दिया है बल्कि पर्यटन जैसे धड़कते क्षेत्र को भी हिला कर रख दिया है। एक मासूम बच्ची के साथ हुए घिनौने अपराध ने पूरे समाज की आत्मा को झकझोर दिया है, और यही कारण है कि अब मुस्लिम समुदाय ने खुद आगे बढ़कर आरोपी मोहम्मद उस्मान ख़ान को अपने समाज से बाहर निकालने का साहसिक निर्णय लिया है। यह कोई साधारण बहिष्कार नहीं है, बल्कि एक मजबूत सामाजिक संदेश है कि ऐसे जघन्य अपराध की कोई भी सूरत में जगह नहीं है, चाहे अपराधी किसी भी धर्म या समुदाय से क्यों न आता हो। मोहम्मद उस्मान ख़ान अब न तो मस्जिद की चौखट लांघ सकता है, न ही किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का हक रखता है। यह घोषणा केवल एक सजा नहीं, बल्कि एक उदाहरण है कि समाज अपनी बेटियों की अस्मिता पर कोई समझौता नहीं करेगा।

इस पूरे मामले में जो सबसे अधिक प्रभावशाली पहलू सामने आया है, वह है मुस्लिम समाज की एकजुटता और उनकी संवेदनशीलता, जिसने न केवल घटना की कड़ी निंदा की, बल्कि पीड़ित परिवार के प्रति अपनी संपूर्ण सहानुभूति भी प्रकट की है। समाज के वरिष्ठजनों ने साफ कहा है कि ऐसे घिनौने कृत्य करने वाले दरिंदों को बख्शना इंसानियत के खिलाफ होगा, और उन्होंने सरकार से निष्पक्ष व कठोर जांच की पुरज़ोर मांग की है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि पीड़ित बच्ची की चिकित्सा से लेकर उसकी शिक्षा तक का सारा खर्च समुदाय स्वयं वहन करेगा और यदि भविष्य में पीड़ित परिवार को किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हुई तो पूरा समाज उनके साथ खड़ा रहेगा। यह संवेदनशीलता केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरती हुई वह भावना है जो एक घाव पर मरहम लगाने की कोशिश कर रही है।

घटना का सबसे कड़वा सच तब सामने आया जब यह खुलासा हुआ कि आरोपी मोहम्मद उस्मान ख़ान न केवल बच्ची का पड़ोसी था, बल्कि 73 वर्ष की आयु में भी वह इस कदर हैवानियत पर उतर आया कि उसने महज दो सौ रुपये का लालच देकर बच्ची को अपनी कार में जबरन बिठाया और फिर चाकू की नोक पर उसका शील भंग किया। यह घटना 12 अप्रैल की है जब 14 वर्षीय छात्रा बाज़ार से घर लौट रही थी, और मोहल्ले का ही यह वृद्ध राक्षस उस पर निगाहें गड़ाए बैठा था। घटना के बाद डरी-सहमी बच्ची कुछ दिनों तक चुप रही, लेकिन जब उसका मनोबल टूटा, तो उसने सारी सच्चाई अपनी बड़ी बहन को बताई। दोनों बहनें नैनीताल के रुकुट कंपाउंड में रहती हैं और जैसे ही परिजनों को यह भयानक सच्चाई पता चली, वे मल्लीताल कोतवाली पहुंचे और आरोपी के खिलाफ तहरीर दी।

इसी के साथ मुस्लिम समाज ने एक और ज़रूरी मुद्दा उठाया है जो इस घटना से गहराई से जुड़ा हैकृऔर वह है शहर में अवैध रूप से रह रहे बाहरी लोगों का सघन सत्यापन। समाज के लोगों का कहना है कि कई बार ऐसे ही संदिग्ध और अनजान चेहरे शांति और सभ्यता को तहस-नहस कर देते हैं, इसलिए यह अनिवार्य है कि प्रशासन सतर्क हो और सभी बाहरी नागरिकों की पहचान कर उनका पंजीकरण करे। इस सिलसिले में समुदाय ने प्रशासन को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है और कहा है कि यदि यह अभियान ईमानदारी से चलाया जाए तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है। मुस्लिम समाज का यह रुख केवल सुरक्षा की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत भी एक बेहद अहम कदम माना जा रहा है।

इस वीभत्स घटना के बाद नैनीताल, जो आम तौर पर अपने सौंदर्य और शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है, अब तनाव और डर की गिरफ्त में है। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, होटलों में सन्नाटा है, होमस्टे की बुकिंग्स एक के बाद एक रद्द हो रही हैं और पर्यटक जल्दबाज़ी में लौटने लगे हैं। कोविड लॉकडाउन के बाद पहली बार नैनीताल ने इस तरह की खामोशी और उजाड़पन देखा है। यह अपराध केवल एक बच्ची की जिंदगी पर असर नहीं डालता, बल्कि पूरे शहर की छवि, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को झकझोर देता है। नैनीताल अब अपनी खोई हुई गरिमा और शांति को वापस लाने की लड़ाई लड़ रहा है, और इस लड़ाई में समाज, प्रशासन और आम नागरिकों का मिलकर उठाया गया हर कदम निर्णायक बन सकता है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!