रामनगर। नैनीताल में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर एकजुटता दिखाई है। पैंठपड़ाव में समाजवादी लोकमंच के कार्यालय में संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती की अगुवाई में आयोजित बैठक में इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया गया। कार्यकर्ताओं ने अपराधी को कठोरतम सजा देने, मामले को त्वरित न्यायालय में चलाने और पीड़िता व उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने की मांग उठाई। साथ ही, इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि 6 मई को संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रभारी निरीक्षक कोतवाल के माध्यम से उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन सौंपेगा। इस घटना ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है और लोग न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने को तैयार हैं।
पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी बैठक में गंभीर सवाल उठाए गए। कुछ संगठनों द्वारा इस मामले को सांप्रदायिक रंग देकर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश की गई, जिसे कार्यकर्ताओं ने अस्वीकार्य बताया। पुलिस की नाक के नीचे अराजकता फैलाने और कोतवाली में एक दरोगा के साथ अभद्र व्यवहार की घटना ने प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। कार्यकर्ताओं ने मांग की कि ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। इस बैठक में मुनीष कुमार (समाजवादी लोकमंच), रोहित रूहेला (इंकलाबी मजदूर केंद्र), सरस्वती जोशी, कौशल्या (महिला एकता मंच), तुलसी छिम्बाल (प्रगतिशील महिला एकता केंद्र), उषा पटवाल (साइंस फॉर सोसाइटी), आसिफ और प्रभात ध्यानी (उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी) जैसे प्रमुख कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने एक स्वर में इस घटना की निंदा की और त्वरित न्याय की मांग को दोहराया।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने नैनीताल में नाबालिग बच्ची के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म की घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह अपराध केवल एक घटना नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन की विफलता का प्रतीक है। उन्होंने मांग की कि आरोपी को कठोरतम सजा दी जाए, मामला त्वरित न्यायालय में चले, और पीड़िता व उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए। ध्यानी ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ तत्वों द्वारा इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश निंदनीय है। उन्होंने प्रशासन से ऐसी अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। ध्यानी ने जोर देकर कहा कि समाज को एकजुट होकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
सरस्वती जोशी और कौशल्या (महिला एकता मंच) ने रामनगर, नैनीताल में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए क्रूर और अमानवीय बलात्कार की घटना की तीव्र निंदा की। उन्होंने इसे समाज की नैतिकता पर काला धब्बा और प्रशासन की लापरवाही का जीवंत सबूत करार दिया। उन्होंने जोरदार मांग की कि दोषी को कठिन से कठिन दंड मिले, केस को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में तुरंत सुना जाए, और पीड़िता व उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा दी जाए। पुलिस की सुस्ती और मामले को सांप्रदायिक रंग देने की साजिशों पर उन्होंने गुस्सा जाहिर किया। जोशी और कौशल्या ने आह्वान किया कि समाज को एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी। महिला एकता मंच पीड़िता के लिए न्याय की लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने प्रशासन से अशांति फैलाने वालों पर त्वरित कार्रवाई और सामाजिक चेतना जगाने की अपील की।
इस घटना ने नैनीताल के सामाजिक ताने-बाने को गहरी चोट पहुंचाई है। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि समाज का हर वर्ग इस जघन्य अपराध के खिलाफ एकजुट है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। बैठक में यह भी जोर दिया गया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता और प्रशासनिक सख्ती दोनों जरूरी हैं। 6 मई को होने वाला ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। कार्यकर्ताओं ने आम जनता से भी अपील की कि वे इस मुद्दे पर एकजुट होकर पीड़िता के समर्थन में खड़े हों और समाज में ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं।
नैनीताल में यह घटना केवल एक अपराध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करती है। कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्पक्षता और तत्परता के साथ निभानी होगी। सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भी प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। इस बैठक में शामिल सभी संगठनों ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल न्याय की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए दीर्घकालिक उपायों पर भी काम करेंगे। 6 मई को प्रस्तावित ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई इस दिशा में एक मजबूत शुरुआत होगी, जो पूरे उत्तराखंड में एक संदेश देगी कि समाज ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा।