रामनगर। पाटकोट रोड पर शराब की दुकान के खिलाफ महिलाओं का विरोध दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। 30 अप्रैल को यह विरोध लगातार 30वें दिन में प्रवेश कर चुका है, और महिलाएं अपने विरोध को और तेज करने की योजना बना रही हैं। पाटकोट रोड पर स्थित यह शराब की दुकान क्षेत्र की महिलाओं के लिए बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है। इन महिलाओं का कहना है कि एक महीना बीत चुका है, लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस स्थिति ने ग्रामीण महिलाओं में गहरी नाराजगी और निराशा पैदा कर दी है। उनका आरोप है कि जब से उन्होंने अपना विरोध शुरू किया है, तब से शासन और प्रशासन ने किसी भी स्तर पर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए गंभीरता से कोई कार्रवाई नहीं की है।
आंदोलनरत महिलाओं ने यह चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस शराब की दुकान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वे अपने आंदोलन को और उग्र रूप में आगे बढ़ाएंगी। महिलाओं ने 2 मई को रामनगर में एक बड़ी जनाक्रोश रैली निकालने का ऐलान किया है, जिसमें वे शासन और प्रशासन को जगाने के लिए एक प्रतीकात्मक रूप से “कानों में रुई ठूंसी जाएगी” जैसी हरकतें करेंगी। यह रैली केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए उनका एक बड़ा कदम होगा। महिलाएं यह संदेश देने की पूरी कोशिश करेंगी कि वे इस तरह के अन्याय को और सहन नहीं कर सकतीं और उन्हें अपने अधिकारों का संरक्षण चाहिए।
सम्बंधित अधिकारियों का कहना है कि शराब की दुकान के खिलाफ महिलाओं का विरोध पूरी तरह से जायज है, लेकिन वे यह भी मानते हैं कि इसका समाधान एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। दो सप्ताह पहले जब एसडीएम, तहसीलदार और आबकारी विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे थे, तो उन्होंने महिलाओं से कहा था कि वे इस मुद्दे को शासन तक पहुंचाएंगे और उचित कार्रवाई करेंगे। लेकिन इसके बाद से न तो कोई अधिकारी फिर से वहां पहुंचा और न ही किसी तरह की सक्रियता शासन स्तर पर दिखाई दी। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं में आक्रोश और निराशा की भावना बढ़ गई है। उनका मानना है कि शासन और प्रशासन की यह निष्क्रियता उनके सम्मान और अधिकारों के प्रति एक अपमान है।
इस प्रदर्शन में शामिल महिलाओं की सूची भी काफी लंबी है, जिसमें पूनम, अंजली, हेमा, चंपा, कविता, कमला, गुड्डी, दीपा, तुलसी, विमला, लीला, मोहिनी, बचुली, हिमानी, गंगा, भावना, चंद्रा जैसी दर्जनों महिलाएं शामिल रही हैं। इन महिलाओं का कहना है कि शराब की दुकान क्षेत्र के लिए एक सामाजिक खतरा बन चुकी है और यह उनकी सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है। महिलाओं का कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो उनका आंदोलन और भी सख्त हो सकता है और पूरे क्षेत्र में गहरा प्रभाव डाल सकता है।
ग्रामीणों का भी यही कहना है कि इस तरह की लापरवाही के कारण उनका विश्वास शासन और प्रशासन से उठ चुका है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही शराब की दुकान हटाने का आदेश नहीं दिया जाता है, तो उन्हें इस मुद्दे को और गहराई से उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। महिलाएं अब तक शांति से अपना विरोध कर रही थीं, लेकिन अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे अपना आंदोलन और भी तेज और सशक्त रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प ले चुकी हैं। उनका कहना है कि यह मामला केवल शराब की दुकान का नहीं है, बल्कि यह उनकी मातृशक्ति की शक्ति, उनके अधिकारों और उनके सम्मान की लड़ाई भी है।
ग्रामीण महिलाएं इस बात पर जोर दे रही हैं कि उन्होंने अब तक शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन किया है, लेकिन अगर प्रशासन और सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे अपने आंदोलन को और भी तीव्र और व्यापक बनाने की योजना बना रही हैं। वे इस आंदोलन को एक बड़ा जन आंदोलन बनाने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं। अगर शासन और प्रशासन ने जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन केवल शराब की दुकान के विरोध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे समाज और सरकार के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन बन सकता है। महिलाएं अब इस समस्या का समाधान चाहती हैं और अगर उन्हें यह समाधान नहीं मिलता, तो वे इसका विरोध करती रहेंगी।