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रामनगर और काशीपुर के शैक्षणिक गठजोड़ से शिक्षा में मचने वाला है नवाचार का धमाका

दो महाविद्यालयों की ऐतिहासिक साझेदारी से छात्रों को मिलेगा शोध, रोजगार, नवाचार और वैश्विक शिक्षा का सुनहरा मंच और उज्ज्वल भविष्य की राह

रामनगर। शैक्षणिक समन्वय और नवाचार के नवीन अध्याय की शुरुआत उस समय हुई जब पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर और श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, काशीपुर के मध्य एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह कार्यक्रम एक ऐसे मंच का साक्षी बना, जहां दोनों संस्थानों के प्राचार्यों एवं निदेशक ने मिलकर इस साझा उद्देश्य को साकार रूप देने की प्रतिबद्धता जताई। कार्यक्रम की भव्य शुरुआत प्रोफेसर एम. सी. पाण्डे, निदेशक योगराज सिंह और प्राचार्य एस. एस. कुशवाहा द्वारा की गई, जिनकी उपस्थिति ने समारोह को गरिमा प्रदान की। यह समझौता ज्ञापन केवल कागज़ों की औपचारिकता नहीं, बल्कि आने वाले समय में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक ठोस बदलाव की दस्तक है, जहां शैक्षणिक आदान-प्रदान, नवाचार और संसाधनों के सहकार्य से नई संभावनाओं का उदय होगा।

दृष्टिकोण में व्यापकता और कार्यशैली में सहभागिता इस समझौते की विशेषता रही। यह ज्ञापन सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि इनमें निहित उद्देश्य बेहद क्रांतिकारी हैं। इस सहयोग के अंतर्गत दोनों संस्थान संयुक्त सेमिनार, सम्मेलन और अतिथि व्याख्यानों के ज़रिए छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक शैक्षणिक प्रवृत्तियों से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। आईक्यूएसी और वाणिज्य संकाय के लिए किए गए इस समझौते में यह विशेष रूप से सुनिश्चित किया गया है कि छात्र और शिक्षक दोनों संस्थानों के संसाधनों का एक-दूसरे के हित में उपयोग कर सकें। खेलों से लेकर शोध परियोजनाओं तक, और छोटी अवधि के विनिमय कार्यक्रमों से लेकर दीर्घकालिक अनुसंधान सहयोग तक, इस समझौते ने शिक्षा के हर पहलू को स्पर्श किया है। यह समन्वय केवल अकादमिक नहीं, बल्कि समग्र विकास की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का माध्यम है।

समारोह के दौरान वक्ताओं ने जिन विचारों को साझा किया, वे आने वाले भविष्य की स्पष्ट झलक देते हैं। डा. विजय कुमार ने समझौते के उद्देश्यों का विस्तृत वाचन कर यह दर्शाया कि यह पहल कितनी गंभीर और दूरगामी सोच पर आधारित है। वहीं प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डे ने छात्र-शोधार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए इस सहयोग के प्रति उम्मीदों की नई परिभाषा गढ़ दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों संस्थानों के बीच केवल एक औपचारिक कड़ी नहीं, बल्कि एक सजीव सेतु है, जो दोनों ओर के छात्रों और शिक्षकों को एक साझा मंच पर लाकर अकादमिक ऊर्जा को नई ऊँचाई देने वाला साबित होगा। इस मौके पर उन्होंने विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह करार उनके करियर को नई दिशा देगा।

विचारों की इस महफिल में जब निदेशक योगराज सिंह और प्राचार्य एस. एस. कुशवाहा ने अपने विचार साझा किए, तो यह स्पष्ट हो गया कि दोनों संस्थानों की सोच एक-दूसरे की शक्ति बनकर आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह साझेदारी केवल घोषणा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसे धरातल पर उतारने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे कई संयुक्त प्रयास होंगे जो छात्रों को न केवल रोजगारोन्मुख बनाएंगे बल्कि उन्हें शोध, नवाचार और नेतृत्व के लिए भी प्रेरित करेंगे। डॉ. दीपक खाती, जो इस समझौते के आयोजन में मुख्य भूमिका निभा रहे थे, ने अंत में सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन कर इस बात पर ज़ोर दिया कि यह समझौता केवल शुरुआत है और आने वाले समय में इसकी गतिविधियाँ और भी विस्तृत रूप लेंगी।

कार्यक्रम के सफल संचालन का श्रेय डॉ. अलका को जाता है, जिनकी सधी हुई प्रस्तुति ने पूरे आयोजन को एक सुंदर प्रवाह दिया। इस अवसर पर प्रोफेसर एस. एस. मौर्य, डॉ. प्रमोद जोशी, प्रोफेसर अनीता जोशी, डॉ. सुमन कुमार, शोभित त्रिपाठी, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. लोतिका अमित, डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल, डॉ. ममता भदोला जोशी, डॉ. भानुप्रताप दुर्गापाल, डॉ. हेमचन्द्र भट्ट सहित कई प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को शिक्षा जगत में एक विशेष स्थान प्रदान किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस समझौता ज्ञापन ने उत्तराखंड की दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थाओं के बीच सहयोग के उस सोपान को सशक्त किया है, जिसकी नींव पर भविष्य का नवाचार आधारित होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह समन्वय किस प्रकार आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की नई लहर बनकर उभरता है।

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