रामनगर। उत्तराखंड की पवित्र धरती पर स्थित पावन कैंची धाम की ओर जाने वालों के लिए अब यात्रा का अनुभव कहीं ज्यादा सहज और सुगम होने जा रहा है। अब तक जो श्रद्धालु रामनगर से निकलकर नैनीताल, हल्द्वानी या भवाली की लंबी और थकाऊ घुमावदार सड़कों से गुजरते हुए जाम की चपेट में फंस जाते थे, उन्हें जल्द ही राहत की सौगात मिलने वाली है। जैसे ही इस नए मार्ग की रूपरेखा ज़मीनी स्तर पर मूर्त रूप लेने लगेगी, रामनगर से सीधा कैंची धाम का सफर न केवल त्वरित होगा, बल्कि श्रद्धालुओं के समय, ऊर्जा और मन की शांति को भी बचाएगा। राज्य सरकार की इस दूरदर्शी योजना के ज़रिये अब वो दिन भी दूर नहीं जब कॉर्बेट नगरी रामनगर से कैंची धाम की तरफ जाने वाले भक्तगण बिना किसी बाधा के सीधे अपने आराध्य की शरण में पहुंच सकेंगे।
कभी सिर्फ एक विचार के रूप में उभरी यह योजना अब ज़मीनी हकीकत बनने की ओर बढ़ रही है, और इसका श्रेय उत्तराखंड के मुखिया पुष्कर सिंह धामी को जाता है, जिनकी घोषणा के बाद इस स्वर्णिम प्रोजेक्ट को पंख लग गए हैं। अब लोक निर्माण विभाग की निगरानी में रामनगर से होकर बेतालघाट और फिर कैंची धाम तक एक नया टू लेन मोटर मार्ग आकार ले रहा है, जो सीधे इस रमणीय धाम को रामनगर से जोड़ देगा। इस परियोजना के अनुसार, रामनगर-भंडारपानी मोटर मार्ग से बेतालघाट होते हुए कैंची धाम तक लगभग 87 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण प्रस्तावित है, जिसे दो लेन में तैयार किया जाएगा ताकि भारी यातायात भी सुगमता से गुजर सके। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को जाम की विभीषिका से बचाने वाली यह योजना वास्तव में राज्य के पर्यटन और आध्यात्मिक यात्रा के मानचित्र को पूरी तरह से पुनः परिभाषित कर देगी।

इस संपूर्ण योजना का संचालन तीन अलग-अलग डिवीजनों की साझेदारी में किया जा रहा है, जिसमें रामनगर, नैनीताल और रानीखेत डिवीजन अपने-अपने हिस्से का कार्यभार संभालेंगे। रामनगर डिवीजन को जहां 44.25 किलोमीटर का सबसे बड़ा हिस्सा सौंपा गया है, वहीं नैनीताल डिवीजन 30.5 किलोमीटर के क्षेत्र में निर्माण करेगा और रानीखेत डिवीजन को 2 किलोमीटर मार्ग बनाना है। इसके अतिरिक्त, 10.25 किलोमीटर की सड़क नेशनल हाईवे के अंतर्गत भी आएगी, जिससे इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूती मिलेगी। अधिशासी अभियंता विजय कुमार की मानें तो यह पूरी सड़क पहाड़ी भूभागों से होकर गुजरेगी और इसमें कुल सात पुलों का निर्माण प्रस्तावित है, जिससे न केवल यात्रा की रफ्तार में तेजी आएगी, बल्कि सफर और भी अधिक सुरक्षित हो जाएगा। इस परियोजना का व्यावहारिक असर पूरे क्षेत्र के पर्यटक अनुभव को ही बदलने वाला है।
जो यात्री अभी तक देहरादून या दिल्ली से कॉर्बेट के जंगलों की रोमांचकारी छांव में बसे रामनगर तक पहुंचते थे, और फिर हल्द्वानी होते हुए कैंची धाम या अल्मोड़ा जाने के लिए मजबूर थे, उन्हें अब लगभग 30 किलोमीटर की दूरी में कटौती मिलेगी। नए मार्ग की कल्पना मात्र से ही स्थानीय लोगों में उम्मीद की नई किरण जागी है, क्योंकि इससे न केवल श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी, बल्कि यह सड़क आसपास के गांवों, व्यापारियों और स्थानीय युवाओं के लिए भी रोजगार, आवागमन और विकास के नए द्वार खोल देगी। रामनगर से हल्द्वानी होकर जाने वाले मार्ग की तुलना में यह नई सड़क अधिक सीधी, कम जटिल और यात्रा के समय को कम करने वाली होगी। भंडारपानी मोटर मार्ग के माध्यम से अब श्रद्धालुओं और पर्यटकों को हल्द्वानी की ओर मुड़ने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यात्रा का संपूर्ण अनुभव सुलभ और यादगार बन जाएगा।
परियोजना की प्रक्रिया अपने शुरुआती चरण में है और अब डीपीआर यानी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट और सर्वेक्षण की कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है। अधिशासी अभियंता विजय कुमार के अनुसार, इस सर्वे में ही एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने की संभावना है, जिसे देखते हुए विभाग ने शासन से धनराशि की आधिकारिक मांग कर दी है। यह मार्ग मुख्य रूप से वन भूमि और नाप भूमि से होकर गुजरेगा, इसलिए संबंधित पर्यावरणीय स्वीकृतियों और वन विभाग की सहमति भी समय पर लेने की योजना बनाई जा रही है। इस संपूर्ण प्रयास में लोक निर्माण विभाग एक कुशल संचालनकर्ता की भूमिका निभा रहा है, जो इस पहाड़ी राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी गुणवत्तापूर्ण और सुदृढ़ सड़क निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है। इस ऐतिहासिक परियोजना के पूरा होते ही कैंची धाम तक पहुंचने का रास्ता केवल भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक नई पहचान बन जाएगा।