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एनसीसी कैडेटों की विदाई में अनुशासन और जोश ने रचा यादगार उत्सव

नेतृत्व, संस्कृति और सम्मान के संगम में सजी शाम में उत्कृष्ट कैडेटों को मिला गर्व और देशभक्ति से भरा भावनात्मक अलविदा

रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के परिसर में एक ऐसा भावुक और गरिमामय दृश्य देखने को मिला, जहां गर्व, सम्मान और विदाई की भावनाएं एक साथ उमड़ पड़ीं। 24 यूके गर्ल्स बटालियन द्वारा आयोजित इस भव्य विदाई समारोह ने ना केवल कॉलेज परिसर को भावनात्मक ऊर्जा से भर दिया बल्कि यह आयोजन कैडेटों के व्यक्तित्व, योगदान और समर्पण को सलाम करने का अवसर भी बन गया। समारोह का शुभारंभ जैसे ही प्राचार्य प्रोफेसर एम.सी. पाण्डे और विशिष्ट अतिथि चीफ प्रॉक्टर प्रो. एस.एस. मौर्य ने दीप प्रज्ज्वलन से किया, मंच पर उत्साह और अनुशासन का समन्वय अपने चरम पर पहुंच गया। एएनओ लेफ्टिनेंट (डॉ.) कृष्णा भारती ने कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए अपने गरिमामय शब्दों से उपस्थित अतिथियों का स्वागत कर सबको एक नए जोश से भर दिया।

उत्कृष्टता की मिसाल बनीं इन कैडेटों को सम्मानित करने के लिए जैसे पूरा सभागार तालियों की गूंज से गूंज उठा। इस समारोह के दौरान उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता ने भी अपनी छटा बिखेरी जब कैडेटों ने पारंपरिक गीतों और लोकनृत्य के माध्यम से प्रदेश की पहचान को मंच पर जीवंत कर दिया। मिमिक्री और हास्य प्रस्तुतियों ने माहौल को हल्का-फुल्का और आनंदमय बना दिया, लेकिन इसके पीछे छिपा कैडेटों का परिश्रम और समर्पण स्पष्ट झलकता रहा। जब मंच पर ज्योति सती, वंदना, ज्योति राणा, भावना बेलवाल, मुस्कान, साक्षी बुड़ाकोटी, शिवानी और अल्फीज़ा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए, तो वह क्षण न केवल उनके लिए बल्कि सभी उपस्थितों के लिए गर्व का विषय बन गया।

इस मौके पर अपने प्रेरणादायक शब्दों से प्रो. एम.सी. पाण्डे ने सभी कैडेटों को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए यह संदेश दिया कि एनसीसी केवल एक संगठन नहीं बल्कि एक जीवनशैली है, जो युवाओं को अनुशासित, देशभक्त और नेतृत्व-क्षम नागरिक बनाने की दिशा में कार्य करती है। उन्होंने इन युवा कैडेटों की एनसीसी के प्रति समर्पण भावना को खूब सराहा और उन्हें जीवन की हर चुनौती को आत्मविश्वास से पार करने का संदेश दिया। वहीं, प्रोफेसर एस.एस. मौर्य ने युवतियों को एकता, अनुशासन और सत्यनिष्ठा के मूलमंत्र को अपनाते हुए सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिससे न केवल उनका बल्कि समाज और राष्ट्र का भी विकास संभव हो सके।

गंभीरता और गरिमा से भरे अपने उद्बोधन में लेफ्टिनेंट (डॉ.) डी.एन. जोशी ने इस बात पर बल दिया कि राष्ट्रीय कैडेट कोर जैसी संस्था हमें वह मंच देती है जहां एक युवा जिम्मेदार नागरिक, अच्छा लीडर और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है। उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से हम सिर्फ परेड करना नहीं सीखते, हम खुद को और अपने समाज को बेहतर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। एनसीसी न केवल नेतृत्व, सहभागिता और व्यक्तित्व विकास सिखाती है बल्कि उसमें छुपी होती है परोपकार और देश सेवा की भावना जो हर युवा को एक नये रूप में गढ़ देती है।

समारोह का समापन उस अनमोल और प्रेरणादायक क्षण के साथ हुआ, जब मंच पर लेफ्टिनेंट (डॉ.) कृष्णा भारती ने अपने ओजस्वी और आत्मीय शब्दों से समूचे माहौल को देशभक्ति की ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने सभी कैडेटों से बड़े ही प्रभावशाली अंदाज़ में आग्रह किया कि राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में अर्जित अनुशासन, समर्पण, नेतृत्व, सेवा और राष्ट्रभक्ति जैसे अमूल्य गुणों को केवल प्रशिक्षण तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन की आत्मा बना लें। उनका यह संदेश सिर्फ एक सलाह नहीं था, बल्कि एक दृढ़ संकल्प की चिंगारी थी, जिसने हर युवा कैडेट के भीतर सफलता और सेवा का स्वप्न जगा दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जो कैडेट अपने जीवन में एनसीसी के आदर्शों को अपनाता है, वह ना केवल अपने चरित्र को निखारता है, बल्कि देश को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की काबिलियत रखता है।

समारोह की पूरी गरिमा और भावनात्मक लय को संभालने का कार्य जिस खूबसूरती और आत्मविश्वास से किया गया, उसका श्रेय जाता है सीनियर अंडर ऑफिसर अंजलि गोस्वामी और श्रुति जखमोला को, जिन्होंने मंच संचालन की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया। दोनों ने जिस सहजता, सटीकता और अनुशासित अंदाज़ में पूरे कार्यक्रम को गति दी, उसने हर उपस्थित व्यक्ति को प्रभावित किया और आयोजन में एक नया आकर्षण जोड़ दिया। उनकी वाणी में जो आत्मविश्वास था, वह ना केवल उनकी तैयारी को दर्शाता था बल्कि इस बात का भी प्रमाण था कि एनसीसी कैडेट जीवन के हर मोर्चे पर नेतृत्व कर सकते हैं। यह विदाई समारोह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि एनसीसी के उन आदर्शों का जीवंत उत्सव बन गया जिनमें एकता, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की भावना रच-बस कर हर प्रतिभागी के भीतर नई प्रेरणा भरती रही।

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