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रसायन विज्ञान विभाग की चमकती प्रतिभाओं ने शब्दों और रंगों से रच दिया ज्ञान का महाकुंभ

पीएनजी कॉलेज रामनगर में छात्रों ने व्याख्यान और पोस्टर प्रतियोगिता में अपनी कला, विज्ञान और विचारों की विस्फोटक प्रस्तुति से समां बांध दिया

रामनगर। पी.एन.जी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की ओर से एक विचारशील और रचनात्मक माहौल को जन्म देने वाली प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में रसायन विज्ञान विभागीय परिषद् ने छात्रों के शैक्षणिक और कलात्मक कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रभावशाली व्याख्यान प्रतियोगिता और एक सृजनात्मक पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के गरिमामयी चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर एस. एस. मौर्य के कर-कमलों से हुई, जिनकी उपस्थिति ने पूरे समारोह को गरिमा और उत्साह से भर दिया। छात्रों के बीच प्रतियोगिता को लेकर अभूतपूर्व जोश देखने को मिला, जहां हर प्रतिभागी अपने विचारों की गहराई और प्रस्तुतिकरण की कुशलता के बल पर दर्शकों और निर्णायकों को प्रभावित करने में जुटा रहा।

इस रचनात्मक समागम में जब व्याख्यान प्रतियोगिता का मंच सजा, तो शब्दों की गूंज ने वहां उपस्थित हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। बहुप्रतिभाशाली छात्रा रजनी रावत ने अपने प्रभावशाली भाषण से प्रथम स्थान हासिल कर लिया, जिसने यह साबित कर दिया कि ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने वाली छात्राएँ ही असली शिखर तक पहुंचती हैं। उनके बाद अंकित ध्यानी ने अपनी तार्किक प्रस्तुति से द्वितीय स्थान पर कब्जा जमाया, जबकि निकिता जीना ने अपनी भावनात्मक अभिव्यक्ति से निर्णायकों का मन मोहते हुए तीसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई। इन विजेताओं ने न केवल प्रतियोगिता को उत्कृष्टता की ऊँचाई दी, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि युवाओं की आवाज़ में ही भविष्य की संभावनाएं छिपी होती हैं। मंच पर छात्रों की प्रस्तुतियों में विज्ञान के गूढ़ विषयों को सरलता से समझाने का जो सामर्थ्य दिखा, वह किसी भी व्याख्यान श्रृंखला की मिसाल बन सकता है।

इसके साथ ही रंग-बिरंगे विचारों और रचनात्मक कल्पनाओं से सजी पोस्टर प्रतियोगिता ने माहौल को एक अलग ही आयाम प्रदान किया। इस मुकाबले में जब अपेक्षा बिष्ट ने अपनी कला और वैज्ञानिक सोच के संगम से बनाए गए पोस्टर के माध्यम से प्रथम स्थान अर्जित किया, तो वह क्षण सभी के लिए गर्व का विषय बन गया। द्वितीय स्थान के लिए कल्पना रावत और वर्षा तिवारी ने साझा रूप से मंच की शोभा बढ़ाई, जिनके पोस्टर में कल्पना और विषयवस्तु का अनुपम मेल देखने को मिला। वहीं पायल ने भी अपनी चित्रकारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तीसरे स्थान पर आकर सभी की सराहना बटोरी। इन प्रतिभागियों ने यह जता दिया कि आज के युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपनी सृजनात्मकता से वे समाज में बदलाव लाने की क्षमता भी रखते हैं।

इस आयोजन में निर्णायकों की भूमिका ने प्रतियोगिता को निष्पक्षता और गंभीरता की कसौटी पर कसने का काम किया। डॉ ऋचा पुनेठा और डॉ रागिनी गुप्ता ने अपने विद्वत्तापूर्ण दृष्टिकोण से प्रतिभागियों के प्रयासों को परखा और उचित निर्णय लिए, जिनके अनुभव और ज्ञान ने प्रतियोगिता को एक उच्च स्तर प्रदान किया। उनका योगदान इस आयोजन की विश्वसनीयता और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में बेहद महत्वपूर्ण रहा। निर्णायकों ने प्रतियोगिता की समाप्ति पर यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों से छात्रों की अंतर्निहित क्षमताएं उभर कर सामने आती हैं और यह जरूरी है कि इन गतिविधियों को शैक्षणिक ढांचे में प्रमुखता से शामिल किया जाए।

जब अंत में मंच पर प्रोफेसर एम.सी. पांडे का आगमन हुआ और उन्होंने विजयी छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए, तो सारा सभागार तालियों से गूंज उठा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने छात्रों को निरंतर प्रयासरत रहने और जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। उनका संदेश यह था कि शिक्षा केवल अंकों की दौड़ नहीं, बल्कि समग्र विकास की दिशा में निरंतर चलने वाला एक संग्राम है। उन्होंने युवाओं को यह विश्वास दिलाया कि अगर वे संकल्प और परिश्रम से जुड़ें रहें, तो कोई भी शिखर उनके लिए दूर नहीं होगा। उनकी बातें छात्रों के दिलों में नई ऊर्जा का संचार कर गईं और सभी में आगे बढ़ने का संकल्प और भी मजबूत हो गया।

प्रोफेसर एम.सी. पांडे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में विद्यार्थियों को गहराई से प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का साधन नहीं, बल्कि यह आत्मविकास और सामाजिक परिवर्तन का सबसे प्रभावशाली माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में असीम क्षमताएं हैं, ज़रूरत है तो बस निरंतर अभ्यास, स्पष्ट लक्ष्य और ईमानदार प्रयास की। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो असफलताओं से घबराते नहीं बल्कि उनसे सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं। विद्यार्थियों को उन्होंने आह्वान किया कि वे अपनी रचनात्मकता और सोचने की शक्ति को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखें, बल्कि उसका उपयोग समाज और राष्ट्र के विकास में करें। उनके अनुसार, जो छात्र प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, वे आत्मविश्वास, नेतृत्व और नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं।

इस प्रेरणादायक आयोजन में प्रोफेसर जगमोहन सिंह नेगी, प्रोफेसर लव कुश, प्रोफेसर प्रमोद जोशी, डॉ सुमन कुमार, डॉ सुभाष पोखरियाल, डॉ मनोज नैलवाल, डॉ नवभा जोशी जैसे विद्वान शिक्षकों की उपस्थिति ने इस शैक्षणिक समारोह को गरिमामयी बना दिया। सभी ने प्रतियोगिता के सफल आयोजन की सराहना की और इस तरह के आयोजनों को लगातार आयोजित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस संपूर्ण आयोजन ने न केवल छात्रों के भीतर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया, बल्कि शिक्षा को एक जीवंत और अनुभूत प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया, जो आने वाले समय में और भी बड़े आयोजनों की नींव रखेगा।

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