काशीपुर। धरती को बचाने की पुकार अब स्कूल के बच्चों की आवाज़ बनकर शहर की गलियों में गूंजने लगी है, और यह अद्भुत नज़ारा काशीपुर के एमपी चौक पर उस समय देखने को मिला जब समर स्टडी स्कूल के छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के ज़रिए पर्यावरण की रक्षा का बिगुल बजाया। यह कोई साधारण प्रस्तुति नहीं थी, बल्कि एक ऐसा जीवंत प्रदर्शन था जिसमें बच्चों ने प्लास्टिक के बढ़ते जहर, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और बदलती जलवायु के खतरों को इतने प्रभावी ढंग से पेश किया कि राह चलते हर शख्स ठहरने को मजबूर हो गया। इस नाटक का निर्देशन स्कूल की समर्पित अध्यापिकाओं अनीता तिवारी और सुमन हंसाली ने किया, जिन्होंने छात्रों को केवल मंच पर अभिनय करना ही नहीं सिखाया, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक की भूमिका में ढाल दिया। हर संवाद में चेतना थी, हर अभिनय में चिंता और हर दृश्य में धरती के भविष्य की गूंज सुनाई दे रही थी।
इस प्रेरक और जागरूकता से भरपूर आयोजन की गरिमा उस समय और बढ़ गई जब काशीपुर नगर के प्रतिष्ठित और लोकप्रिय महापौर दीपक बाली स्वयं कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और बच्चों की कोशिशों को पूरे दिल से सराहते हुए उन्हें हौसले और प्रेरणा से भर दिया। उनकी उपस्थिति ने न केवल छात्रों को सम्मान का अहसास कराया, बल्कि यह भी दर्शाया कि नगर प्रशासन ऐसे सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रयासों को कितना महत्व देता है। दीपक बाली ने कार्यक्रम के हर पहलू को गंभीरता से देखा और नाटक के संदेशों को दिल से महसूस किया। उन्होंने कहा कि आज के बच्चों में समाज को समझने और उसे सुधारने का जो जुनून है, वह आने वाले कल को बेहतर बनाने की गारंटी है। उनका यह सार्वजनिक समर्थन छात्रों और शिक्षकों के लिए उत्साहवर्धक था, जिसने आयोजन को और ऊंचा मुकाम दिलाया और यह जता दिया कि छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव का जरिया बन सकते हैं।

उन्होंने केवल छात्रों की प्रस्तुति को सराहना भर नहीं दी, बल्कि पूरे जोश और खुले दिल से मंच पर आकर यह स्पष्ट कर दिया कि इस प्रकार की रचनात्मक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी गतिविधियाँ समाज की जड़ सोच को भी हिला देने की ताकत रखती हैं। उनका कहना था कि जब बच्चे पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर इतने भावुक और जिम्मेदार तरीके से अपनी बात रखते हैं, तो यह संकेत मिलता है कि समाज की अगली पीढ़ी अब जागरूकता और चेतना की राह पर अग्रसर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि समर स्टडी स्कूल केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बन गया है जो बच्चों के भीतर छिपी सामाजिक चेतना को उजागर कर रहा है। विद्यालय की शिक्षण शैली और गतिविधियाँ बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में मिसाल बन रही हैं। उनकी इस बात ने न केवल छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाया, बल्कि यह भी जता दिया कि परिवर्तन की नींव तब पड़ती है जब युवा दिलों को दिशा देने वाला मंच और प्रेरक नेतृत्व मिल जाए।
समर स्टडी स्कूल की निदेशिका मुक्ता सिंह ने भी बच्चों की इस बेहतरीन पहल को गर्व से भरा कदम बताया। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं, वे समाज की नब्ज़ को पहचानते हैं और बदलाव की धुरी बनने का माद्दा रखते हैं। मुक्ता सिंह का यह कथन केवल बच्चों की सराहना नहीं था, बल्कि एक उम्मीद भी थी कि यह जागरूक पीढ़ी आने वाले वर्षों में पर्यावरण को बचाने की लड़ाई की अगुवाई करेगी। उन्होंने हर उस अभिभावक का आभार भी जताया जो बच्चों को इस तरह के आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, क्योंकि समाज की सोच तभी बदलेगी जब अगली पीढ़ी के साथ-साथ वर्तमान भी बदलने को तैयार हो।
इस कार्यक्रम में एक और प्रेरक हस्ताक्षर थे-अनुज भाटिया, जो समर स्टडी स्कूल के प्रिंसिपल हैं। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शिक्षा का मतलब केवल परीक्षा में नंबर लाना नहीं है, बल्कि वह प्रक्रिया है जिसमें छात्र के भीतर छिपी क्षमताओं को पहचाना और निखारा जाए। उनका मानना है कि जब बच्चों को ऐसा मंच मिलता है जहाँ वे अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त कर सकें, तो न सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि उनमें सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी गहराई से विकसित होती है। अनुज भाटिया ने इस कार्यक्रम को एक आंदोलन की शुरुआत कहा, जहां हर छात्र अपने अभिनय, संवाद और प्रदर्शन से समाज को जागरूक करने का काम कर रहा था।
समर स्टडी स्कूल की छात्रा अंतरा आर्य ने इस अवसर पर अपने विचार बेहद प्रभावशाली और आत्मविश्वास से भरे अंदाज़ में साझा किए। उन्होंने कहा कि पृथ्वी हमारी मां के समान है, और जैसे हम अपनी मां की देखभाल करते हैं, वैसे ही हमें धरती की भी रक्षा करनी चाहिए। अनारा आर्या का कहना था कि अगर आज हम प्लास्टिक का उपयोग कम नहीं करेंगे, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई नहीं रोकेंगे और जल स्रोतों की रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। उन्होंने इस नुक्कड़ नाटक को अपनी पीढ़ी की आवाज़ बताते हुए कहा कि हमें सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का जिम्मा भी उठाना चाहिए। उनके अनुसार, जब बच्चे पर्यावरण जैसे विषयों पर बोलते हैं, तो बड़ों को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पहल सिर्फ एक नाटक तक सीमित न रहकर एक आंदोलन का रूप लेगी जो बदलाव की दिशा तय करेगा।
कार्यक्रम में मुकेश चावला जैसे वरिष्ठ समाजसेवी की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भी प्रभावशाली बना दिया। उन्होंने इस पहल को जनचेतना की एक नयी लहर बताया और बच्चों की भावनाओं को वास्तविकता के बेहद करीब पाया। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे जो मंच से बोल रहे हैं, वही आने वाले समय में नीति बनाएंगे और धरती की रक्षा की दिशा तय करेंगे। इस आयोजन में भारी संख्या में समर स्टडी स्कूल के छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक भी मौजूद थे, जिनकी आंखों में गर्व और भविष्य को लेकर उम्मीद की चमक साफ झलक रही थी। इस दिन बच्चों ने सिर्फ नाटक नहीं किया, उन्होंने अपनी पीढ़ी की एक बुलंद आवाज़ में आने वाले कल को सुरक्षित रखने की कसम खाई।