रामनगर। बीते कुछ दिनों से बिजली विभाग द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को लेकर विरोध का माहौल बनता जा रहा है, और अब इस विरोध ने तूल पकड़ लिया है जब कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। मामला उस समय गर्माया जब रणजीत सिंह रावत अपने समर्थकों संग रामनगर के शिवलालपुर चुंगी इलाके में पहुंचे और वहां दुकानों पर लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों को देखते ही नाराज़ हो गए। गुस्से में आकर उन्होंने कुछ मीटरों को जमीन पर पटक कर तोड़ डाला, जिससे मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस पूरी घटना के दौरान लोगों की भीड़ जमा हो गई और देखते ही देखते एक बड़ा हंगामा खड़ा हो गया। कुछ चश्मदीदों ने बताया कि रणजीत सिंह रावत ने ना सिर्फ मीटरों को नुकसान पहुंचाया बल्कि कार्यरत कर्मचारियों के साथ तीखी झड़प भी की।
इस घटना ने उस समय और गंभीर रूप धारण कर लिया जब विद्युत विभाग के अवर अभियंता चंद्रलाल ने पुलिस को तहरीर देकर रणजीत सिंह रावत और उनके समर्थकों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, मीटर तोड़ने और अभद्रता करने के आरोप लगाए। तहरीर के आधार पर रामनगर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एसएसआई मोहम्मद यूनुस ने बताया कि मामले की जांच पूरी बारीकी से की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं कांग्रेस की ओर से इसे पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया जा रहा है और आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जनहित के मुद्दों को उठाना किसी भी जनप्रतिनिधि का संवैधानिक अधिकार है और इस पर मुकदमा दर्ज कर लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।

गौर करने वाली बात यह है कि यह पहला मामला नहीं है जब स्मार्ट मीटरों के विरोध में ऐसा कुछ हुआ हो। इससे पहले किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ ने भी अपने क्षेत्र में लगाए जा रहे मीटरों के विरोध में कुछ मीटरों को तोड़ दिया था और जन भावनाओं के अनुरूप सरकार की योजना को जनविरोधी करार दिया था। अब रणजीत सिंह रावत द्वारा किए गए विरोध के बाद यह मुद्दा फिर से गरमा गया है। कांग्रेस लगातार यह दावा कर रही है कि बिना उपभोक्ताओं की सहमति के जबरन स्मार्ट मीटर थोपे जा रहे हैं, जिससे आम जनता परेशान है और उन्हें भारी-भरकम बिजली बिल झेलने पड़ रहे हैं।
सरकार की योजना भले ही बिजली प्रणाली को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की हो, लेकिन उपभोक्ताओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तराखंड के कई इलाकों से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली के बिलों में अत्यधिक बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में हल्द्वानी में एक उपभोक्ता का एक महीने का बिजली बिल 46 लाख रुपए आना इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है, जिसने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी थी। इस घटना के बाद से लोग इन स्मार्ट मीटरों को लेकर और अधिक सतर्क हो गए हैं।

विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार ने जिस निजी संस्था को इन मीटरों की जिम्मेदारी सौंपी है, वह पूरी तरह से व्यावसायिक सोच के तहत काम कर रही है और उपभोक्ताओं की परेशानियों की अनदेखी कर रही है। कई स्थानों पर बिना किसी पूर्व सूचना के मीटर लगाए जा रहे हैं, और जब उपभोक्ता सवाल करते हैं तो उन्हें जवाब देने वाला कोई नहीं होता। रणजीत सिंह रावत ने भी अपने बयान में आरोप लगाया कि यह पूरी योजना आम जनता को आर्थिक रूप से परेशान करने के उद्देश्य से लाई गई है और इसे अविलंब रोका जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस योजना को रद्द कर जनता की सहमति से कोई नया और पारदर्शी समाधान लेकर आए।
फिलहाल रामनगर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है, लेकिन इस घटनाक्रम ने पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटरों के विरोध को और अधिक हवा दे दी है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि वह जनता के हितों के लिए किसी भी हद तक जाएगी और यदि जरूरत पड़ी तो सड़क से सदन तक संघर्ष करेगी। वहीं, विद्युत विभाग अपनी कार्रवाई को सरकारी नीति के तहत बता रहा है और सभी आरोपों को निराधार करार दे रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस टकराव का अगला अध्याय क्या रूप लेता है और जनता की भावनाओं को किस हद तक महत्व दिया जाएगा।ड यहां