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मिसेज इंडिया बनीं तरन गर्ग ने छोटे शहर से रचा बड़ा इतिहास

रामनगर में सम्मानित हुईं मिसेज इंडिया तरन गर्ग, महिलाओं को आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के मंत्र से दिया सफलता का नया संदेश

रामनगर। लखनपुर मॉल में उस समय एक खास माहौल देखने को मिला जब मिसेज इंडिया बनीं तरन गर्ग का जोरदार स्वागत किया गया। यह कार्यक्रम पुष्कर सोसायटी की ओर से आयोजित किया गया था, जिसमें महिलाओं के बीच आत्मविश्वास और प्रेरणा का दीप जलाने के उद्देश्य से यह आयोजन रखा गया था। समारोह में शामिल होकर तरन गर्ग ने अपने अनुभवों और जीवन संघर्ष की कहानी साझा करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि बड़े मंच की राह छोटे शहरों से भी निकल सकती है, जरूरत है तो बस मजबूत इरादों और खुद पर अटूट विश्वास की। उन्होंने वहां मौजूद सभी महिलाओं को अपने विचारों से झकझोर दिया और बताया कि सपनों की ऊंचाई कोई शहर तय नहीं करता, बल्कि आपकी मेहनत और सोच उसे संभव बनाती है। पूनम गुप्ता के नेतृत्व में पुष्कर सोसायटी की महिलाओं ने फूल मालाओं और तालियों से तरन गर्ग का उत्साहवर्धन किया, वहीं मंच से सम्मानित कर उन्हें नारी सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल बताया गया।

दिल्ली में आयोजित मिसेज इंडिया फाइनल प्रतियोगिता में जब तरन गर्ग ने देशभर की 36 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए खिताब अपने नाम किया, तो वह पल केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे बाजपुर और उत्तराखंड की महिलाओं के लिए गौरव और प्रेरणा का क्षण बन गया। प्रतियोगिता का आयोजन 25 से 28 मार्च तक किया गया था, जहां निर्णायक मंडल में अभिनेता राहुल देव और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल श्निशंकश् की सुपुत्री आरुषि निशंक जैसे प्रतिष्ठित चेहरे शामिल थे। तरन गर्ग की जीत ने यह संदेश दे दिया कि सफलता केवल महानगरों की बपौती नहीं, बल्कि जुनून और संघर्ष की पहचान है। उन्होंने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने का सफर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा। आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव और आत्मविश्वास की परीक्षा जैसे तमाम पड़ाव उन्होंने पार किए, लेकिन हर मोड़ पर उनका आत्मबल और परिवार का सहयोग उनके लिए संबल बना रहा।

समारोह के दौरान जब तरन गर्ग मंच पर आईं, तो उनका आत्मविश्वास देखने लायक था। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से खुलकर संवाद किया और उनकी जिज्ञासाओं का आत्मीयता से उत्तर दिया। महिलाओं ने जब उनसे उनकी सबसे कठिन घड़ी के बारे में पूछा, तो उन्होंने भावुक होते हुए बताया कि कई बार हालात ऐसे आए जब उन्हें खुद पर संदेह हुआ, लेकिन परिवार के समर्थन और सकारात्मक सोच ने उन्हें हमेशा मजबूत बनाए रखा। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी महिला कमजोर नहीं होती, उसे केवल खुद को पहचानने की जरूरत है। उन्होंने यह भी बताया कि खुद को तराशने के लिए उन्होंने लगातार अभ्यास किया, खुद को निखारा और मंच पर पूरे आत्मविश्वास के साथ कदम रखा। उनके ये शब्द सुनकर कई महिलाओं की आंखें नम हो गईं, लेकिन उनके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार भी हुआ।

इस खास आयोजन में समाजसेवा के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय गणेश रावत ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। मंच पर उपस्थित होकर उन्होंने जो बातें कही, वह वहां मौजूद सभी लोगों के दिलों को छू गईं। उन्होंने कहा कि तरन गर्ग की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्ति की निजी जीत नहीं है, बल्कि यह समूचे समाज, विशेषकर महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायी संदेश है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बेटियों में जब अपने सपनों को लेकर जुनून होता है और वे ठान लेती हैं कि उन्हें कुछ बड़ा करना है, तो कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं सकती। चाहे हालात जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो असंभव जैसा कुछ नहीं होता। तरन गर्ग की यह जीत साबित करती है कि आज की महिलाएं हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। गणेश रावत ने यह भी कहा कि समाज को अब ऐसी बेटियों पर गर्व करना चाहिए और उनके सपनों को खुलकर समर्थन देना चाहिए।

समारोह में विमला जोशी, किरण, गीता, नीतू, आशा, नीमा, मनोरिमा, सिमर और सुनीता जैसी सक्रिय महिलाएं पूरे जोश और उत्साह के साथ उपस्थित रहीं। इनमें से कई महिलाओं ने मंच के दौरान अपने अनुभव भी साझा किए और एक स्वर में यह बात दोहराई कि तरन गर्ग की सफलता सिर्फ एक सौंदर्य प्रतियोगिता का खिताब जीतने की कहानी नहीं है, बल्कि यह हिम्मत, संघर्ष, उम्मीद और आत्मविश्वास की जीवंत मिसाल है। उनका जीवन एक प्रेरणास्रोत है, जो यह सिखाता है कि अगर इरादे पक्के हों, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। उनके शब्दों और अनुभवों ने वहां मौजूद हर महिला के मन में एक नई ऊर्जा भर दी। जैसे ही कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में पहुंचा और तरन गर्ग मंच से उतरीं, वहां मौजूद हर महिला की आंखों में गर्व की चमक थी। हर चेहरा मुस्करा रहा था और हर दिल से यही भाव निकल रहा थाकृजहां नारी ठान ले, वहां रास्ते खुद बन जाते हैं।

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