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स्वर्गीय डॉ जेपी वशिष्ठ की स्मृति में हुआ ऐतिहासिक निशुल्क चिकित्सा शिविर

काशीपुर। बिते 4 अप्रैल 2025 को काशीपुर के चौती मेला में आयोजित स्वर्गीय डॉक्टर जेपी वशिष्ठ की स्मृति में निशुल्क चिकित्सा शिविर ने काशीपुर और आसपास के क्षेत्रों में एक नई उम्मीद और विश्वास की किरण जलाई। इस आयोजन में होम्योपैथिक उपचार के प्रति लोगों का रुझान और विश्वास पहले से कहीं ज्यादा दिखाई दिया। इस शिविर का समापन 14 अप्रैल 2025 को समस्त होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा किया गया। यह चिकित्सा शिविर पिछले 40 से 45 वर्षों से हर साल चौती मेला में आयोजित हो रहा है, जिसमें काशीपुर, बाजपुर, जसपुर, गदरपुर और रामनगर के होम्योपैथिक चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस बार भी चिकित्सा शिविर ने न केवल रोगियों को राहत दी, बल्कि यह काशीपुर में होम्योपैथी की प्रभावी चिकित्सा पद्धति को और अधिक सशक्त करने का काम किया।

इस बार के शिविर में एक और खास बात यह रही कि अतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानीत होम्योपैथी के वरिष्ठ और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर रजनीश शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान उपस्थित मुख्य अतिथि वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ रजनीश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति आज के दौर में लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि आज शायद ही कोई ऐसा रोग बचा हो जिसका सफल इलाज होम्योपैथी में संभव न हो। चिकित्सा विज्ञान के इस स्वरूप ने लाखों लोगों को राहत पहुंचाई है और यह विश्वास दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। डॉ शर्मा ने कहा कि इस शिविर के दौरान 3000 से अधिक रोगियों का निःशुल्क उपचार कर उन्हें राहत दी गई, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उनका यह भी कहना था कि ऐसे आयोजन समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होते हैं और चिकित्सकों के सेवा भाव का प्रमाण भी देते हैं।

वरिष्ठ होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ रजनीश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि होम्योपैथी अब केवल एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति नहीं रही, बल्कि यह लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में होम्योपैथी ने जो विश्वास आमजन के बीच अर्जित किया है, वह इसकी प्रभावशीलता और वैज्ञानिकता को दर्शाता है। डॉ शर्मा ने जोर देते हुए कहा कि इस चिकित्सा पद्धति में रोग के मूल कारण पर उपचार किया जाता है, जिससे मरीजों को स्थायी लाभ मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस 10 दिवसीय चिकित्सा शिविर में 3000 से अधिक मरीजों को सफलतापूर्वक उपचार दिया गया, जो चिकित्सा सेवाओं की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने आयोजन समिति और सभी चिकित्सकों की सेवाओं को सराहते हुए ऐसे शिविरों को समाजहित में अत्यंत आवश्यक बताया।

डॉ सुरेश राजपूत (प्रदेश अध्यक्ष आईआरडीओ) ने इस अवसर पर कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन का उद्देश्य केवल रोगों का उपचार करना नहीं, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना भी है। उन्होंने बताया कि पिछले कई दशकों से चौती मेले में आयोजित यह शिविर जनसेवा का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है, जहां बिना किसी भेदभाव के हजारों लोगों का इलाज किया जाता है। डॉ राजपूत ने कहा कि यह शिविर न केवल चिकित्सकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संगठन के सेवा भाव और समर्पण का प्रतीक भी है। उन्होंने विशेष रूप से युवा चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे इस परंपरा को आगे बढ़ाएं और समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने में अपना योगदान दें। साथ ही उन्होंने वरिष्ठ चिकित्सकों को धन्यवाद देते हुए उनके अनुभवों को मार्गदर्शक बताया।

इस चिकित्सा शिविर के दौरान लगभग 3000 से अधिक रोगियों का निःशुल्क और प्रभावी इलाज किया गया, जिसमें विविध प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से ग्रसित मरीजों को राहत प्रदान की गई। इस शिविर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी पारदर्शिता और निष्पक्ष सेवा रही, जिसके तहत इलाज किए गए हर मरीज का संपूर्ण ब्यौरा सुव्यवस्थित तालिका में दर्ज किया गया है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रजनीश शर्मा ने स्वयं इस बात की पुष्टि की कि यह रिकॉर्ड शिविर की प्रभावशीलता का साक्ष्य है और आने वाले समय में इसे एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस शिविर ने केवल उपचार तक ही सीमित न रहते हुए, स्थानीय जनता के बीच होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वास और जागरूकता भी उत्पन्न की। इस अवसर पर प्रमुख चिकित्सकों में डॉ राजपाल सिंह सैनी (नगर अध्यक्ष ईआरडीओ), डॉ ज्ञान सिंह (व्यवस्थापक), डॉ आर पी सिंह सैनी, जिला अध्यक्ष, डॉ0 चंद्रपाल सिंह, डॉ नावेद, डॉक्टर हबीबुर रहमान, डॉ आर बिश्नोई सहित अनेक अनुभवी और समर्पित चिकित्सकों की सहभागिता ने आयोजन को सफल और प्रभावशाली स्वरूप प्रदान किया।

समापन समारोह के दौरान वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ रजनीश शर्मा ने मंच से सभी चिकित्सकों के योगदान की खुले दिल से सराहना की और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। यह सम्मान केवल प्रतीकात्मक नहीं था, बल्कि यह उन सभी चिकित्सकों की वर्षों की सेवा, समर्पण और परिश्रम का प्रतीक था, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के समाज की भलाई के लिए काम किया। डॉ शर्मा ने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल चिकित्सकों को प्रेरणा मिलती है, बल्कि समाज में चिकित्सा सेवाओं के प्रति विश्वास भी मजबूत होता है। यह सम्मान समारोह हर उस व्यक्ति के लिए एक संदेश था, जो सेवा भावना के साथ कार्य करता है कि उसका योगदान व्यर्थ नहीं जाता। इस पहल ने पूरे आयोजन को एक नई ऊंचाई दी और चिकित्सा क्षेत्र में सेवा को आदर्श रूप में प्रस्तुत किया।

इस चिकित्सा शिविर ने काशीपुर में होम्योपैथी के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश की है। जहां एक ओर यह शिविर रोगियों को चिकित्सा प्रदान कर रहा था, वहीं दूसरी ओर यह होम्योपैथी के बारे में जागरूकता फैलाने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। काशीपुर के लोग अब और अधिक आश्वस्त हैं कि होम्योपैथी न केवल एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि यह अनेक गंभीर रोगों के लिए कारगर साबित हो सकती है। इस तरह के आयोजन भविष्य में और भी लोगों तक होम्योपैथी के लाभ पहुंचाने का कार्य करेंगे और इसके प्रभाव को और अधिक व्यापक बनाएंगे।

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