रामनगर। यहां एक दर्दनाक घटना सामने आई है जिसने रामनगर के करेलपुरी गांव के निवासियों को दहशत में डाल दिया है। सुबह-सुबह का समय था जब 45 वर्षीय यशपाल सिंह, जो बदेशा स्टोन क्रशर में मजदूरी करते हैं, रोज़ की तरह काम निपटाकर पैदल अपने घर की ओर लौट रहे थे। पर जैसे ही वह झाड़ियों के करीब पहुंचे, अचानक एक बाघ ने जंगल से छलांग लगाई और पीछे से उन पर हमला बोल दिया। यह हमला इतना अचानक और भयानक था कि यशपाल को सम्भलने का मौका भी नहीं मिला। बाघ ने उन्हें पंजों और दांतों से इस कदर घायल कर दिया कि उनकी पीठ से खून बहने लगा। उनकी चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण घटनास्थल की ओर दौड़े और शोर मचाया, जिससे बाघ डरकर जंगल की ओर भाग गया। इस खौफनाक हमले ने पूरे गांव में भय का माहौल बना दिया है और लोगों के चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता है।
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई और तुरंत करेलपुरी गांव पहुंच गई। घायल यशपाल को आनन-फानन में रामदत्त संयुक्त चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार, उनके शरीर पर बाघ के पंजों और दांतों के गहरे घाव हैं। फिलहाल उन्हें इमरजेंसी वार्ड में रखा गया है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में इलाज किया जा रहा है। घायल यशपाल ने बताया कि वह हमेशा की तरह ही ट्रैक्टर-ट्रॉली स्टोन क्रशर पर छोड़ने के बाद पैदल घर लौट रहे थे। रास्ते में कोई अनहोनी की आशंका तक नहीं थी, लेकिन अचानक बाघ की झाड़ियों से निकलकर हमला कर देना उनके लिए एक भयानक झटका साबित हुआ। उनकी बातों से साफ जाहिर है कि यह हमला सुनियोजित नहीं था, बल्कि जानवरों की बढ़ती सक्रियता और जंगल से सटी आबादी के बीच की दूरी खत्म होने का परिणाम है।
इस हमले के बाद वन विभाग ने पूरे क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है। करेलपुरी और उसके आसपास के इलाकों में वन विभाग की टीमें मुस्तैदी से तैनात कर दी गई हैं। साथ ही, हमलावर बाघ की पहचान के लिए कैमरा ट्रैप भी लगवाए जा रहे हैं ताकि उसकी हरकतों पर नजर रखी जा सके। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि यह बाघ पिछले कुछ दिनों से इलाके में सक्रिय है और इससे पहले भी पशुओं पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने और अकेले जंगल के करीब न जाने की सख्त सलाह दी गई है। गांव वालों को जंगल से लगते रास्तों का उपयोग न करने की अपील भी की जा रही है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बाघ दोबारा दिखाई देता है तो उसे पकड़ने की तैयारी भी की जा रही है।
तराई पश्चिमी हल्दूआ आमपानी रेंज का करेलपुरी गांव पहले भी वन्यजीवों की आवाजाही को लेकर चर्चा में रह चुका है। जंगल से सटे इस गांव में बाघों और हाथियों की आमद आम बात हो गई है, लेकिन इस बार का हमला स्थानीय लोगों के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से स्थायी समाधान की मांग की है और कहा है कि केवल गश्त बढ़ाना या कैमरे लगाना पर्याप्त नहीं होगा। बाघ की मौजूदगी को नियंत्रित करने और मानव बस्तियों को सुरक्षित रखने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। कुछ लोगों ने तो यह तक कहा है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वे गांव छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। इस तरह की घटनाएं न केवल लोगों की जान जोखिम में डालती हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें झकझोर देती हैं।
वन विभाग के अधिकारी लगातार क्षेत्रीय लोगों से संपर्क में हैं और उन्हें सुरक्षा के उपायों की जानकारी दे रहे हैं। साथ ही, लोगों से अपील की जा रही है कि वे अनावश्यक रूप से जंगल के समीप न जाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल विभाग को दें। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव के मुद्दे को सामने ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों की लगातार कटाई और मानव बस्तियों का जंगलों की ओर विस्तार इस टकराव का मुख्य कारण है। जब तक वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा नहीं की जाएगी और उनके भोजन-पानी की व्यवस्था जंगलों में नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। यह समय है जब सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।