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मालधन चौड़ में अवैध शराब की दुकान पर बवाल, जनआक्रोश फूटा, बीजेपी नेताओं पर संरक्षण का आरोप

सरकारी आदेशों की उड़ाई धज्जियां, महिलाओं-नेताओं ने किया जोरदार विरोध, बीजेपी नेत्री पर दुकान को अवैध रूप से किराए पर देने का गंभीर आरोप

रामनगर/मालधन। शुक्रवार को मालधन चौड़ के गोपालनगर क्षेत्र का माहौल अचानक गरमा गया जब सैकड़ों ग्रामीण, महिलाओं, युवाओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर अवैध शराब की दुकान के विरोध में सांकेतिक धरना और प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह दुकान हाथी डगर (मालधन रोड) में आवंटित थी, लेकिन उसे नियमों को ताक पर रखकर मालधन चौड़ के घनी आबादी वाले आवासीय क्षेत्र में अवैध रूप से खोला गया, जिससे क्षेत्रवासियों में उबाल आ गया। प्रदर्शनकारियों का साफ आरोप है कि इस अवैध गतिविधि के पीछे स्थानीय भाजपा नेताओं का संरक्षण है, और यदि प्रशासन ने इस पर शीघ्र रोक नहीं लगाई, तो वे क्रमिक अनशन और उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

धरने में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और युवाओं ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस अवैध शराब दुकान के खिलाफ जल्द से जल्द कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे खुद ही इसे बंद करने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे। लोगों ने कहा कि यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि जनआक्रोश का विस्फोट है, जिसे अब दबाया नहीं जा सकता। खास बात यह रही कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हाल ही में राज्यभर में नई शराब दुकानों को बंद करने का सख्त आदेश दिए जाने के बावजूद, यह दुकान पूरे दिन खुली रही, जिससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश और भी अधिक भड़क उठा। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री के आदेशों की सरेआम अवहेलना बताया और मांग की कि ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों और संरक्षण देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। जनता अब चुप नहीं बैठेगी।

इस पूरे घटनाक्रम पर पूर्व ब्लॉक प्रमुख बसंती आर्य ने बेहद तीखा और भावनात्मक बयान देते हुए राज्य सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मालधन जैसे संवेदनशील और पिछड़े क्षेत्र में, जहां लोगों को आज भी स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हो सकी हैं, वहां सरकार नशे की दुकानें खोलने को प्राथमिकता दे रही है। यह सरकार का जनविरोधी और समाजविरोधी रवैया है, जो युवाओं को गुमराही और अंधकार की ओर धकेलने का काम करेगा।” उन्होंने आगे कहा कि “एक तरफ सरकार युवाओं को उज्ज्वल भविष्य देने की बात करती है और दूसरी तरफ ऐसे फैसले लेकर समाज की जड़ों को खोखला करने में लगी है। हम इस दोहरे चरित्र को समझ चुके हैं और अब खामोश नहीं बैठेंगे। अगर जल्द से जल्द यह अवैध शराब की दुकान बंद नहीं की गई, तो हम उग्र आंदोलन छेड़ने को बाध्य होंगे।

कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष ओमप्रकाश ने विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि मालधन क्षेत्र में जिस तरह से अवैध रूप से शराब की दुकान चलाई जा रही है, वह केवल कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ नहीं बल्कि जनता की भावनाओं के साथ सीधा धोखा है। उन्होंने कहा कि यह दुकान जिस जगह खोली गई है, वह पूरी तरह से आवासीय क्षेत्र है और यहां पर नशे के अड्डे को बढ़ावा देना सीधे तौर पर महिलाओं, बच्चों और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करना है। ओमप्रकाश ने आरोप लगाया कि प्रशासन और सत्ता पक्ष के कुछ जनप्रतिनिधि इस अवैध कार्य को संरक्षण दे रहे हैं, जो बेहद निंदनीय है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह दुकान जल्द बंद नहीं की गई, तो कांग्रेस पार्टी जनआंदोलन छेड़ेगी और इसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा।

विरोध प्रदर्शन की आग को और तेज करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश आर्य, जिन्हें लोग सम्मानपूर्वक ‘लाला जी’ के नाम से जानते हैं, ने मंच से बेहद गंभीर और तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिस आवासीय भवन में यह अवैध शराब की दुकान संचालित की जा रही है, वह भाजपा की एक वरिष्ठ नेत्री का निजी आवास है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से उस नेत्री से अपील करते हुए कहा कि आप केवल कुछ रुपयों के किराए के लालच में जनता के विश्वास और जनहित की बलि चढ़ा रही हैं। यह निर्णय न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि आप जनता की आवाज को लगातार अनसुना करती रहीं, तो यह आपके राजनीतिक और सामाजिक जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। हरीश आर्य के इस तीखे वक्तव्य के बाद धरने में मौजूद लोगों के बीच तालियों की गूंज और विरोध के नारे जोर पकड़ने लगे, जिससे माहौल और भी उग्र हो गया।

धरने में गिरधारीलाल, सूबेदार भूपालराम, जयप्रकाश, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष रमेश पंडित, शंकर उजाला, महेन्द्र आर्य, बीडीसी तनुजा देवी, ग्रामप्रधान गौतमनगर राजेन्द्र प्रसाद, लक्ष्मी देवी, नारायण राम, चंद्रशेखर, देवेंद्र चंदोला, दुर्गा प्रसाद, नारायण प्रसाद, चंडी प्रसाद, ओमपाल चौधरी, अपूर्व शाह, पीताम्बर भारती, मयंक कुमार, रमेश चंद्र सहित सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति रही।

महिलाओं ने भी इस विरोध प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर भागीदारी की और अपनी उपस्थिति से आंदोलन को और अधिक सशक्त बना दिया। उन्होंने सरकार के फैसले पर तीखी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि जहां एक ओर सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे आदर्श नारों को प्रचारित कर रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं बेटियों के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के पास शराब की दुकानें खोलकर उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना था कि शराब की दुकानें केवल नशे को बढ़ावा नहीं देतीं, बल्कि घरेलू हिंसा, महिलाओं की असुरक्षा और पारिवारिक विघटन जैसी गंभीर सामाजिक समस्याओं को भी जन्म देती हैं। उनका कहना था कि यह दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा। अगर सरकार ने महिलाओं की आवाज़ को अनसुना किया, तो वे सड़कों पर उतरकर ऐसा आंदोलन खड़ा करेंगी कि सरकार को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ेगा। इस बार कोई समझौता नहीं होगा, सिर्फ समाधान चाहिए।

धरने के दौरान विरोध का स्वर लगातार तेज होता गया। नारेबाज़ी, पोस्टर-बैनर और जनसभा के माध्यम से लोगों ने अपनी आवाज़ बुलंद की और सरकार के खिलाफ खुलकर आक्रोश प्रकट किया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि अब केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस और तत्क्षण कार्रवाई की आवश्यकता है। स्थानीय जनता ने एकजुट होकर मांग की कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं इस प्रकरण का संज्ञान लें और मालधन चौड़ स्थित इस अवैध शराब की दुकान को तत्काल प्रभाव से बंद कराने का निर्देश दें। साथ ही, प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि इस अवैध दुकान को संरक्षण देने वाले अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की निष्पक्ष जांच कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी जनविरोधी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। लोगों का कहना है कि अब समय आ गया है जब जनता की बात को नजरअंदाज करने वाले जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाया जाए।

जैसे-जैसे शाम ढलती गई, धरना स्थल पर भीड़ का उत्साह और संख्या दोनों तेजी से बढ़ते गए। पूरे मालधन क्षेत्र में यह खबर आग की तरह फैल गई और लोग दूर-दराज़ से भी विरोध में शामिल होने लगे। माहौल पूरी तरह से जनसंगठित आंदोलन का रूप ले चुका था। प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर यह स्पष्ट कर दिया कि यह केवल एक सांकेतिक विरोध नहीं है, बल्कि समाजहित में एक निर्णायक संघर्ष की शुरुआत है। उनका कहना था कि यदि प्रशासन ने जनभावनाओं की अनदेखी की या उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की, तो वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। वे इस जनआंदोलन को राज्यव्यापी स्तर तक ले जाने के लिए तैयार हैं और हर कस्बे, हर गांव में इस मुद्दे को पहुंचाकर सरकार को जगाने का काम करेंगे। अब यह सिर्फ एक दुकान का नहीं, बल्कि पूरे समाज के भविष्य का सवाल बन चुका है।

इस उग्र विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन की कार्यशैली और निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं सत्ता और सिस्टम की मिलीभगत इस अवैध शराब दुकान को संरक्षण दे रही है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा नेताओं की चुप्पी ने जनता के आक्रोश को और भी भड़का दिया है। आम लोगों का कहना है कि जब जनहित के मुद्दों पर ही नेताओं की जुबान बंद हो जाए, तो फिर जनता को खुद सड़कों पर उतरकर लड़ाई लड़नी पड़ती है। अब पूरे क्षेत्र की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या प्रशासन और सरकार इस जनगुस्से को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करेंगे या फिर मालधन चौड़ जल्द ही एक और बड़े जनांदोलन का केंद्र बन जाएगा, जिसकी चिंगारी अब पूरे राज्य में फैलने को तैयार है।

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