काशीपुर। एक ऐसा आयोजन हुआ जिसने चिकित्सा जगत को नई ऊर्जा से भर दिया। विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संपर्क विभाग काशीपुर और होम्योपैथी विकास समिति के संयुक्त प्रयासों से एक प्रेरणादायक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के गणमान्य चिकित्सकों और समाजसेवियों ने भागीदारी निभाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर दीपक बाली ने की, जिन्होंने अपने वक्तव्य में न केवल होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता को रेखांकित किया, बल्कि समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता को भी बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में जहां तमाम प्रकार की बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं, वहीं होम्योपैथी एक ऐसा विज्ञान बनकर उभरा है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों का उपचार करने में सक्षम है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में इस पद्धति की बढ़ती लोकप्रियता को समाज के लिए शुभ संकेत बताया और कहा कि भविष्य में इसका और अधिक प्रचार-प्रसार होना चाहिए।
डॉ. ध्यान सिंह ने संगोष्ठी में बोलते हुए कहा कि होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो रोग को उसकी जड़ से समाप्त करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा कि यह पद्धति केवल रोग के लक्षणों को दबाने का काम नहीं करती, बल्कि व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर उसे पूरी तरह स्वस्थ करने का कार्य करती है। डॉ. सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने चिकित्सा अनुभव में कई ऐसे रोगियों का इलाज किया है जो लंबे समय से विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों से थक चुके थे, लेकिन होम्योपैथी से उन्हें नया जीवन मिला। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा पद्धति मानव शरीर की नैसर्गिक चिकित्सा प्रणाली के साथ मिलकर काम करती है, जिससे उपचार स्थायी होता है। उन्होंने युवाओं और नए चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे होम्योपैथी के अध्ययन और अनुसंधान को गंभीरता से लें और इसे चिकित्सा का सशक्त माध्यम बनाकर समाज की सेवा करें।
विचार संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में पधारे संघ के सह क्षेत्र प्रचारक डॉ. हरीश रौतेल ने अपने वक्तव्य में इस चिकित्सा प्रणाली के वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि डॉ. सैमुअल हैनीमैन द्वारा विकसित की गई यह पद्धति केवल बीमारी के लक्षणों पर नहीं, बल्कि पूरे शरीर के संतुलन को बहाल करने पर केंद्रित होती है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में जो आत्मीयता और प्रभावशीलता है, वह आधुनिक पद्धतियों में कहीं न कहीं कम हो रही है, और ऐसे में होम्योपैथी एक आशाजनक विकल्प बनकर सामने आई है। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया कि कैसे होम्योपैथी ने गंभीर रोगों से जूझते मरीजों को राहत प्रदान की है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से अपील की कि वे इस चिकित्सा प्रणाली को अपनाने और दूसरों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए आगे आएं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. महेश चंद जोशी, जो कि ऊधमसिंह नगर के जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी हैं, ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में आम जनता के बीच होम्योपैथी को लेकर विश्वास का स्तर काफी बढ़ा है। उन्होंने बताया कि यह चिकित्सा पद्धति न केवल सस्ती है, बल्कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता, जिससे यह आमजन के लिए बेहद प्रभावी विकल्प बन चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार भी आयुष चिकित्सा को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है और यह समय की मांग है कि इस क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान एवं जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से समाज में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है और लोग वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को भी गंभीरता से अपनाने लगते हैं।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थितजनों के लिए गर्व का क्षण तब आया जब यह जानकारी साझा की गई कि काशीपुर के प्रख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. रजनीश शर्मा को हाल ही में इंटरनेशनल नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें होम्योपैथी चिकित्सा के क्षेत्र में किए गए उनके अभूतपूर्व योगदान और समाजसेवा के लिए प्रदान किया गया, जिससे न केवल उनके व्यक्तित्व को गौरव प्राप्त हुआ है, बल्कि काशीपुर शहर का भी नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोशन हुआ है। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि यह पुरस्कार केवल उनका व्यक्तिगत सम्मान नहीं है, बल्कि उन सभी चिकित्सा सेवाओं और मरीजों की आस्था का प्रतीक है जिन्होंने वर्षों से होम्योपैथी पर विश्वास बनाए रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मान उन्हें और अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा और वे जीवनपर्यंत होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार और जनमानस की सेवा के लिए समर्पित रहेंगे। उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि वे चिकित्सा क्षेत्र में नवीन सोच के साथ आगे आएं और समाज को स्वस्थ एवं जागरूक बनाने में अपना योगदान दें।
डॉ. रजनीश शर्मा ने संगोष्ठी के दौरान अपने विचार साझा करते हुए कहा कि होम्योपैथी केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं बल्कि एक जीवनशैली है, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में जहाँ एलोपैथिक उपचार के दुष्प्रभावों और महंगे इलाज से आम जनता परेशान है, वहीं होम्योपैथी एक सस्ता, सुरक्षित और सहज विकल्प प्रदान करती है। डॉ. शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि लोगों में यह भ्रम दूर करना बेहद जरूरी है कि होम्योपैथी केवल छोटी-मोटी बीमारियों के लिए उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि गंभीर और पुरानी बीमारियों जैसे एलर्जी, माइग्रेन, अस्थमा, त्वचा रोग, मानसिक तनाव इत्यादि में भी होम्योपैथी ने शानदार परिणाम दिए हैं। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यदि मरीज का समुचित केस स्टडी कर के दवा दी जाए, तो इसके चमत्कारी प्रभाव देखे जा सकते हैं। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से अपील की कि वे इस पद्धति को और अधिक वैज्ञानिक आधार पर समाज में प्रस्तुत करें ताकि इसका लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके और विश्वास और भी दृढ़ हो सके।

इस मौके पर काशीपुर सहित पूरे क्षेत्र से आए डॉ. लिप्सी चौहान, डॉ. नित्या विश्वकर्मा, डॉ. सुनील सिंह, डॉ. सुदेश सिंह चौहान, डॉ. रितिका सिंह, डॉ. गजेंद्र पाल सिंह, अमृत पाल सिंह (लॉर्ड होम्योपैथी), विशाल गोयल (जय लक्ष्मी फार्मेसी), पुलकित सिंघल (वर्ल्ड होम्यो हाउस), डॉ. सलिल मेहरोत्रा, डॉ. अक्षय चौहान (ऑर्गेनाइजर), डॉ. ध्यान सिंह (जसपुर) जैसे विशेषज्ञों ने भी अपनी-अपनी बात रखी और बताया कि कैसे होम्योपैथी ने लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है। उपस्थित सभी चिकित्सकों ने इस बात पर जोर दिया कि समय के साथ इस चिकित्सा प्रणाली में नवाचार को अपनाना आवश्यक है और इसके प्रति समाज को जागरूक करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर डॉ. सैमुअल हैनीमैन की 270वीं जयंती को भी श्रद्धांजलि स्वरूप याद किया गया और उनके योगदान को नमन करते हुए यह संदेश दिया गया कि चिकित्सा केवल दवाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह सेवा, संवेदना और समर्पण का माध्यम भी है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर महापौर दीपक बाली ने सभी वक्ताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में एक सकारात्मक चेतना और संवाद का सशक्त मंच सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब लोग विभिन्न बीमारियों और तनाव से जूझ रहे हैं, ऐसे में इस प्रकार के विचारोत्तेजक और जागरूकता से भरपूर आयोजन समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम हैं। महापौर ने आयोजक संस्थाओं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संपर्क विभाग तथा होम्योपैथी विकास समिति को सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दी और उम्मीद जताई कि भविष्य में काशीपुर इस प्रकार की चर्चाओं और चिकित्सा संवादों का प्रमुख केंद्र बनेगा, जहां चिकित्सा, समाज और सांस्कृतिक चेतना का संगम देखने को मिलेगा। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे होम्योपैथी जैसी पारंपरिक, सुरक्षित और सुलभ चिकित्सा पद्धति को अपनाएं और स्वस्थ भारत की कल्पना को साकार करने में अपना योगदान दें। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा।
