रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण आयोजन के तहत राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेल पड़ाव के संयुक्त प्रयासों से आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों को न केवल स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता दी गई बल्कि कृमिनाशक एल्बेंडाजोल दवा का भी वितरण किया गया। आयोजन में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की सहभागिता देखने को मिली, जिन्होंने न केवल जानकारी प्राप्त की बल्कि स्वास्थ्य को लेकर कई मिथकों का भी समाधान पाया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार सामान्य जीवनशैली में थोड़े से सुधार लाकर बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। इस पहल को लेकर महाविद्यालय में खासा उत्साह रहा।
महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जब मंच संभाला प्राचार्य प्रोफे एम सी पांडे ने, तो उन्होंने छात्रों को स्वास्थ्य की अहमियत से अवगत कराते हुए स्पष्ट किया कि एक स्वस्थ जीवन की नींव स्वच्छता, पौष्टिक आहार और नियमित दिनचर्या पर ही टिकी होती है। उन्होंने युवाओं को चेताया कि आजकल की चमक-दमक वाली जीवनशैली और आकर्षक दिखने की होड़ उन्हें जिस राह पर ले जा रही है, वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। विशेष रूप से फास्ट फूड और जंक फूड की बढ़ती लत शरीर को अंदर से खोखला कर रही है, जिससे अनेक गंभीर बीमारियों को जन्म मिल रहा है। प्रोफे एम सी पांडे ने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने खानपान और दिनचर्या में अनुशासन लाएं, ताकि वे न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त बन सकें।
प्रोफेसर मौर्य ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट रूप से बताया कि आज के समय में फास्ट फूड और जंक फूड का बढ़ता चलन समाज में अनेक बीमारियों का मूल कारण बन चुका है। उन्होंने छात्रों को सावधान करते हुए कहा कि स्वाद और सुविधा के लिए जो लोग इन अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, वे अनजाने में अपने शरीर को धीमा जहर दे रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भोजन में मोटे अनाज, मौसमी सब्जियां, और ताजे फल शामिल करना न केवल शरीर को आवश्यक पोषण देता है बल्कि पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। उनका मानना है कि प्राकृतिक, संतुलित और विविधता युक्त आहार ही ऐसी कुंजी है, जिससे व्यक्ति दीर्घकाल तक स्वस्थ, ऊर्जावान और रोगमुक्त रह सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने आहार को ही अपनी औषधि बनाएं।

इसके साथ ही कार्यक्रम में मौजूद प्रोफे जगमोहन सिंह नेगी ने जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे अनियमित दिनचर्या और तनावपूर्ण जीवन हृदय संबंधी रोगों और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे मोबाइल, सोशल मीडिया और रात जागने की आदतों को नियंत्रित करें तथा नियमित व्यायाम और समय पर भोजन करें। इस दौरान यह भी बताया गया कि खानपान में लापरवाही और पोषक तत्वों की कमी न केवल शरीर को कमजोर करती है बल्कि मनोबल और कार्यक्षमता पर भी गहरा असर डालती है। स्वस्थ शरीर के लिए नियमितता और संतुलन सबसे जरूरी दो शब्द हैं, जिन्हें हर छात्र को अपनाना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से आईं नीरू ज्याला ने छात्रों को बताया कि फाइबर युक्त भोजन न केवल पाचन के लिए जरूरी है बल्कि शरीर को आंतरिक रूप से स्वच्छ और ऊर्जावान बनाए रखने में भी मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा शरीर ऐसे भोज्य पदार्थों को आसानी से ग्रहण कर पाता है जिनमें प्राकृतिक फाइबर की मात्रा अधिक होती है, और यही कारण है कि मोटे अनाज, हरी सब्जियां और फल हमारे आहार का अहम हिस्सा होने चाहिए। उनका कहना था कि सिर्फ दिखावे या स्वाद के लिए भोजन करने से शरीर पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसे समय रहते समझना बेहद जरूरी है।
इस स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में प्रोफे पुनीता कुशवाहा, प्रोफ नरेश कुमार, डॉ जे पी त्यागी, डॉ नीमा राणा और वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुरेश चन्द्रा भी सक्रिय रूप से मौजूद रहे। इन सभी शिक्षकों और अधिकारियों की सहभागिता ने न केवल कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि छात्रों में जागरूकता की अलख भी जगाई। आयोजन के दौरान छात्रों ने न केवल दवा ली, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी सवाल भी पूछे जिनका समाधान विशेषज्ञों ने सरल भाषा में किया। इस पूरे आयोजन को एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकता है।