काशीपुर। राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित नवोन्मेष वार्षिकोत्सव 2025 का आगाज़ एक शानदार सांस्कृतिक रंगत के साथ हुआ, जिसने न केवल विद्यार्थियों बल्कि उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों के मन को मोह लिया। मंच पर जैसे ही दीप प्रज्वलन हुआ, पूरा माहौल एक आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया। सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई, जिसने वहां उपस्थित हर व्यक्ति के मन में भारतीय संस्कृति की गहराई और शिक्षा की गरिमा का अहसास करवा दिया। मंच संचालन की जिम्मेदारी इस वर्ष डॉ नीरज शुक्ला और डॉ राघव झा ने संभाली, जिन्होंने पूरे आयोजन को एक सुरुचिपूर्ण लय में बाँधे रखा। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ा, मुख्य अतिथियों के आगमन पर उन्हें बैज व पुष्पगुच्छ देकर आत्मीय स्वागत किया गया। इन सभी औपचारिकताओं के बीच मंच का सौंदर्य और आयोजन की गरिमा देखते ही बन रही थी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुँचे महापौर दीपक बाली के उद्बोधन ने आयोजन में मानो प्राण फूंक दिए। उन्होंने अपनी स्मृतियों के पन्ने खोलते हुए बताया कि राधे हरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय उनके जीवन का वह आधार है जहाँ से उन्होंने न केवल शिक्षा प्राप्त की, बल्कि यहीं से उनके सामाजिक जीवन की यात्रा भी प्रारंभ हुई। जब उन्होंने यह कहा कि वह जब भी इस महाविद्यालय के लिए कुछ करने का अवसर पाएंगे, तो उसे अपने सौभाग्य के रूप में स्वीकार करेंगे, तो पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह भावुक क्षण केवल एक व्यक्ति की बात नहीं थी, बल्कि उस संस्थान के प्रति उनका आत्मीय लगाव झलक रहा था। महापौर दीपक बाली को एनसीसी की छात्राओं द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाना, पूरे कार्यक्रम का एक अत्यंत गरिमामय और गौरवपूर्ण क्षण था, जिसने उनकी भूमिका को और भी उल्लेखनीय बना दिया।

इस आयोजन में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता ने इसे और भी विशिष्ट बना दिया। कार्यक्रम के दौरान जैसे ही मुख्य अतिथि के रूप में विधायक त्रिलोक सिंह चीमा मंच पर पहुँचे, पूरे सभागार में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में उन्होंने युवाओं को मेहनत, अनुशासन और निष्ठा को जीवन का मूल मंत्र बताते हुए भविष्य निर्माण की राह पर निरंतर अग्रसर रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज का युवा यदि दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो, तो कोई भी बाधा उसे सफल होने से रोक नहीं सकती। त्रिलोक सिंह चीमा ने यह भी उल्लेख किया कि शैक्षिक संस्थान केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं होते, बल्कि यही वह स्थान होते हैं जहाँ व्यक्ति का चरित्र, दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वे सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य को साधने के लिए पूरी ऊर्जा समर्पित करें।

कॉलेज की प्राचार्या सुमिता श्रीवास्तव ने नवोन्मेष वार्षिक उत्सव 2025 को सफल बनाने में अपनी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता का परिचय दिया। उन्होंने केवल कार्यक्रम की रूपरेखा और व्यवस्थाओं को कुशलतापूर्वक संचालित नहीं किया, बल्कि मंच से अपने विचार रखते हुए छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लें। सुमिता श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन न केवल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनते हैं, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास, टीमवर्क और नेतृत्व जैसे गुणों को भी मजबूती प्रदान करते हैं। उन्होंने शिक्षकों और स्टाफ सदस्यों के योगदान की भी सराहना की और विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा को पहचानने और लगातार बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। उनका यह प्रेरणादायक संदेश कार्यक्रम की गरिमा को और भी ऊंचा ले गया और सभी के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।

डॉ मृत्युंजय मिश्रा, डॉ महिपाल और डॉ कीर्ति पंत जैसे विद्वान शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति ने नवोन्मेष वार्षिक उत्सव 2025 को न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध किया, बल्कि उसे एक बौद्धिक स्वरूप भी प्रदान किया। इन सभी शिक्षाविदों की सहभागिता ने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होती, बल्कि संस्कृति, विचार और अभिव्यक्ति का समावेश भी उसके मूल में होता है। इनकी मौजूदगी से मंच पर प्रस्तुत हर कला और अभिव्यक्ति को एक सैद्धांतिक और शिक्षाप्रद आधार मिला, जिससे छात्र-छात्राओं का मनोबल और अधिक बढ़ा। कार्यक्रम में महाविद्यालय का संपूर्ण शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक स्टाफ पूर्ण जोश और समर्पण के साथ शामिल रहा। इसके साथ ही छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी ने समारोह को एक अविस्मरणीय अवसर में बदल दिया, जिसकी स्मृति लंबे समय तक सभी के मन में बनी रहेगी।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की विविधता और गुणवत्ता ने इस कार्यक्रम को और अधिक जीवंत बना दिया। छात्रों ने नृत्य, गायन, वाद्ययंत्रों की संगत और नाट्य कलाओं के माध्यम से मंच को उत्साह से भर दिया। हर प्रस्तुति में स्थानीय परंपरा, समकालीन समझ और युवा जोश की झलक देखने को मिली। महाविद्यालय के विद्यार्थियों की ऊर्जा और उनकी रचनात्मकता ने यह साबित कर दिया कि आने वाली पीढ़ी न केवल शिक्षित है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी गहराई से जुड़ी हुई है। दर्शकों की तालियों की गूंज और मुस्कुराहटें इस बात की गवाही दे रही थीं कि इस आयोजन ने उन्हें भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से छू लिया है। नवोन्मेष वार्षिकोत्सव 2025 न केवल महाविद्यालय के लिए, बल्कि समूचे काशीपुर के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बनकर उभरा है।

समस्त प्रस्तुतियों को निर्णायक मंडल ने अत्यंत ध्यानपूर्वक देखा और हर प्रतिभागी की प्रस्तुति का गहराई से विश्लेषण किया, जिससे निष्पक्ष और सटीक निर्णय संभव हो सके। विभिन्न गायन, नृत्य, नाट्य एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के माध्यम से विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता और मंचीय आत्मविश्वास का शानदार परिचय दिया। कार्यक्रम के दौरान निर्णायकों ने सभी प्रदर्शन को अंकित कर परिणामों को अगले दिन घोषित करने का निर्णय लिया, ताकि किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से प्रतिभा के सही मूल्यांकन में बाधा न आए। इस निर्णय से छात्रों में उत्सुकता और प्रतिस्पर्धा की भावना और भी प्रबल हो गई। नवोन्मेष उत्सव का यह पहला दिन पूर्णतः सफल, जीवंत और प्रेरणादायी रहा। अब सभी प्रतिभागी और दर्शक महाविद्यालय परिसर में होने वाले आगामी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ओर उत्सुकता से नज़रें टिकाए हुए हैं, जहां और भी शानदार प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा है।