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आबकारी विभाग के ऑडियो ने खोली पोल एक्सपायरी शराब बेचने पर निरीक्षक की सिर्फ अपील, कार्रवाई नदारद

दिवाकर चौधरी के वायरल ऑडियो से मचा हड़कंप, एक्सपायरी बीयर बेचने का मामला उजागर, जनता बोली– अपील नहीं, चाहिए सख्त कार्रवाई

काशीपुर। आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है, जब आबकारी निरीक्षक दिवाकर चौधरी का एक ऑडियो मैसेज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। यह ऑडियो मैसेज उन अनुज्ञापियों के लिए भेजा गया था, जो जिले में शराब की दुकानों का संचालन कर रहे हैं। इस वायरल ऑडियो में दिवाकर चौधरी अनुज्ञापियों से अपील करते सुनाई दे रहे हैं कि वे एक्सपायरी डेट की शराब की बिक्री न करें।

हालांकि इस अपील से कहीं ज़्यादा लोगों को हैरत इस बात पर हुई कि जब निरीक्षक को यह जानकारी है कि शहर में एक्सपायरी माल बेचा जा रहा है, तो उन्होंने स्वयं कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की। जनता में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या आबकारी निरीक्षक का काम केवल सतर्क करने और चेतावनी देने तक ही सीमित है, जबकि नियमों के तहत उन्हें तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी। यह मसला उस वक्त तूल पकड़ गया जब एक उपभोक्ता ने शिकायत की कि एक अंग्रेजी शराब की दुकान से उसे एक्सपायरी डेट की बीयर बेची गई। इसके बाद विभाग हरकत में तो आया लेकिन केवल दिखावे के तौर पर आधा दर्जन बीयर की कैन जब्त कर खानापूर्ति कर दी गई।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि जनस्वास्थ्य के गंभीर मुद्दे पर विभाग केवल रस्म अदायगी कर रहा है। शिकायत मिलने पर मौके पर जाकर केवल कुछ गिनी-चुनी कैन जब्त करना और फिर उस पर कोई गहन जांच न करना यह दर्शाता है कि इस मामले को लेकर विभाग की मंशा कितनी ढीली है। हैरत की बात तो यह है कि इस घोटाले की खबर मीडिया में आने के बाद ही विभाग को चेतना आई और आनन-फानन में ऑडियो मैसेज जारी कर अनुज्ञापियों को सतर्क किया गया।

इस संदेश में स्वयं दिवाकर चौधरी यह स्वीकार कर रहे हैं कि नकली और एक्सपायरी शराब की बिक्री हो रही है, जिसे उन्होंने श्शर्मनाकश् भी कहा। मगर सवाल यह है कि जब उन्हें इसकी जानकारी पहले से थी तो उन्होंने पहले कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की? इस मसले में एडीएम और एसडीएम तक को संज्ञान लेने की नौबत आ गई, जिसका जिक्र भी दिवाकर चौधरी ने अपने मैसेज में किया है। यानी अब जिले के बड़े अफसरों को खुद फील्ड में उतरना पड़ रहा है क्योंकि स्थानीय स्तर पर विभागीय अफसरों की निष्क्रियता साफ नज़र आ रही है।

काफी दिनों से काशीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध कच्ची शराब का कारोबार भी अपने पैर पसारता जा रहा है, लेकिन आबकारी विभाग की चुप्पी इस बात की गवाही दे रही है कि या तो विभाग को इस कारोबार की भनक नहीं है, या फिर जानबूझ कर इसे अनदेखा किया जा रहा है। पिछले कई महीनों से न तो विभाग ने किसी इलाके में आकस्मिक छापा मारा और न ही किसी अवैध शराब माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। जब इस संबंध में आबकारी निरीक्षक दिवाकर चौधरी से दूरभाष पर संपर्क साधा जाता है तो उनका एक रटा-रटाया जवाब सामने आता है – “नई दुकानों के आवंटन में व्यस्त हूं।”

यह जवाब अब शहर में मजाक का विषय बनता जा रहा है क्योंकि अवैध शराब की बिक्री और नकली माल का धंधा खुलेआम हो रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ श्व्यस्तताश् की दुहाई देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। आम जनता सवाल कर रही है कि यदि केवल चेतावनी और अपील से ही कानून का पालन सुनिश्चित होता, तो फिर अधिकारियों की जरूरत ही क्यों होती?

इस पूरे घटनाक्रम ने आबकारी विभाग की कार्यशैली को कठघरे में ला खड़ा किया है। जब जनस्वास्थ्य से जुड़ा मसला सामने आता है, तब एक जिम्मेदार अधिकारी का कर्तव्य बनता है कि वह न सिर्फ सख्ती से कार्रवाई करे, बल्कि यह सुनिश्चित भी करे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। मगर काशीपुर की हकीकत यह है कि यहां जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी केवल व्हाट्सएप पर चेतावनी जारी कर रहे हैं।

अगर एक उपभोक्ता की सजगता और मीडिया की सक्रियता न होती, तो शायद यह मामला भी ढक-छुप कर रह जाता। अब देखना यह होगा कि एडीएम और एसडीएम इस मामले में क्या कड़ा रुख अपनाते हैं और क्या विभाग के अंदरूनी तंत्र को झकझोरने में सफल हो पाते हैं या नहीं। फिलहाल जनता की नज़र आबकारी निरीक्षक दिवाकर चौधरी की कार्यप्रणाली पर टिकी हुई है, जिनसे यह उम्मीद थी कि वे अपने पद की गरिमा के अनुरूप कठोर कदम उठाएंगे, न कि सिर्फ ‘शर्मनाक’ कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेंगे।

इस ऑडियो कि ‘सरह प्रजातंत्र’ कोई भी पुष्टि नहीं करता है।

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